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भारत में पाकिस्तानी फंडिंग का NIA कर सकती है जांच! ATS ने जेल में बंद बिहार के 3 एजेंटों से की पूछताछ

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भारत में पाकिस्तानी फंडिंग का बड़ा खुलासा बिहार पुलिस ने किया है. पूर्णिया पुलिस के द्वारा तीन युवकों को गिरफ्तार किया गया है जो एजेंट के तौर पर नेपाल से पैसे लाकर भारत के बैंक खातों में इसे डालते थे. अब इस मामले में NIA की भी जांच शुरू हो सकती है.

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Pakistani Funding News: बिहार में पाकिस्तानी फंडिंग के नेटवर्क का चौंकाने वाला खुलासा पिछले दिनों हुआ है. नेपाल के रास्ते भारत में पाकिस्तान की ओर से की जा रही फंडिंग के मामले में पुलिस की जांच अब तेज हो गयी है. वहीं रोज नए-नए खुलासे भी अब इस मामले में हो रहे हैं. आतंकवाद निरोधक दस्ता भी अब इस मामले की जांच में जुट चुका है जबकि इसकी जांच अब जिस दिशा में जा रही है और नेटवर्क के तार बिहार से बाहर उत्तर प्रदेश व नोएडा वगैरह में मिले हैं, ऐसी संभावना है कि एनआइए भी इस जांच में शामिल हो सकती है. बिहार पुलिस मुख्यालय इस मामले को लेकर बेहद सख्त है.

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पाकिस्तान में बैठकर पूरा खेल ऑपरेट कर रहा आका

पूर्णिया पुलिस ने अररिया के रहने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जो पाकिस्तान से ऑनलाइन माध्यम से नेपाल में आये पैसे को कैश कराकर भारत में खपाने वाले अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के एजेंट का काम करते थे. इन तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद पूर्णिया पुलिस जब पूरे नेटवर्क का पता लगाने में जुटी तो कई अहम खुलासे हुए. जांच में पता चला कि भारत के विभिन्न बैंक खातों में सौ करोड़ से अधिक का ट्रांजेक्शन पाकिस्तान कर चुका था. भाया नेपाल यह ट्रांजेक्शन होता था. इस गिरोह का आका पाकिस्तान में बैठकर पूरा खेल ऑपरेट करता है. गरीब व भोले-भाले लोगों का बैंक खाता पड़ोसी देश नेपाल में खुलवाया जाता था. इसका कमिशन इन्हें मजबूत मिलता था. नेपाल में खाता खुलवाकर फिर उन खातों से पैसे निकालकर ये भारत लाते थे. इसके बाद पाकिस्तानी हैंडलर इन्हें बताता था कि किन अकाउंट में ये पैसे डालने हैं.

Also Read: बिहार में पाकिस्तानी फंडिंग का नेटवर्क खंगाल रही पुलिस, भारत में 100 करोड़ से अधिक का हो चुका है ट्रांजेक्शन..
यूपी-ओडिशा समेत कई राज्यों में जमा हुए पैसे, NIA कर सकती है जांच!

भारत में पाकिस्तानी फंडिंग की वजह तो अभी सामने नहीं आयी है लेकिन इस दौरान कई बड़े खुलासे हुए. पिछले एक साल में पाकिस्तानी हैंडलर ने नेपाल के जरिए जो पैसे भारत भेजे उसमें 70 प्रतिशत पैसे यूपी के फैजाबाद में भेजे गए थे. ओडिसा के भी कई बैंक खातों में पैसे भेजे गए थे. यूपी के नोएडा स्थित एक बैंक का एकाउंट पुलिस को अनुसंधान के क्रम में हाथ लगा. जिसमें 1.68 करोड़ रुपये जमा किये गये थे. पुलिस ने इस बैंक खाते को फिलहाल फ्रीज कर दिया है. जांच टीम को ऐसे एक दर्जन से अधिक बैंक खातों की जानकारी मिली है जिसमें बड़े पैमाने पर पैसे जमा किये गये हैं. वहीं पूर्णिया एसपी ने कहा कि इस मामले में अभीतक एनआइए की एंट्री नहीं हुई है लेकिन अगर एनआइए इस मामले की जांच करती है तो पुलिस पूरा सहयोग करेगी.

पैसे का लालच देकर युवाओं को जाल में फंसा रहा पाकिस्तान

पाकिस्तानी फंडिंग के इस धंधे में सैकड़ों लोग शामिल हैं. यह रैकेट काफी बड़ा है जो युवकों को पैसे का लालच देकर इस जाल में फंसाता है. नेपाल से सटी सीमावर्ती इलाकों के लोग अधिक इनके रडार पर रहते हैं. कम समय में अधिक पैसे कमाने के लालच में ये युवक इस धंधे में जुड़ जाते हैं. सीमावर्ती क्षेत्र दशकों से टेरर फंडिंग और आतंकी पनाह स्थल के रूप में शुमार रहा. लेकिन अब टेरर फंडिंग के साथ हवाला कारोबार वगैरह भी तेजी से बढ़ा है. पकड़े गए तीनों भारतीय जासूस नेपाल में मटर का कारोबार करते थे. जानकारी के अनुसार, ये तीनों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी. अचानक ये अमीर बन गए.

