15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 05:52 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे का समय बढ़ाने पर क्यों हो रही आंध्र-तेलंगाना की चर्चा

Advertisement

Bihar Land Survey बिहार में जमीन सर्वे को लेकर जमीनी स्तर पर सरकार से किसान नाखुश हैं. वे सरकार की तैयारी और अफसरों की मनमानी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इसको लेकर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कुछ ऐसा ही हाल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी देखने को मिला था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Bihar Land Survey: बिहार की नीतीश सरकार ने जमीन सर्वे को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए इसे तीन माह के लिए बढ़ा दिया है. नीतीश सरकार के इस फैसले की हर तरफ चर्चा हो रही है. रैयत इसको लेकर खुश हैं. इससे करीब पौन तीन करोड़ परिवार प्रभावित हो रहे थे.अब ये सभी लोग थोड़ा राहत की सांस ली है.

- Advertisement -

लेकिन, सरकार के इस फैसले के बाद बिहार की राजनीतिक गलियारों में आंध्र-तेलंगाना की चर्चा होने लगी है. इधर, बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जयसवाल का कहना है कि हमने रैयतों को जमीन सर्वे से जुड़े कागजात को एकत्रित करने के लिए समय सीमा बढ़ा है. जबकि विपक्ष और राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सरकार आंध्र-तेलंगाना में जमीन सर्वे के बाद आए चुनाव परिणाम के कारण यह फैसला ली है.

बिहार में जमीन सर्वे, हजार समस्याएं

बिहार में नीतीश सरकार का जमीन सर्वे अभियान लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. सरकार के इस फैसले से लगभग पौने तीन करोड़ परिवारों में जमीन के कागजातों को लेकर खलबली मची हुई है. बिहार में लगभग 2.75 करोड़ परिवार रहते हैं. इनमें से ज्यादातर परिवारों के पास थोड़ी-बहुत जमीन है. इन लोगों के पास अपने बाप- दादा की जमीन का कोई पुराना कागजात नहीं है. ये इसको ढूंढने में लगे हैं, लेकिन न घर में और सरकार के पास इसके कोई स्त्रोत मिल रहे हैं.

ये भी पढ़ें… Bihar Land Survey: बिहार में इतने दिनों तक टला जमीन सर्वे का काम, देखिए वीडियो क्या बोले मंत्री

वे दिल्ली- मुम्बई से अपने गांव में आकर डेरा जमाए हुए हैं. सरकारी ऑफिस का प्रतिदिन चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन उनको इसका कोई समाधान नहीं मिल रहा है. इधर, जिन लोगों के पास कागजात हैं वे कैथी लिपि में लिखे हैं. यह भी इनके लिए परेशानी बन गई है. क्योंकि इसको समझना भी मुश्किल हो रहा है. भूमि सर्वेक्षण कर्मचारियों की कमी और कैथी लिपि को समझने वाले लोगों की गैरमौजूदगी ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. पुराने दस्तावेज किसी को समझ में ही नहीं आ रहा. इससे सरकारी कर्मचारियों के भाव बढ़े हुए हैं.

क्यों याद आ रहा आंध्र-तेलंगाना?
बिहार में जमीन सर्वे को लेकर जमीनी स्तर पर सरकार से किसान नाखुश हैं. वे सरकार की तैयारी और अफसरों की मनमानी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इसको लेकर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कुछ ऐसा ही हाल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी देखने को मिला था, जहां के लोग सरकार के जमीन सर्वे के फैसले से नाराज थे. लेकिन सरकार ने उनकी सुनने को तैयार नहीं थी और जल्दबाजी में किए गए जमीन सर्वे के कारण लोगों में नाराजगी फैल गई थी. यह एक बड़ा कारण बना के. चंद्रशेखर राव और जगन मोहन रेड्डी सरकारों के चुनाव हारने का.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें