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Bihar By-Elections: भाई से छीनी सीट, बेटे को हराया, जगदानंद सिंह का रामगढ़ में चलता है सिक्का

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Bihar By-Elections: डॉ लोहिया को शाहाबाद में सच्चिदानंद सिंह ही लाए थे और कर्पूरी ठाकुर को सीएम बनाने में भी उनकी अहम भूमिका थी. बाद के दिनों में सच्चिदानंद और जगदानंद में ही घमासान हुआ. जगदानंद ही लगातार जीतते रहे.

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Bihar By-Elections: पटना. बिहार के चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इसमें रामगढ़, इमामगंज, बेलागंज और तरारी शामिल है. रामगढ़ विधानसभा का इतिहास यह है कि रामगढ़ विधानसभा सीट कैमूर जिलें के अन्तर्गत आती है, लेकिन इस विधानसभा का लोकसभा क्षेत्र बक्सर हैं. यह विधानसभा सीट क्षेत्र 1952 के प्रथम बिहार विधानसभा चुनाव के समय अस्तित्व में आया.

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चौथी विधानसभा से है परिवार का कब्जा

रामगढ़ सीट का इतिहास 1952 से शुरू जरूर होता है, लेकिन 1967 के बाद इस सीट पर एक ही नेता के परिवार का कब्जा रहा है. यहां से कभी सच्चिदानंद सिंह जीतते थे. ऐसा कहा जाता है कि डॉ लोहिया को शाहाबाद में सच्चिदानंद सिंह ही लाए थे और कर्पूरी ठाकुर को सीएम बनाने में भी उनकी अहम भूमिका थी. बाद के दिनों में सच्चिदानंद और जगदानंद में ही घमासान हुआ. जगदानंद ही लगातार जीतते रहे. पहले लोकदल और बाद के दिनों में जनता दल होते हुए राष्ट्रीय जनता दल.

जगदानंद के भाई बने विधायक

1967 में सच्चिदानंद सिंह संसोपा के टिकट पर पहली चुनाव जीते, लेकिन 2 साल के बाद ही 1969 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुआ और इस चुनाव में विश्वनाथ राय ने सच्चिदानंद सिंह को पटखनी दे दी, लेकिन 1972 के विधानसभा चुनाव में सच्चिदानंद सिंह ने एक बार फिर जीत का परचम लहराया. 1977 मे भी उन्होने जीत दर्ज की और कर्पूरी ठाकुर के मुख्‍यमंत्रित्‍व वाली सरकार में वह सिंचाई मंत्री भी बने.

जगदानंद ने भाई की सीट जीत ली

फिर आया 1980 का चुनाव. इस चुनाव में सच्चिदानंद सिंह के सामने थे जगदानंद सिह. सच्चिदानंद सिंह को उस वक्‍त धक्‍का लगा जब अपने ही भाई जगदानंद सिंह ने रामगढ़ सीट पर न‍िर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल कर दिया. इस चुनाव में जगदानंद सिंह जीते तो नहीं, लेकिन भाई की हार का कारण जरूर बने. दोनों भाइयों की इस लड़ाई में जीत मिली कांग्रेस की प्रभावती सिंह को. इस हार के बाद सच्चिदानंद सिंह टूट गए थे.

जगदानंद के बड़े बेटे बने विधायक

1985 के विधानसभा चुनाव में सच्चिदानंद सिंह चुनाव मैदान में नहीं उतरे. जगदानंद सिंह यहां से बड़े अंतर के साथ विजयी हुए. 1985 से 2009 तक रामगढ़ से विधायक रहे. 1990 से लेकर 2005 तक जगदानंद सिंह लगातार 15 वर्षो तक बिहार सरकार में मंत्री रहे. 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर से पर दांव आजमाया और सुधाकर सिंह प्रतिकूल माहौल में यहां से चुनाव जीत गए. अब एक बार फिर सुधाकर सिंह के लोकसभा चुनाव जीत जाने के बाद रामगढ़ में उपचुनाव हो रहा हैं.

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जगदानंद के छोटे बेटे हैं मैदान में

इस बार रामगढ़ सीट पर होने वाले विधानसभा उप चुनाव में राजद के तरफ से अजीत सिंह प्रत्याशी बनाए गए हैं. अजीत सिंह बिहार राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे बेटे हैं. उनके बड़े भाई सुधाकर सिंह बक्सर से सांसद हैं, तो वहीं भाजपा ने समाजवाद की धरती पर पहली बार 2015 में जीत दिलाने वाले अशोक सिंह को चुनावी मैदान में उतारा हैं. जन सुराज ने सुशील कुमार सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है.

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