पुलिस मुख्यालय से पहुंची एटीएस की टीम

पुलिस मुख्यालय से पहुंची एटीएस की चार सदस्यीय टीम ने पाकिस्तानी फंडिंग मामले में सेंट्रल जेल में बंद तीन भारतीय एजेंटों से पूछताछ की. मंगलवार दोपहर बाद पहुंचे एटीएस की टीम ने बंद कमरे में तीनों भारतीय एजेंटों से करीब तीन घंटे तक गहन पूछताछ की. जेल अधीक्षक राजीव कुमार झा ने बताया कि पुलिस मुख्यालय से पहुंची टीम को जेल में बंद अररिया जिले के तीन बंदियों से मुलाकात करायी गये. टीम को मुलाकात की व्यवस्था एक अलग कमरे में की गयी. मुलाकात के बाद टीम वापस पटना चली गयी. सूत्र के अनुसार, टीम ने गिरफ्तार तीनों भारतीय एजेंटों से अलग-अलग पूछताछ की. पूछताछ के दौरान टीम ने पाकिस्तानी फंडिंग के नेटवर्क को समझने का प्रयास किया. सूत्रों के अनुसार करीब तीन घंटे की पूछताछ में भारतीय एजेंटों ने कई राज खोले.

जेल में बंद तीन एजेंटों से की पूछताछ..

जेल अधीक्षक ने बताया कि पाकिस्तान फंडिंग मामले में जेल में बंद तीनों बंदियों को पूरी सुरक्षा में रखा गया है. तीनों को अलग-अलग सेल में रखकर वहां संतरी की तैनाती की गयी है. इस मामले को लेकर एसपी आमिर जावेद ने बताया कि पटना से एटीएस के इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी पूर्णिया पहुंचकर पाकिस्तानी फंडिंग मामले में सेंट्रल जेल में बंद तीन बंदियों से पूछताछ की है.गौरतलब है कि विगत 10 दिसंबर को पाकिस्तान से ऑनलाइन माध्यम से नेपाल में आये पैसे को कैश करा भारत में खपानेवाले अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के तीन भारतीय एजेंट को पूर्णिया पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस मामले में पाकिस्तानी हैंडलर का पता भी चला है. जबकि तीनों पकड़े गये एजेंट नेपाल का काम देखते थे. तीनों अररिया जिले के रहनेवाले हैं.

कैसे चलता था पूरा खेल..

जांच टीम बताती है कि पाकिस्तान से वाया नेपाल होकर जो पैसे भारत आ रहे हैं यह बैंक में खोले जाने वाले म्यूल अकाउंट के जरिए ट्रांजेक्शन किए जा रहे हैं. भारत के एजेंट गरीब और भोले-भाले लोगों का बैंक में खाता खुलवाते हैं. इन खातों से कुछ रकम निकालकर खाताधारक को दे दिया जाता है. उन्हें यह भी मालूम नहीं रहता है कि उनका खाता किसने खुलवाया है. उसके बाद इस खाते से ट्रांजेक्शन होता है. नेपाल के दो बैंकों के खातों में पाकिस्तान पैसे भेजता है. भारतीय एजेंट इन नेपाली करेंसी को भारतीय करेंसी में कैश कराते हैं. फिर पाकिस्तानी हैंडलरों के निर्देश पर विभिन्न बैंक खातों में ये एटीएम केंद्र के सीडीएमए मशीन से ही सीधे पैसे भेज देते हैं.

कैसे हुआ खुलासा..

बीते 1 दिसंबर को जब एक व्यक्ति का मोबाइल खो गया तो उसने थाने में शिकायत की. उस मोबाइल में पे फोन होने की सूचना पुलिस को दी. अनुसंधान के दौरान मोबाइल पुलिस ने बामद कर लिया. लेकिन जांच में पता चला कि उक्त पे फोन से ऑनलाइन शॉपिंग की गयी. साइबर फ्रॉड का मामला मानकर जब जांच शुरू की गयी तो जलालगढ़ के पास से तीन अपराधियों को गिरफ्तार किया गया जो अररिया के रहने वाले थे. जब तीनों से सख्ती से पूछताछ शुरू की गयी तो पाकिस्तानी हैंडलर से कनेक्शन का पूरा खेल सामने आया.

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