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Bihar Assembly Byelection Results राजनीतिक दलों का तय होगा भविष्य, जदयू-राजद के लिए परीक्षा

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Bihar assembly byelection results विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम जदयू-राजद के लिए परीक्षा है. यह परिणाम ही राजनीतिक दलों का भविष्य भी तय करेगा. राजनीतिक पंडित बिहार के भविष्य की राजनीति के लिहाज से इसे महत्वपूर्ण मान रहे हैं.

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राजेश कुमार ओझा

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पटना. विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम जदयू-राजद के लिए परीक्षा है. यह परिणाम ही राजनीतिक दलों का भविष्य भी तय करेगा. राजनीतिक पंडित बिहार के भविष्य की राजनीति के लिहाज से इसे महत्वपूर्ण मान रहे हैं. यही कारण है कि सोमवार को नेताप्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दरभंगा के लिए रवाना हो गए. पटना से दरभंगा रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि कुछ बेईमान अधिकारियों और मंत्रियों के सहारे सरकार के लोग राजद प्रत्याशियों को हराने की साजिश रची जा रही है, जिसे राजद कामयाब नहीं होने देगा.

परिणाम तय करेगा भविष्य

लव कुमार मिश्रा का कहना है कि अगर जदयू की जीत होती है तो माना जाएगा कि राज्य सरकार के कामकाज को वोटरों ने पसंद किया. और अगर हार होती है तो सरकार में शामिल चारों दलों के लिए अपने काम काज पर मंथन की जरुरत होगी.इसी तरह अगर राजद की जीत होती है तो उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा. यह चुनाव परिणाम कांग्रेस को भी रास्ता दिखायेगा. उसके प्रदर्शन राजद के साथ उसका आगे का सफर को तय करेगा. आने वाले आम चुनावों में राजद और कांग्रेस के रिश्ते कैसे होंगे.

चुनाव में कसौटी पर कांग्रेस की साख

12 वर्षो के बाद बिहार में कांग्रेस राजद से अलग होकर दोनों सीटों पर अकेले मैदान में उतरी है. यही कारण है कांग्रेस के लिए तो यह परीक्षा की असली घड़ी है. पिछले चुनाव की तुलना में अगर उसे ज्यादा वोट मिलते है तो यह राजद के लिए वह मुश्किल खड़ी कर सकती है. वैसे राजद की हार में भी कांग्रेस की जीत छुपी है. कांग्रेस नेता भी स्वीकार कर रहे हैं कि हम वहां से जीतेंगे नहीं. लेकिन हार- जीत में हमारी महत्वपूर्ण भूमिका होगी. उनका कहना है कि हमारी दावेदारी को दरकिनार करके गठबंधन तोड़कर मैदान में राजद मैदान में उतरी थी. तेजस्वी के लिए यह अब जरूरी है कि दोनों सीटें जीतकर कांग्रेस उसे हैसियत बताए. ऐसा नहीं हुआ और जदयू जीत गया तो तेजस्वी की राह में कांग्रेस कांटे बिछाने की स्थिति में होगी.

नेतृत्व की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती

पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव से यह अलग है. तब दो गठबंधनों के बीच मुकाबला था. चिराग पासवान की लोजपा तीसरा कोण बनाया था. लेकिन इस दफा कांग्रेस के चलते चौथा कोण बना है. इस उपचुनाव का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि जीत के लिए सभी प्रतिभागी दलों ने दिन-रात एक कर दिया था. जदयू के वरिष्ठ नेताओं के साथ राज्य सरकार के कई मंत्रियों ने दोनों जगह पूरे चुनाव के दौरान कैंप किया. लालू परिवार के राजनीतिक उत्तराधिकारी को भी साबित करना है उसकी चमक-दमक अभी भी बरकरार है. यही कारण था कि राजद के विधायकों को तो एक-एक पंचायत का मुखिया बना दिया गया था. वहीं कांग्रेस ने अपनी खोयी जमीन को वापस प्राप्त करने के लिए भी अपनी टीम उतार दिया था.

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