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Nitish Kumar Cabinate: सीमांचल की राजनीति को साधने में सफल होंगे पहली बार मंत्री बने शाहनवाज आलम

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नीतीश कुमार ने कैबिनेट विस्तार को लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारी के रूप में भी देखा जा रहा है. ऐसे में समझा रहा है कि जाति की समीकरण के साथ उपमुख्यमंत्री ने राज्य की राजनीति को भी साधने की पूरी कोशिश की है. इसी के तहत राजद ने अपने कोटे शाहनवाज आलम सीमांचल साधने के लिए मंत्री बनाया है.

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नीतीश कुमार के कैबिनेट विस्तार में एक तरफ जहां पार्टियों को उनके विधायकों की संख्या के आधार पर मंत्री पद दिया गया है. वहीं इस विस्तार में बिहार की जातिगत समीकरण का भी पूरा ध्यान रखा गया है. मगर जानकारी बता रहे हैं कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने अपनी दूरगामी सोच के तहत मंत्री मंडल का विस्तार 2024 और 2025 के चुनाव को देखते हुए किया है. इस विस्तार में चुनाव को देखते हुए राज्य के सभी क्षेत्रों को भी साधा गया है. ऐसा माना जा रहा है कि पहली बार मंत्री बने शाहनवाज आलम राजद को सीमांचल में राजनीति की कमान संभालने में मदद करेंगे.

पूर्व सांसद के बेटे हैं शाहनवाज आलम

राजद के कोटे से मंत्री बने शाहनवाज आलम का पहले से राजनीतिक बैकग्राउंड रहा है. उनके पिता स्व मोहम्मद तस्लीमुद्दीन राजद के टिकट से सांसद थे. उनकी मृत्यु 17 सितंबर 2017 को हुई थी. पिता की मृत्यु के बात शाहनवाज आलम के बड़े भाई सरफराज आलम जोकीहाट सीट से उपचुनाव में जीतकर लोकसभा गए थे. यहां से उन्हें राजद ने ही टिकट दिया था. बाद में जोकीहाट सीट को छोड़कर उन्होंने अररिया सीट से चुनाव लड़ा था. हालांकि इसमें उनकी हार हो गयी. इसके बाद 2018 में फिर से उपचुनाव में राजद की टिकट पर शाहनवाज आलम ने चुनाव जीता.

एएमआईएमआई की टिकट पर जीत राजद में शामिल हुए शाहनवाज आलम

तस्लीमुद्दीन और सरफराज आलम नौ बार जोकीहाट निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. ऐसे में वर्ष 2020 में उन्होंने विधानसभा के टिकट पर अपनी दावेदारी ठोक दी. राजद ने शाहनवाज आलम के बजाए भाई पर दाव खेला. ऐसे में नाराज शाहनवाज एएमआईएमआई में शामिल हो गए और उसकी टिकट पर चुनाव लड़े. साथ ही बड़े अंतर से जीत हासिल की. शाहनवाज आलम फिर 30 जून 2022 को राजद में शामिल हो गए. राजद ने इनके पारिवारिक इतिहास को देखते हुए सीमांचल की राजनीति में बड़े दाव के रूप में शाहनवाज आलम को आगे किया है.

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