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सुपर-30 के संचालक आनंद कुमार ने प्रभात खबर को बताया निष्पक्ष खबरों वाला अखबार, पुरानी यादों को साझा किया

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सुपर-30 के संचालक आनंद कुमार ने प्रभात खबर को निष्पक्ष खबरों वाला अखबार बताया है. उन्होंने इस अखबार से जुड़ी अपनी पुरानी यादों को ताजा किया है. आनंद कुमार ने कहा कि प्रभात खबर से मेरी न जाने कितनी स्मृतियां जुड़ी हुई हैं. अगर मैं इसे लिखना शुरू करूं, तो शायद जगह कम पड़ जायेगी. जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था और हमारे पिताजी पोस्टल डिपार्टमेंट में रेलवे मेल सर्विस में थे, एक बार वह मुझे रांची ले गये. वहां देखा कि चाय दुकान से लेकर कार्यालय तक हर जगह लोग प्रभात खबर ही पढ़ रहे थे. उसके बाद मेरा इंटरेस्ट प्रभात खबर की और हुआ. वापस आने के बाद अक्सर सोचा करता था कि यहां प्रभात खबर कब पढ़ने को मिलेगा. 25 साल पहले यह इंतजार समाप्त हुआ. मैंने प्रभात खबर को पढ़ना शुरू किया. हालांकि, दूसरे अखबारों को भी मैं पढ़ता रहा.

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सुपर-30 के संचालक आनंद कुमार ने प्रभात खबर को निष्पक्ष खबरों वाला अखबार बताया है. उन्होंने इस अखबार से जुड़ी अपनी पुरानी यादों को ताजा किया है. आनंद कुमार ने कहा कि प्रभात खबर से मेरी न जाने कितनी स्मृतियां जुड़ी हुई हैं. अगर मैं इसे लिखना शुरू करूं, तो शायद जगह कम पड़ जायेगी. जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था और हमारे पिताजी पोस्टल डिपार्टमेंट में रेलवे मेल सर्विस में थे, एक बार वह मुझे रांची ले गये. वहां देखा कि चाय दुकान से लेकर कार्यालय तक हर जगह लोग प्रभात खबर ही पढ़ रहे थे. उसके बाद मेरा इंटरेस्ट प्रभात खबर की और हुआ. वापस आने के बाद अक्सर सोचा करता था कि यहां प्रभात खबर कब पढ़ने को मिलेगा. 25 साल पहले यह इंतजार समाप्त हुआ. मैंने प्रभात खबर को पढ़ना शुरू किया. हालांकि, दूसरे अखबारों को भी मैं पढ़ता रहा.

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कुमार कहते हैं कि मेरी कोचिंग की शुरुआती दिनों की ही बात थी, इस अखबार में एक खबर छपी ₹10 में इंजीनियर बनाते हैं आनंद. यह सुपरहिट स्टोरी थी. उसके बाद तो पूरे बिहार-झारखंड से न जाने कितने बच्चे हमसे मिलने आये. यहां अप्लाइ किया. उस समय इसके प्रभाव का भी पता चला कि बिहार-झारखंड के दूरदराज के क्षेत्रों तक इस अखबार की कितनी लोकप्रियता थी. बाद में प्रभात खबर के कई कार्यक्रमों में भाग लेने का मौका मिला.

आनंद कुमार ने कहा कि गांधी मैदान में श्री श्री रविशंकर आये हुए थे और प्रभात खबर के माध्यम से मुझे और दशरथ मांझी दोनों को एक साथ सम्मानित किया गया. यह याद मेरे मस्तिक से अब तक नहीं मिटा. प्रभात खबर आईने की तरह खबरों को रखता है, न बढ़ा-चढ़ा कर लिखता है और न ही कम. बिल्कुल जितनी जरूरत, उतनी खबरों को देता है. गरीब-अमीर के बीच अंतर किये बगैर खबरों को निष्पक्ष तरीके से रखता है.

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11 जुलाई को प्रभात खबर के पटना एडिशन के 25 साल पूरे हो रहे हैं. अखबार को मेरी शुभकामनाएं हैं. अगर सही सलामत रहा तो 50 वर्ष पूरा होने पर भी मैं इसी तरह मैसेज देना चाहूंगा. उस दिन का मुझे इंतजार रहेगा.

– आनंद कुमार

Posted By: Thakur Shaktilochan

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