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मुजफ्फरपुर में 1966 की शाम थी खास, जाकिर की बंदिश ने तबले पर दिखाया था कमाल

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Zakir Hussain: मुजफ्फरपुर में तबला वादक जाकिर हुसैन ने 1966 में हरिसभा चौक स्थित वीणा कंसर्ट हॉल में शास्त्रीय संगीत की एक यादगार प्रस्तुति दी थी, जिसमें गायन गुलाम मुस्तफा का था और तबला वादन में संगत जाकिर हुसैन ने की थी.

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Zakir Hussain: मुजफ्फरपुर में तबला वादक जाकिर हुसैन ने 1966 में हरिसभा चौक स्थित वीणा कंसर्ट हॉल में शास्त्रीय संगीत की एक यादगार प्रस्तुति दी थी, जिसमें गायन गुलाम मुस्तफा का था और तबला वादन में संगत जाकिर हुसैन ने की थी. इस कार्यक्रम का आयोजन शहर के नामी कलाकारों बिंदेश्वरी दूबे, पं. सीताराम हरि दांडेकर, मिथिलेश बाबू और पं. सत्यनारायण पाठक ने किया था.

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कंसर्ट हॉल में संगीत प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी थी

कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत के प्रति गहरी रुचि रखने वाले संगीत प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी थी, जो इस अद्भुत प्रस्तुति का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से पहुंचे थे. संगीतज्ञ पं. सत्यनारायण पाठक बताते हैं कि उस समय जाकिर हुसैन की उम्र केवल 20-22 साल थी, लेकिन उनकी तबला वादन में अभूतपूर्व पकड़ थी, जो इस प्रस्तुति को अत्यधिक यादगार बना गई. जाकिर हुसैन ने अपने गायन और तबला वादन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था.

जाकिर हुसैन ने पंजाब घराने को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया

डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, जाकिर हुसैन ने पंजाब घराने को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया और अपने तबला वादन में महारत हासिल की. उनकी विशेषता यह थी कि वे दायां और बायां दोनों हाथ से समान रूप से संगीत निकालते थे, जो उन्हें अन्य तबला वादकों से अलग करता था.

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संगीतज्ञ यशवंत पराशर ने बताया

संगीतज्ञ यशवंत पराशर ने बताया कि जाकिर हुसैन न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में नाम कमा चुके थे. वे हर प्रकार के संगीत के साथ संगत करते थे और पश्चिमी संगीत को भी अपनी शैली में ढालने में सक्षम थे. उनका संगीत प्रत्येक संगीतज्ञ के लिए प्रेरणा का स्रोत बना और उन्होंने हमेशा अपने सहयोगियों को संगीत के विभिन्न रूपों का सम्मान करने की सलाह दी.

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