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बिहार में 22 वर्षों से अटकी 2 NH परियोजनाएं अगले साल हो सकती हैं पूरी, इन जिलों में सुगम होगी यातायात

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पांच जुलाई 2001 को एनएच-106 वीरपुर से बिहपुर और एनएच -107 महेशखूंट - सहरसा - पूर्णिया सड़क का शिलान्यास किया गया था. लेकिन तकनीकी कारणों के कारण इसका निर्माण कार्य 2016-17 में शुरू हुआ. लेकिन जमीन अधिग्रहण कार्य के कारण एक बार फिर से परियोजना अटक गई.

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बिहार में दो राष्ट्रीय राजमार्ग, एनएच 106 वीरपुर से बिहपुर और एनएच 107 महेशखूंट – सहरसा – पूर्णिया के निर्माण का करीब 22 साल से इंतजार किया जा रहा है. इन दोनों सड़कों को बेहतर बनने से नेपाल आने – जाने सहित खगड़िया, भागलपुर, मधेपुरा, सहरसा व पूर्णिया जिले में आवागमन में सुविधा होगी. हालांकि, पिछले दिनों उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की पहल पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के निर्देश के बाद दोनों एनएच का निर्माण अगले साल पूरा होने की संभावना है.

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2001 में दोनों सड़क का हुआ था शिलान्यास

इन दोनों सड़कों का शिलान्यास पांच जुलाई 2001 को तत्कालीन वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री सह मधेपुरा के सांसद शरद यादव ने मधेपुरा के वीपी मंडल चौक पर किया था. सूत्रों के अनुसार शिलान्यास के बाद दोनों सड़कों का निर्माण जमीन अधिग्रहण सहित अन्य तकनीकी पेच में फंसा रहा. बाद में दोनों एनएच का निर्माण कार्य 2016-17 में शुरू हुआ, लेकिन जमीन अधिग्रहण सहित निर्माण एजेंसी की लापरवाही से फिर से अटक गया. बाद में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इन दोनों सड़कों के काम ने गति पकड़ी, इसके बावजूद इसके निर्माण की समय -सीमा दो बार बढ़ाई जा चुकी है. अब इन दोनों सड़कों का निर्माण अगले साल पूरा होने की संभावना जतायी जा रही है.

एनएच 106 वीरपुर से बिहपुर

सूत्रों के अनुसार एनएच 106 का निर्माण वीरपुर से बिहपुर तक करीब 130 किमी लंबाई में से करीब 106 किमी लंबाई में 2016-17 में करीब 675 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुआ. इस सड़क के निर्माण के रास्ते में एप्रोच रोड सहित करीब 28 किमी लंबाई में कोसी नदी पर फुलौत पुल का निर्माण करीब 1478.4 करोड़ रुपये की लागत से 2022 में शुरू हो चुका है. इसे भी 2024 में बन कर तैयार होने की संभावना है.

एनएच-107 महेशखूंट-सहरसा-पूर्णिया

वहीं एनएच – 107 महेशखूंट – सहरसा – पूर्णिया दो लेन सड़क का निर्माण दो पैकेज में करीब 178 किमी लंबाई में करीब 1400 करोड़ रुपये की लागत से 2016-17 और 2017-18 में शुरू हुआ. इसके रास्ते में आरओबी भी बनाया जाना है. इस सड़क का निर्माण भी 2024 में पूरा होने की संभावना है.

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एनएच-727एए बनाने के लिए जल्द शुरू होगा भू-अर्जन

इधर यूपी और बिहार की बेहतर सड़क कनेक्टिविटी के लिए एक अन्य हाइवे का निर्माण होगा. उत्तर-पश्चिम बिहार से उत्तर प्रदेश की बेहतर सड़क कनेक्टिविटी के लिए करीब तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से 29.22 किमी लंबाई में एनएच 727 एए फोरलेन सड़क बनेगी. इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की जा रही है. इसमें गंडक नदी पर 11.2 किमी लंबा पुल भी बनेगा. इस सड़क और पुल के बनने से बेतिया और उत्तर प्रदेश के सेवरही की दूरी करीब 225 किमी से घट कर महज 21 किमी रह जायेगी.

बिहार-यूपी सीमा के लोगों को होगा फायदा

एनएच 727 एए फोरलेन हाइवे का सबसे अधिक लाभ पश्चिम चंपारण और बिहार-उत्तर प्रदेश की सीमा पर रहने वालों को होगा. इसके साथ ही नेपाल के लोगों को बिहार से होकर उत्तर प्रदेश तक आवागमन के लिए एक विकल्प मिल सकेगा. बौद्ध सर्किट का विकास होने से कुशीनगर और पश्चिम चंपारण स्थित भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों पर पर्यटकों को पहुंचना आसान हो जायेगा.

सूत्रों के अनुसार फिलहाल पश्चिमी चंपारण के लौरिया में अशोक स्तंभ है और बुद्ध के परिनिर्वाणस्थल कुशीनगर से इसकी दूरी करीब 70 किमी है. गंडक नदी पर पुल नहीं होने के कारण यह दूरी बहुत अधिक हो जाती है. इसके साथ ही सेवरही से बेतिया की दूरी महज 21 किमी है, लेकिन पुल नहीं होने के कारण एनएच 28 के रास्ते 225 किमी हो जाती है. ऐसे में एनएच 727 एए फोरलेन का निर्माण बिहार के मनुवापुल के निकट एनएच 727 से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के सेवरही के निकट एनएच 730 पर समाप्त होगी.

गंडक नदी पर बनेगा पुल

इस बीच में गंडक नदी पर पिपराघाट- पखनहा महासेतु पुल, नयी सड़क, बाइपास व ओवरब्रिज का निर्माण भी किया जायेगा. इसका रूट मैप बेतिया के एनएच-727 से पटजिरवा, पखनाहा, पिपराघाट होते हुए गंडक के उस पार उत्तर प्रदेश के सेवरही में एनएच-730 तक होगा. भारतमाला परियोजना के दूसरे चरण में इसका निर्माण एनएचएआइ के माध्यम से होगा.

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