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शिशु के वरदान साबित हो रही एसएनसीयू

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हर दिन 10 से अधिक नवजात बच्चे का एसएनसीयू वार्ड में हो रहा इलाज

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हर दिन 10 से अधिक नवजात बच्चे का एसएनसीयू वार्ड में हो रहा इलाज फोटो कैप्शन – भर्ती नवजात शिशु – एसएनसीयू वार्ड प्रतिनिधि, नवादा कार्यालय नवादा सदर अस्पताल में स्थित विशेष एसएनसीयू (सीक न्यूबॉर्न केयर यूनीट) नवजात शिशुओं को नया जीवन दे रही है. खासकर, गरीब घरों के बच्चों के लिए वरदान से कम नहीं है. यहां 15 बच्चों के भर्ती होने की व्यवस्था के साथ-साथ नवजात बच्चों के लिए दो वेंटीलेटर की भी व्यवस्था है. वैसे नवजात को भर्ती किया जाता है, जिन्हें जन्म लेने के बाद नवजात शिशु में किसी भी तरह की दिक्कत होती है. इलाज के तमाम संसाधन होने की वजह से काफी उपयोगी साबित हो रहा है. एसएनसीयू के संचालन के लिए प्रशिक्षित नर्स एवं शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की गयी है. प्रत्येक दिन लगभग 10 बच्चों का हो रहा इलाज सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में वैसे लोगों को अधिक फायदा होता है, जो निजी अस्पतालों की एसएनसीयू में अपने बच्चों को नहीं रख सकते हैं. निजी अस्पतालों में एक दिन में औसतन एक से डेढ़ हजार रुपये लिया जाता है. यह आर्थिक रूप से कमजोर माता-पिता के लिए मुश्किल होता है. ऐसे में सदर अस्पताल की एसएनसीयू बड़ा सहारा है. औसतन 10 नवजात बच्चों का प्रतिदिन इलाज हो रहा है. नवजात की देखरेख में बरतें सावधानी एसएनसीयू में कार्यरत डॉ प्रशांत कुमार कहते हैं कि नवजात शिशुओं के मामले में कई तरह की सावधानी जरूरी है. बच्चों की आंख में काजल नहीं लगाना चाहिए. इससे बच्चे की आंख खराब हो सकती है. जन्म के बाद बच्चों को मां का पहला दूध जरूर देना चाहिए. एसएनसीयू बच्चों के लिए जीवनदायी बन गयी है. जब से यूनिट खुली है, तब से अब तक हजारों बच्चों को नया जीवन मिला है. यह गरीबों को आर्थिक शोषण से भी बचाता है. बच्चों के इलाज के लिए तमाम संसाधन उपलब्ध है. कम वजन व पीलिया के मरीजों का इलाज मुख्यतः वैसे बच्चे आ रहे हैं, जिनका वजन कम होता है या जन्म के समय नहीं रोया करते हैं. बच्चों के जन्म के समय रोना अतिआवश्यक है और बच्चों का वजन कम-से-कम 2.5 स्वस्थ माना जाता है. अगर, बच्चों का वजन एक किलो 800 ग्राम से कम होता है, तो उन्हें भर्ती कर लिया जाता है और जिन नवजात शिशुओं का वजन एक किलो से कम होता है, उसे स्पेशल केयर में रखा जाता है. जो नवजात स्वस्थ नहीं होते हैं, उन्हें यहां समुचित सुविधा दी जाती है. जब नवजात मां का दूध पीने लगता है या बजन बढ़ने लगता है, तो उन बच्चों को यहां से छुट्टी दे दी जाती है. 0 से 28 दिनों तक के बच्चे को नवजात शिशु माना जाता है. गर्मी के मौसम में नवजात शिशु का देखभाल अति आवश्यक है. वैसी महिलाएं जो प्रथम बार मां बनी हैं, उन्हें अपने नवजात शिशुओं का स्तनपान कराना अति आवश्यक है और कम-से-कम एक साल तक स्तनपान कारण और बच्चों को डब्बे का दूध नहीं दे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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