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गुरु सदैव पूजनीय है, इनके निर्देशन में ही उंचाई तक पहुंच सकते है, शिष्य

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गुरु सदैव पूजनीय है, इनके निर्देशन में ही उंचाई तक पहुंच सकते है, शिष्य

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मुजफ्फरपुर. बीआरएबीयू में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सम्मान समारोह समिति व आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय ने कहा कि गुरु सदैव पूजनीय होते हैं, बिना उनके निर्देशन से कोई भी शिष्य ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच सकता. सम्मान समारोह में आमंत्रित वरिष्ठ आचार्यों का स्वागत कुलसचिव डाॅ. अपराजिता कृष्णा ने किया. उन्होंने कहा कि शिष्यों को गुरु का सानिध्य बहुत ही आवश्यक है. तकनीकी इस्तेमाल से सूचना तो मिल सकती है, समुचित ज्ञान नहीं प्राप्त किया जा सकता. मुख्य अतिथि स्वामी बालप्रदानन्द गुरूजी ने भारतीय गुरु शिष्य परंपरा की पौराणिक और आधुनिक प्रणालियों पर चर्चा करते हुए छात्रों के लिए गुरुओं के महत्व पर प्रकाश डाला. विशिष्ट अतिथि दिलीप कुमार शुक्ल ने भी अपने व्याख्यान में गुरुओं को देवतुल्य बताया. सम्मान के लिए आमंत्रित विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त वरिष्ठ शिक्षकों-पदाधिकारियों में, प्रो. रिपुसूदन श्रीवास्तव, प्रो. रवींद्र कुमार रवि, प्रो. गिरीश कुमार ठाकुर, प्रो.अशोक श्रीवास्तव, प्रो. कृष्णकान्त सिन्हा, प्रो. तारण राय, प्रो. सदानंद प्रसाद सिंह, प्रो. नित्यानंद शर्मा. प्रो. उपेन्द्र मिश्र, प्रो. रेवती रमण, प्रो. अजीत कुमार उपस्थित हुए. इस अवसर पर संस्कृत विभागाध्यक्ष, मनोज कुमार ने कहा कि वर्ग में छात्र-छात्राओं से आंख-से-आंख मिलाकर जिस तरह शिक्षा दी जा सकती है, वह ऑनलाइन अथवा तकनीक आधारित शिक्षा से संभव नहीं. इस दौरान डाॅ. अमर बहादुर शुक्ल और समन्वयक प्रो. इन्दुधर झा, डाॅ. पयोली और डाॅ. रमेश कमार विश्वकर्मा, प्रो. कल्याण कुमार झा उपस्थित थे. कार्यक्रम में पिछले दिनों राजभवन में योग दिवस पर भाग लेने वाले पांच छात्रों , और सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए 18 छात्र-छात्राओं को पुरस्कार प्रदान किया गया. गुरु से जीवन की होती है, शुरूआत रविवार को महंत दर्शन दास महिला महाविद्यालय में बीएड विभाग व राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्त्वावधान में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया. अध्यक्षीय भाषण में प्राचार्य डॉ. कनुप्रिया ने कहा कि जो सीख सिखा दे , नयी दिशा दिखा दे, वही गुरु है. गुरु से जीवन की शुरुआत होती है. माता प्रथम गुरु है , पिता द्वितीय गुरु हैं, और शिक्षा देने वाले तृतीय गुरु हैं. इस दौरान हिंदी विभागाध्यक्ष व मीडिया प्रभारी डाॅ. राकेश रंजन, संगीत प्राध्यापक डा. श्रीनिवास, मनोविज्ञान की प्राध्यापिका डा. निशि कांति, मनोविज्ञान की प्राध्यापिका डॉ. अनुराधा सिंह बीएड के प्राध्यापक डा. सुमंत कुमार, डा. मनोज कुमार, डा. रवि कुमार, डा. आशा सिंह यादव, डा. श्वेता यादव , डा. देवोश्रुति घोष, डा. नवनीता कुमारी, डा. एम सदफ , डा. प्रियम , डा. माला , डा. विपाशा उपस्थित थे. संसार में तीन गुरु सबसे प्रमुख रामेश्वर महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु- शिष्य परंपरा विषय पर कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.(डॉ.) ब्रह्मचारी व्यास नंदन शास्त्री ने की. उन्होंने कहा कि हमारे सभी वेद शास्त्रों में गुरु की महिमा वर्णित हुई है. संसार में तीन गुरु प्रमुख हैं, माता, पिता और आचार्य. इन तीनों गुरुओं के आशीर्वाद से ही मनुष्य अपने जीवन की महान उपलब्धि को प्राप्त कर सकता है. कार्यक्रम में डॉ. उपेन्द्र गामी, डॉ. अनुपम, डॉ. वशीम रेजा , डॉ. उमेश कुमार शुक्ला , डॉ. बादल कुमार, डॉ. सुमित्रा कुमारी,डॉ. अविनाश कुमार कुमार झा, डॉ. राकेश कुमार उपस्थित थे. सर्वांगीण विकास में गुरु की महत्ता अतुलनीय आरसी कॉलेज सकरा में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर “गुरु शिष्य परंपरा ” कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अमिता शर्मा ने की. उन्होंने ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में गुरु की महत्ता अतुलनीय है. गुरु बौद्धिक चेतना व क्षमता का विस्तार करते हैं. आदिकाल से ही गुरु की महत्ता समाज में अतुलनीय रहा है. इस दौरान हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. संतोष कुमार, मनोविज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉ. विकास कुमार, डॉ. सुशील कुमार, और प्राध्यापक डॉ जनक प्रसाद सिंह सहित शिक्षक उपस्थित थे.

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