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स्वतंत्रता दिवस 2020 : पटना का गांधी मैदान कभी बांकीपुर मैदान के नाम से जाना जाता था, जानें 1948 के इस पत्र से पूरी कहानी…

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Independence Day 2020, History of bihar Independence day : पटना: आजादी के उत्सव का समारोह हो , किसी राजनीतिक दल की रैली या फिर किसी नेता का आंदोलन बिहार में अक्सर इसके लिए पटना के गांधी मैदान को ही जगह के रूप में चुना जाता है. दरअसल, पटना का गांधी मैदान एक मजबूत इतिहास की निशानी है. यहां के दिए भाषणों ने देश की दिशा और दशा दोनो को बदला है. यहां के आंदोलन ने कई नेताओं को बुलंदियों पर पहुंचाया है. इसे कभी बांकीपुर मैदान के नाम से जाना जाता था. जो देश के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का मूक गवाह रहा है.

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पटना: आजादी के उत्सव (Independence Day 2020) का समारोह हो , किसी राजनीतिक दल की रैली या फिर किसी नेता का आंदोलन बिहार में अक्सर इसके लिए पटना के गांधी मैदान (Patna Gandhi maidan) को ही जगह के रूप में चुना जाता है. दरअसल, पटना का गांधी मैदान एक मजबूत इतिहास की निशानी है. यहां के दिए भाषणों ने देश की दिशा और दशा दोनो को बदला है. यहां के आंदोलन ने कई नेताओं को बुलंदियों पर पहुंचाया है. इसे कभी बांकीपुर मैदान के नाम से जाना जाता था. जो देश के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का मूक गवाह रहा है.

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महात्मा गांधी की हत्या के बाद इसका नाम 1948 में गांधी मैदान

महात्मा गांधी की हत्या के बाद इसका नाम 1948 में स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ से पहले उनके सम्मान में उनके नाम पर कर दिया गया था. अभिलेखीय दस्तावेजों के अनुसार, अंडाकार आकार के इस मैदान को अब ‘गांधी मैदान’ के नाम से जाना जाता है. यह मैदान आजादी के बाद से राज्य में स्वतंत्रता दिवस समारोह का स्थान रहा है. पहले इसे ‘बांकीपुर मैदान’ या ‘पटना लॉन’ कहा जाता था.यह मैदान जेपी के संपुर्ण क्रांति का जिवंत उदाहरण बनकर पटना के ह्दय में बसा हुआ है. वहीं मोहम्मद अली जिन्ना ने 1938 में इसी मैदान से कभी कांग्रेस के खिलाफ मुस्लिम लीग की एक एतिहासिक रैली को संबोधित किया था. सुभाष चंद्र बोस के संबोधन की याद गांधी मैदान ने अपने सीने में संजोकर रखा है.

प्रसिद्ध किला हाउस के जालान परिवार के पास 1948 का दुर्लभ पत्र

यहां के प्रसिद्ध किला हाउस के जालान परिवार के दुर्लभ निजी संग्रहों के अनुसार, गांधी मैदान नाम का इस्तेमाल 15 अगस्त, 1948 को भारत की स्वतंत्रता की पहली वर्षगांठ के समारोह के लिए छपे आधिकारिक निमंत्रण पत्रों में किया गया था. आदित्य जालान (43) ने कहा कि उन्हें संयोग से स्वतंत्रता दिवस समारोह का एक दुर्लभ निमंत्रण पत्र मिला जो कि उनके परदादा दीवान बहादुर राधा कृष्ण जालान के नाम का था. जालान ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘गांधीजी की 30 जनवरी, 1948 को हत्या कर दी गई थी और उसी वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ थी.

अंग्रेजों के शासन के दौरान इसे बांकीपुर मैदान के रूप में जाना जाता था

हमारे विशाल पारिवारिक अभिलेखागार से मुझे दो अलग-अलग निमंत्रण पत्र मिले, जिनमें से एक 1945 का था जिसमें स्थल का उल्लेख ‘बांकीपुर मैदान’ जबकि दूसरा 1948 का था जिसमें, उसे ‘गांधी मैदान’ कहा गया है.” इससे पता चलता है कि अंग्रेजों के शासन के दौरान इसे बांकीपुर मैदान के रूप में जाना जाता था और स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ के समारोह से पहले उसका फिर से नामकरण किया गया.

पटना प्रशासन द्वारा जारी किए गए निमंत्रण पत्र में तब लिखा गया…

पटना प्रशासन द्वारा जारी किए गए निमंत्रण पत्र में लिखा गया है, ‘‘जिलाधिकारी, पटना आग्रह करते हैं कि दीवान बहादुर राधा कृष्ण जालान 15 अगस्त, रविवार सुबह 9 बजे गांधी मैदान, बांकीपुर में उपस्थित होकर अनुग्रहीत करें, जब बिहार के माननीय राज्यपाल स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ के अवसर पर ध्वजारोहण करेंगे और सेना, पुलिस और होम-गार्ड की एक संयुक्त परेड की सलामी लेंगे.”

गांधी मैदान का नाम बदलने का अनुरोध उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर के एक स्कूल शिक्षक ने किया

बिहार राज्य अभिलेखागार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, गांधी मैदान का नाम बदलने का अनुरोध उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर के एक स्कूल शिक्षक ने महात्मा गांधी की हत्या के तुरंत बाद किया था. अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारे अभिलेखागार के रिकॉर्ड के अनुसार, मुजफ्फरपुर जिले के एक शिक्षक ने सरकारी अधिकारियों को एक पत्र भेजा था, जिसमें गांधी के सम्मान में बांकीपुर मैदान का नाम बदलने का अनुरोध किया गया था, जिनकी जनवरी 1948 में हत्या कर दी गई थी. उन्होंने गांधी लॉन, गांधी पार्क या महात्मा गांधी मैदान सहित विभिन्न नामों का उपयोग करने का सुझाव दिया था. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि इसमें बापू का नाम होना चाहिए.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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