20.1 C
Ranchi
Thursday, February 6, 2025 | 04:39 am
20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Ekadashi Vrat Katha: एकादशी व्रत आज, इस कथा को पढ़े बिना पूजा मानी जाती है अधूरी, जानें ये जरूरी बातें

Advertisement

Ekadashi Vrat Katha: आज एकादशी व्रत है. मान्यता है कि इस एकादशी तिथि को व्रत करने पर घर में खुशहाली आती है, तनाव से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि इस एकादशी व्रत पूजा के बाद कथा सुनना या पढ़ना जरूरी होता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Parivartini Ekadashi Vrat Katha: आज परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. परिवर्तिनी एकादशी को जलझूलनी एकादशी, पद्म एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल परिवर्तिनी एकादशी तिथि 06 सितंबर 2022 दिन मंगलवार को रखा जाएगा. साल में पड़ने वाली 24 एकादशी तिथियों में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस एकादशी तिथि को व्रत करने पर घर में खुशहाली आती है, तनाव से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि इस एकादशी व्रत पूजा के बाद कथा सुनना या पढ़ना जरूरी होता है. नहीं तो पूजा और व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता. इस एकादशी के व्रत की कथा स्वंय भगवान कृष्ण ने युदिष्ठिर को बताई थी. श्रीकृष्ण ने कहा था कि इस कथा को मात्र पढ़ने से व्यक्ति के पाप क्षणभर में नष्ट हो जाते हैं.

- Advertisement -

परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में बलि नाम का एक असुर राजा था. असुर होने के बाद भी वह बहुत बड़ा महादानी था. इसके साथ ही राजा बलि भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था. प्रतिदिन वह वैदिक विधियों के साथ वह भगवान का नित्य पूजन किया करता था. असुर राजा के द्वार से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता था. सभी देवी देवताओं के कहने पर भगवान विष्णु ने पदमा एकादशी के दिन वामन अवतार लिया था.

भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि की परीक्षा ली थी

मान्यता है कि भगवान विष्णु अपने वामनावतार में राजा बलि की परीक्षा ली थी. राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया था, लेकिन उसमें एक गुण यह था कि वह किसी भी ब्राह्मण को खाली हाथ नहीं भेजता था उसे दान अवश्य देता था. दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने उसे भगवान विष्णु की लीला से अवगत भी करवाया, लेकिन फिर भी राजा बलि ने वामन स्वरूप भगवान विष्णु को तीन पग भूमि देने का वचन दे दिया.

Also Read: Padma Ekadashi 2022: पदमा एकादशी व्रत कल, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियम और व्रत कथा
भगवान विष्णु ने दो पग में नाप दिये समस्त लोक

इसके बाद दो पगों में ही भगवान विष्णु ने समस्त लोकों को नाप दिया. तीसरे पग रखने के लिये कुछ नहीं बचा तो बलि ने अपना वचन पूरा करते हुए अपना शीष उनके पग के नीचे कर दिया. इसके बाद भगवान विष्णु ने उसके शीष पर तीसरा पग रख दिये. पग रखते ही बलि राजा पलात लोग चले गये. भगवान विष्णु की कृपा से बलि पाताल लोक में रहने लगा, लेकिन साथ ही उसने भगवान विष्णु को भी अपने यहां रहने के लिये वचनबद्ध कर लिया था. मान्यता है कि वामन अवतार की इस कथा को सुनने और पढ़ने वाला व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा रहती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें