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नीतीश कुमार ने जतायी कम वर्षा पर चिंता, बोले- किसानों को मिले डीजल अनुदान और 12 घंटे उपलब्ध हो बिजली

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मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को नहरों के अंतिम छोर तक कृषि के लिए पानी पहुंचाने और इसकी मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया. साथ ही अन्य अधिकारियों से कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के कार्यों की लगातार निगरानी करते रहें.

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पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस माॅनसून सीजन में कम बारिश होने पर चिंता जतायी है. शुक्रवार को उन्होंने कृषि कार्य में सहूलियत के लिए किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराने का अधिकारियों को निर्देश दिया है. साथ ही अधिकारियों से कहा कि किसानों को डीजल अनुदान सहित 12 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कराएं. धान रोपनी समय पर हो जाए, इसके लिए जल संसाधन विभाग एवं लघु जल संसाधन विभाग सिंचाई के लिए आवश्यक प्रबंध करे. साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की सप्ताह में होनेवाली बैठक नियमित रूप से करने और हर स्थिति पर नजर बनाये रखने के लिए कहा है. मुख्यमंत्री ने 01 अणे मार्ग स्थित ”संकल्प” में अल्प वर्षापात से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की.

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नहरों के अंतिम छोर तक पहुंचे पानी

मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को नहरों के अंतिम छोर तक कृषि के लिए पानी पहुंचाने और इसकी मॉनीटरिंग करने का निर्देश दिया. साथ ही अन्य अधिकारियों से कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के कार्यों की लगातार निगरानी करते रहें. लोगों के लिए पेयजल की उपलब्धता हमेशा रहे, यह सुनिश्चित करें. उन्होंने कहा कि सभी संबद्ध विभाग पूरी तरह अलर्ट रहें. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भी स्थिति पर नजर बनाये रखें. उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी नहीं होने दी जायेगी. राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है. राज्य के 75% लोगों की आजीविका का आधार कृषि है.

1 जून से 21 जुलाई तक 41% कम बारिश

बैठक में मुख्यमंत्री को भारत मौसम विज्ञान के प्रतिनिधि ने बताया कि 21 जुलाई से 27 जुलाई के बीच हल्की बारिश की संभावना है. इस वर्ष जून में 85 मिमी बारिश हुई. यह सामान्य से 163.3 मिमी से 48% कम है. 1 जुलाई से 21 जुलाई तक 152.30 मिमी बारिश हुई. यह सामान्य वर्षापात 242.4 मिलीमीटर से 47% कम है. 1 जून से 21 जुलाई तक 238.3 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 405.7 मिमी से 41% कम है.

चार जिले में सामान्य बारिश

आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने मुख्यमंत्री को बताया कि अब तक चार जिले बक्सर, किशनगंज, भागलपुर एवं अररिया में सामान्य बारिश हुई है.

26 जिलों में सामान्य से कम वर्षा

अपर मुख्य सचिव ने सीएम को बताया सीवान, सुपौल, रोहतास, अरवल, कटिहार, भोजपुर, औरंगाबाद, बांका, लखीसराय, भभुआ, मधुबनी, गया, जमुई, दरभंगा, शेखपुरा, वैशाली, मधेपुरा, पूर्णिया, नवादा, जहानाबाद, खगड़िया, मुंगेर, पटना, नालंदा, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर में सामान्य से कम बारिश हुई है.

आठ जिलों में नाम मात्र की बारिश

समस्तीपुर, सहरसा, सारण, बेगूसराय, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी में अल्प वर्षापात की स्थिति रही है. उन्होंने जिलावार धान के बिचड़े का आच्छादन, धान की रोपनी का आच्छादन और मक्के की बुआई की स्थिति की जानकारी दी.

राज्य में अब तक मात्र 42 फीसदी ही हुई धान की रोपनी

बिहार में अब तक 42 फीसदी ही धान की रोपनी हुई है. सहरसा प्रमंडल में सबसे अधिक 85 फीसदी तथा भागलपुर प्रमंडल में सबसे कम चार प्रतिशत ही धान की रोपनी हुई है. मगध में 9, मुंगेर में 13 और पटना में 30 फीसदी धान की रोपनी हुई है. दरभंगा में 45, तिरहुत में 65, सारण में 50 तथा पूर्णिया में 80 फीसदी धान की रोपनी हुई है. इस समय तक जरूरत से 40 फीसदी कम बारिश हुई है. सीतामढ़ी, शिवहर, पश्चिमी व पूर्वी चंपारण में सबसे कम बारिश हुई है. वहीं, राज्य में सौ फीसदी धान के बिचड़े डाले जा चुके हैं. कृषि विभाग के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में इस साल अधिक ही धान की रोपनी हुई है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अभी सूखा तो नहीं है. मगर, सूखे से इन्कार भी नहीं किया जा सकता है.

ये रहे मौजूद

बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष उदयकांत मिश्रा, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य पीएन राय, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ, पथ, स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी, ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव संजीव हंस, कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्यपदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य वरीय पदाधिकारी और भारत मौसम विज्ञान के प्रतिनिधि उपस्थित थे.

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