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बिहार के 458 एपीएचसी में मेडिकल ऑफिसर नहीं, एक एएनएम के भरोसे 487 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

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Bihar Hospital: बिना मेडिकल ऑफिसर के इन अस्पतालों में मरीज सिर्फ अस्पतालकर्मी के सहारे इलाज कराते हैं. स्थिति खराब होने पर उन्हें तत्काल नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) में इलाज के लिए जाना पड़ता है.

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Bihar Hospital: पटना. बिहार के स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ मंगल नहीं है. लाख दावों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग इन अस्पतालों में मुक्कमल इलाज की व्यवस्था अब तक नहीं कर सकी है. बिहार में 39 फीसदी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (एपीएचसी) एक एएनएम के सहारे संचालित किए जा रहे हैं. वहीं, 49 फीसदी एपीएचसी में दो एएनएम तैनात हैं. इन दोनों एएनएम द्वारा मिलकर अस्पताल का संचालन किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार रिपोर्ट में ही इन बातों का खुलासा हुआ है.

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458 एपीएचसी में मेडिकल ऑफिसर तैनात नहीं

बिहार में कुल 1258 एपीएचसी संचालित है, इनमें 487 एपीएचसी में मात्र एक एएनएम की तैनाती है. एएनएम आती है तो अस्पताल खुलता है और वहां मरीज पहुंचने शुरू होते हैं. इसके बाद उन्हें स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं प्रारंभिक इलाज की सुविधा प्रदान की जाती है. किसी कारण से अगर, एएनएम एपीएचसी में नहीं पहुंची तो अस्पताल बंद रहता है. रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 1258 एपीएचसी में 800 एपीएचसी में ही मेडिकल ऑफिसर तैनात हैं, जबकि 458 एपीएचसी में मेडिकल ऑफिसर नहीं हैं. बिना मेडिकल ऑफिसर के इन अस्पतालों में मरीज सिर्फ अस्पतालकर्मी के सहारे इलाज कराते हैं. स्थिति खराब होने पर उन्हें तत्काल नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) में इलाज के लिए जाना पड़ता है.

917 अस्पतालों के पास ही है अपना भवन

बिहार के 1258 एपीएचसी में 917 एपीएचसी के पास ही अपना सरकारी भवन है. 218 एपीएचसी निजी भवनों में और 123 अन्य भवनों में संचालित किए जा रहे हैं. इन एपीएचसी में स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों, दोनों के लिए आधारभूत सुविधाओं का भी अभाव है. इन अस्पतालों में 135 ऐसे अस्पताल हैं, जहां अबतक बिजली की सुविधा नहीं पहुंची है, जबकि, 364 अस्पतालों में शुद्ध पेयजल और 296 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में शौचालय की सुविधा नहीं है.

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