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लोकसभा चुनाव में टूट रही पुराने प्रतिद्वंदियों की जोड़ी, 35 सीटों पर पुराने से टकरा रहे नये उम्मीदवार

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लोकसभा चुनाव में बिहार की कुछ ही सीटों पर पुराने प्रतिद्वंद्वियों के बीच टक्कर हो रही है. पाटलिपुत्र में लगातार तीन चुनावों से रामकृपाल और मीसा भारती के बीच मुकाबला हो रहा, मुंगेर में बदलते रहे हैं ललन सिंह के प्रतिद्वंद्वी

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पिछले कई लोकसभा चुनाव से आमने-सामने मैदान में डटी प्रतिद्वंद्वी जोड़ियां टूट रही हैं. कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां हर चुनाव में एक उम्मीदवार बदल जा रहा, जबकि मुख्य मुकाबले में रहने वाला दूसरे उम्मीदवार इस बार भी मैदान में डटे हैं. पटना साहेब ऐसा ही क्षेत्र है, जहां पिछली बार की तुलना में भाजपा के रविशंकर प्रसाद के सामने कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा मैदान में नहीं हैं. यहां कांग्रेस ने उनके मुकाबले नये प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. जबकि, पाटलिपुत्र की सीट पर लगातार लोकसभा के तीसरे चुनाव में भाजपा के रामकृपाल यादव का मुकाबला राजद की मीसा भारती से हो रहा है. यहां 2014, 2019 की तरह इस बार भी दोनों मुख्य प्रतिद्वंद्वी वही हैं.

पटना से सटे जहानाबाद और अंग प्रदेश के बांका लोकसभा सीट का राजनीतिक इतिहास भी कुछ इसी प्रकार रहा है. इनके अलावा कटिहार और मुजफ्फरपुर में भी पुरानी जोड़ियां ही आमने-सामने हैं. 35 सीटें ऐसी हैं, जहां इस बार पुरानी प्रतिद्वंदियों की जोड़ी टूट गयी है.

सारण : रुडी के सामने रोहिणी

सारण में भाजपा के राजीव प्रताप रूडी की लालू परिवार से चुनावी जंग होती रही है. लालू प्रसाद से मुकाबले के बाद 2014 में रूडी की टक्कर राबड़ी देवी से हुई. 2019 के चुनाव में लालू-राबड़ी के समधी पूर्व मंत्री चंद्रिका राय से मुकाबला हुआ. इस बार सारण में रूडी के मुकाबले लालू-राबड़ी की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्या मैदान में हैं.

बांका में गिरधारी यादव से फिर टकरायेंगे जयप्रकाश यादव

बांका में पिछले चुनाव में जदयू के गिरधारी यादव और राजद के जयप्रकाश नारायण यादव के बीच मुकाबला हुआ था. इसके पहले हुए लोकसभा के पांच चुनावों में राजद के जयप्रकाश नारायण यादव उम्मीदवार रहे. इनमें 2014 में उन्हें जीत भी मिली. इस बार भी दोनों चिर परिचित उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक कर चुनाव मैदान में हैं.

जहानाबाद : इस बार भी चंदेश्वर चंद्रवंशी और सुरेंद्र यादव में मुकाबला

जहानाबाद की सीट पर भी 2019 की ही तरह ही दो मुख्य प्रतिद्वंदी आमने-सामने हैं. एनडीए में जदयू ने पिछली बार की तरह इस बार भी चंदेश्वर चंद्रवंशी को उम्मीदवार बनाया है. उनके मुकाबले राजद ने 2019 के ही उम्मीदवार सुरेंद्र प्रसाद यादव को प्रत्याशी घोषित किया है. दोनों ही पुराने प्रतिद्वंदी अपनी जीत सुनिश्चित करने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं.

मुंगेर में ललन सिंह का दो चुनावों में महिला प्रतिद्वंद्वी से हुआ मुकाबला, इस बार भी वही स्थिति

मुंगेर लोकसभा सीट पर 2009 से हुए चार चुनावों में जदयू के ललन सिंह ही उम्मीदवार होते आये हैं. खास बात यह कि 2009 के बाद अगले दो चुनावों में उन्हें मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में महिला उम्मीदवार से ही मुकाबला करना पड़ा. 2014 के चुनाव में लोजपा की वीणा देवी से उन्हें पराजित हो जाना पड़ा था. जबकि, 2019 में उन्होने कांग्रेस की नीलम देवी को उन्होंने पराजित किया. इस बार राजद की अनिता देवी से उनकी कड़ी टक्कर है.

उजियारपुर में नित्यानंद के सामने हैं उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी आलोक मेहता

उजियारपुर में भी दो पुराने प्रतिद्वंदी आमने सामने हैं. 2014 के चुनाव में भाजपा के नित्यानंद राय का मुकाबला राजद के आलोक मेहता से हुआ था. इस बार के चुनाव में भी यही जोड़ी चुनाव मैदान में है. पिछली दफा 2019 में नित्यानंद राय को उपेंद्र कुशवाहा से चुनौती मिली थी. उपेंद्र कुशवाहा इस बार काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

कटिहार और मुजफ्फरपुर में 2019 के प्रतिद्वंदी एक बार फिर हैं आमने-सामने

कटिहार में भी दो पुराने प्रतिद्वंदी आमने-सामने हैं. कांग्रेस के तारिक अनवर का पिछली दफा भी जदयू के दुलालचंद गोस्वामी से मुकाबला था. इस बार भी यही दोनों उम्मीदवार आमने-सामने हैं. मुजफ्फरपुर में पिछले चुनाव में मुख्य मुकाबले में रहे दो प्रतिद्वंदियों का आमना-सामना हो रहा है. फर्क इतना है कि दोनों ने दूसरे दल का दामन थाम लिया है. 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते अजय निषाद का मुकाबला वीआइपी के डॉ राजभूषण चौधरी निषद से हुआ था. डा राजभूषण दूसरे नंबर पर रहे थे और अजय निषाद की जीत हुई. इस बार भाजपा ने अजय निषाद का टिकट काट दिया और उनकी जगह उनसे हारने वाले डॉ राजभूषण चौधरी निषाद को अपना उम्मीदवार बनाया है. नाराज अजय निषाद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है.

छह बार के सांसद राधामोहन के सामने हर बार नये उम्मीदवार

पूर्वी चंपारण के मौजूदा सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह पिछले छह चुनावों से जीतते रहे है. उनके सामने हर बार नये उम्मीदवार आते हैं. पिछले तीन चुनावों की बात करें, तो 2009 के चुनाव में उनके मुकाबले कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह रहे. 2014 के चुनाव में राजद के विनोद कुमार श्रीवास्तव रहे. 2019 के चुनाव में अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकश सिंह दूसरे नंबर पर रहे. इस बार राधामोहन सिंह के सामने वीआइपी के राजेश कुशवाहा उम्मीदवार बनाये गये हैं.

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