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मिथिला में पंचमी पर हुई नाग देवता की पूजा, समस्तीपुर में निकला सांपों के साथ भगतों का जुलूस

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विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर घंटों विषहरी माता का नाम लेते हुए करतब दिखाते रहे. यहां पूजा करने के लिए समस्तीपुर जिले के अलावा खगड़िया, सहरसा, बेगूसगू राय, मुजफ्फरपुर जिले के भी लोग आते हैं.

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समस्तीपुर. मिथिला में पंचमी पर भव्य और पारंपरिक रूप से नाग देवता की पूजा की गयी. इस मौके पर लोगों ने नदी में स्नान कर विषहरी स्थान जाकर पूजा-अर्चना की. कई गांवों में भगत ने करतब दिखाये. विभूतिपुर प्रखंड के नरहन व सिंघियाघाट में नाग पंचमी मेले पर हजारों लोगों की भीड़ देखी गयी. भगत राम सिंह सहित अन्य गहवर में भगतों ने माता विषहरी का नाम लेते हुए दर्जनों सांप निकाले. विषैले सांपों को मुंह में पकड़कर घंटों विषहरी माता का नाम लेते हुए करतब दिखाते रहे. यहां पूजा करने के लिए समस्तीपुर जिले के अलावा खगड़िया, सहरसा, बेगूसगू राय, मुजफ्फरपुर जिले के भी लोग आते हैं.

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सांप के साथ निकला जुलूस

सैकड़ों की संख्या में भगत हाथ में सांप लिए बूढ़ी गंडक नदी के सिंघियाघाट और नरहन फफौत पुल घाट पहुंचे. वहां भगतों ने नदी में प्रवेश करने के बाद माता का नाम लेते हुए दर्जनों सांप निकाले. इस दौरान नदी के घाट पर मौजूद भक्त नागराज व विषधर माता के नाम की जयकारा लगाते रहे. सांप लेकर भगत जुलूस के साथ सिंघियाघाट बाजार होते हुए नरहन भ्रमण कर मंदिर पहुंचे. पूजा के बाद बाद सांपों को जंगल में छोड़ दिया गया. कई गांव के विषहरी स्थान में बलि पूजा भी हुई. लोगों ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि उनकी मांगी गई मुरादें पूर्ण होने पर लोग संबंधित विषहरी स्थान में बलि चढ़ाने पहुंचते हैं.

मिथिला में प्रसिद्ध है मेला

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मेला मिथिला का प्रसिद्ध मेला है. यहां नाग देवता की पूजा की सैकड़ों साल से चली आ रही है. यह परंपरा विभूतिपुर में आज भी जीवंत है. यहां मूलत: गहवरों में बिषहरा की पूजा होती है. यहां की श्रद्धालु महिलाए अपने वंश वृद्धि की कामना को लेकर नागदेवता की विशेष पूजा करती हैं. महिलाएं नागों का वंश बढ़ने की भी कामना करती है. मन्नत पूरी होने पर नाग पंचमी के दिन गहवर में झाप और प्रसाद चढ़ाती है. लोगों का कहना है कि यहां मेले की शुरुआत करीब सौ साल पहले 1909 में हुई.

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