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Bihar Land Survey: जमीन सर्वे में कैसे तय होगा त्रिसीमाना? बिहार सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश

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Bihar Land Survey: बिहार में चल रहे जमीन सर्वेक्षण की एक अहम प्रक्रिया है त्रिसीमाना. जिसे लेकर बिहार सरकार ने अहम जानकारी साझा की है.

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Bihar Land Survey: बिहार में चल रहे जमीन सर्वे में त्रिसीमाना या तीन-सीमाना एक अहम प्रक्रिया है. लेकिन यह होता क्या है और कैसे तय होता है. इसे लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं. जिसे लेकर बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने तीन-सीमाना प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी साझा की है. जिसमें बताया गया है कि तीन-सीमाना को तय करने की प्रक्रिया क्या है.

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त्रिसीमाना क्या है?

त्रिसीमाना भूमि सर्वेक्षण की एक तकनीक है जिसमें जमीन की तीन सीमाओं या बिंदुओं को मापा जाता है. इस प्रक्रिया से भूमि का सटीक आकार और क्षेत्रफल पता चलता है. त्रिसीमाना भूमि की सीमाओं और अन्य विवरणों को निर्धारित करती है ताकि भविष्य में कोई विवाद या भ्रम न हो.

कैसे तय होता है त्रिसीमाना?

त्रि-सीमाना की इस प्रक्रिया का उद्देश्य तीन गांवों की सीमा या सीमा की पहचान करना और मापना है, जहां वे एक बिंदु पर मिलते हैं. यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन स्थितियों में महत्वपूर्ण है जहां सीमा विवाद उत्पन्न होते हैं और स्पष्ट पहचान की आवश्यकता होती है. त्रि-सीमाना को मापने और पहचानने के लिए, पहले तीन गांवों की पारंपरिक सीमाओं की पहचान की जाती है. इसके बाद उसे ईटीएस (Electronic Total Station) और डीजीपीएस (Differential Global Positioning System) तकनीक की सहायता से सटीक मापन द्वारा स्थायी रूप से चिन्हित किया जाता है.

राजस्व विभाग ने तीन-सीमाना की पहचान के लिए विशेष मानक तय किए हैं, जिनमें जमीन के नक्शे के साथ-साथ ग्राउंड और मैप डिस्टेंस की तुलना भी की जाती है. विभाग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी प्रकार की त्रुटि से बचने के लिए ईटीएस और डीजीपीएस दोनों तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि सीमा विवादों का सही समाधान किया जा सके.

Bihar Land Survey Trisimana
Bihar land survey: जमीन सर्वे में कैसे तय होगा त्रिसीमाना? बिहार सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश 2

ईटीएस से क्या होता है?

त्रि-सीमाना निर्धारण के लिए सबसे पहले तीन समीपवर्ती गांवों में से प्रत्येक में एक मुस्तकिल की पहचान की जाती है. मुस्तकिल वह बिन्दु है जिसका स्थान सीएस मानचित्र तैयार होने के बाद से धरातल पर अपरिवर्तित रहा है, अर्थात उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. त्रि-सीमाना बिन्दु को तीनों मुस्तकिलों से मापा जाता है, अर्थात धरातल पर इसकी दूरी ईटीएस से मापी जाती है. इस दूरी को टाई-लाइन भी कहते हैं. त्रि-सीमाना समायोजन का कार्य तब तक दोहराया जाता है जब तक कि धरातल की दूरी और मानचित्र की दूरी बिल्कुल समान नहीं हो जाती. मानचित्र की सटीकता के लिए यह आवश्यक है कि नये तैयार किये गये मानचित्र में किन्हीं दो स्थानों की दूरी और धरातल पर ईटीएस से मापी गयी समान दूरी समान होनी चाहिए.

डीजीपीएस से क्या होता है?

त्रि-सीमाना बिंदु का स्थान तय होने के बाद डीजीपीएस अवलोकन किया जाता है. डीजीपीएस एक ऐसी मशीन है जो सतह पर किसी भी बिंदु का सटीक स्थान मान अक्षांश-देशांतर के रूप में देती है. अक्षांश-देशांतर के इस मान को फिंगर प्रिंट की तरह समझा जा सकता है. यानी सतह पर किसी भी दो बिंदुओं का मान एक जैसा नहीं हो सकता. एक बार त्रि-सीमाना तय हो जाने के बाद माप और भविष्य की अन्य जरूरतों के लिए वहां एक स्तंभ स्थापित किया जाता है.

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अधिक जानकारी के लिए यहां कर सकते हैं संपर्क

इस प्रक्रिया को लेकर विभाग ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी समस्या, सुझाव या शिकायत के लिए विभाग के टोल फ्री नंबर 18003456215 पर संपर्क कर सकते हैं. इसके साथ ही, विभाग ने लोगों को इस प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी के लिए YouTube पर Directorate of Land Records and Survey Bihar चैनल की जानकारी लेने का भी सुझाव दिया है.

इस वीडियो को भी देखें: जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले से बिहार में कोहराम

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