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बेगूसराय में दो साल के बच्चे पर कोरोना फैलाने का दर्ज हुआ था केस, अब बेल के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रही मां

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वरीय अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 82 में बताया गया है कि सात साल से कम उम्र के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है. न ही इसके लिए उसे कोई सजा दी जा सकती है.

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बेगूसराय की पुलिस ने दो साल पहले कोरोना फैलाने के आरोप में दो साल के बच्चे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी थी, अब बच्चे की मां उसकी जमानत के लिए कोर्ट का चक्कर काट रही है. गुरुवार को मुकदमे की जानकारी होने पर बच्चे को गोद में लेकर कोर्ट पहुंची. इस बात की जानकारी होते ही न्यायालय परिसर में बच्चे को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गयी.

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2021 में दर्ज हुई थी प्राथमिकी 

10 अप्रैल 2021 को मुफस्सिल थाना ने दो वर्षीय बच्चा, उसकी मां और पिता समेत आठ लोगों पर क्रिमिनल केस (कांड संख्या 224/ 2021) दर्ज किया था. बच्चे सहित इन सभी आठ लोगों पर आरोप था कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पुलिस द्वारा लगायी गयी बैरिकेडिंग को तोड़ कर सभी उस इलाके से बाहर निकले. इससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया. यह प्राथमिकी चौकीदार रुपेश कुमार के बयान पर दर्ज करायी गयी. आरोपियों पर धारा 268-26913-34 और 314 एपिडेमिक डिजास्टर के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है.

बच्चे पर नहीं हो सकता आपराधिक केस

फिलहाल कोर्ट पहुंची महिला और बच्चे को उनके अधिवक्ता ने समझा-बुझा कर वापस भेज दिया. अधिवक्ता ने उन्हें बताया कि इतने छोटे बच्चे पर पुलिस द्वारा एफआइआर दर्ज नहीं की जा सकती है और उसके लिए जमानत याचिका भी दाखिल नहीं की जा सकती है. पुलिस द्वारा दर्ज किये गये मुकदमे को समाप्त कराने के लिए कोर्ट में भारतीय दंड विधान की धारा 82 के तहत आवेदन दाखिल किया जायेगा.

क्या कहती है धारा

वरीय अधिवक्ता राजेश सिंह ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 82 में बताया गया है कि सात साल से कम उम्र के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है. न ही इसके लिए उसे कोई सजा दी जा सकती है.

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पुलिस ने लगाया झूठा आरोप : बच्चे की मां

बच्चे की मां के अनुसार पुलिस ने कोरोना काल में बेरिकेडिंग तोड़ने का झूठा आरोप लगाया है. वह कहती हैं कि जिस समय पुलिस ने उनके बेटे पर मुकदमा किया था, उस बेटे की उम्र मात्र दो साल थी.

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