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50 पूर्णांक पर दे दिये 52 अंक, डेढ़ वर्ष में भी नहीं सुधारा रिजल्ट

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50 पूर्णांक पर दे दिये 52 अंक, डेढ़ वर्ष में भी नहीं सुधारा रिजल्ट

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= बीआरएबीयू का परेशानी दूर करने में नहीं, बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान

=छह बार परीक्षा विभाग व दो बार छात्र संवाद में दिया आवेदन बेअसर=एग्जामिनर की गलती छात्र पर भारी पड़ी, छात्र संवाद में फिर से पहुंचा

=पहले गलत मार्क्स पोस्टिंग से हुए फेल, अब अनुपस्थित बता रिजल्ट पेंडिंग= कई छात्र-छात्राओं ने आवेदन देने पर भी काम नहीं होने की शिकायत की

= बोले- प्रमाणपत्र बनने के बाद भी कर्मचारी देने में कर रहे हैं आनाकानी

मुजफ्फरपुर.

जब राजेंद्र प्रसाद की परीक्षा की कॉपी जांची जा रही थी, तब एग्जामिनर ने लिख दिया था, ””””एग्जामिनी इज बेटर देन एग्जामिनर””””, लेकिन बीआरएबीयू में एग्जामिनर की ओर से ऐसा करना छात्र को महंगा पड़ गया. दरअसल, 50 अंकों की नन हिन्दी (एनएच) की परीक्षा में परीक्षक ने कुछ ज्यादा ही दरियादिली दिखा दी. उन्होंने परीक्षार्थी को 52 अंक दे दिये. सत्र 2022-25 में नीतीश्वर महाविद्यालय में उर्दू विषय में नामांकित गुलाम अली का रिजल्ट इसी कारण पेंडिंग हो गया है. यह रिजल्ट एक वर्ष पूर्व जारी हुआ और इसके बाद भी वह इसे ठीक कराने के लिए चक्कर लगा रहा है. छात्र के इस पेपर के अंक का कॉलम खाली है. छात्र को पता लगा कि 50 अंकों की परीक्षा में उसे 52 अंक दे दिये गये हैं. अब छात्र इस परेशानी को लेकर परीक्षा विभाग में करीब छह बार और छात्र संवाद में दो बार आवेदन दे चुका है.

परीक्षा नियंत्रक ने कहा कि छात्र की समस्या को उन्होंने अपने स्तर से देखा है. शीघ्र रिजल्ट सुधारेंगे. 2019-22 में पकड़ीदयाल के एक कॉलेज में नामांकित छात्र की परीक्षा कोरोना काल के बाद ली गयी थी. इस परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे गये थे और प्रत्येक प्रश्न के लिए दो-दो अंकों का निर्धारण था. इसमें मोतिहारी के विजय यादव को गलत मार्क्स पोस्टिंग के कारण 43 अंक मिले. कम से कम 45 अंक मिलने पर पास होना था. इसमें छात्र ने सवाल उठाया कि यदि प्रश्न सही थे तो वस्तुनिष्ठ प्रश्न में पूरा अंक मिलना चाहिए था. इसबार फेल होने के बाद जब छात्र ने परीक्षा दी तो उसे अनुपस्थित बताकर परिणाम पेंडिंग कर दिया गया. छात्र ने दो बार मेमो, उपस्थिति पत्रक की कॉपी विवि को दी, लेकिन रिजल्ट नहीं सुधारा. इस पर आरटीआइ से कॉपी मांगी गयी. इसमें छात्र को 52 अंक मिले थे. इसके बाद भी अंक फाइनल रिजल्ट में नहीं जोड़ा गया. छात्र ने सोमवार को नाराजगी व्यक्त की और पदाधिकारियों से उलझ गया. पदाधिकारियों ने किसी तरह छात्र को समझाया. एक छात्रा ने दो महीने पहले प्रोविजनल के लिए आवेदन दिया. प्रोविजनल बनकर तैयार है, लेकिन कर्मचारी की ओर से दौड़ाये जाने की शिकायत छात्र संवाद में उसने की. पदाधिकारियों ने फोन कर संबंधित कर्मचारी की क्लास लगायी. इसके बाद छात्रा को प्रमाणपत्र मिला. छात्र संवाद की अध्यक्षता कुलानुशासक डॉ बीएस राय ने की. वहीं इस दौरान अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ आलोक प्रताप सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ सुबालाल पासवान, डिप्टी कंट्रोलर-1 डॉ रेणु बाला के साथ ही परीक्षा विभाग के कर्मचारी मौजूद थे.

कई प्रश्नों की जांच नहीं हुई, छात्रा फेल

पीजी की सत्र 2021-23 की एक छात्रा चौथे सेमेस्टर में एक पेपर में फेल हो गयी. आरटीआइ से कॉपी निकालने के लिए आवेदन दिया तो दो महीने बाद उसकी कॉपी निकली. इसमें तीन प्रश्नों की जांच ही नहीं की गयी है. सोमवार को छात्रा छात्र संवाद में शिकायत लेकर पहुंची. उसने मार्किंग पैटर्न पर सवाल उठाया.

कंप्यूटर साइंस के लिए गाइड आवंटित नहीं

बीआरएबीयू की ओर से बनायी गयी नयी रिसर्च पॉलिसी के तहत संबद्ध डिग्री कॉलेजों के शिक्षक पीएचडी के लिए रिसर्च सुपरवाइजर नहीं बन सकते. पैट उत्तीर्ण करने के बाद कंप्यूटर साइंस में कोर्सवर्क करने वाली सना परवीन कंप्यूटर साइंस (एआइ) से जुड़े टॉपिक पर रिसर्च करना चाहती हैं. विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस का अलग विभाग नहीं है और न ही नियमित शिक्षक. ऐसे ने एक निजी कॉलेज के शिक्षक को गाइड बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे विभाग ने निरस्त कर दिया. अब छात्रा गाइड एलॉटमेंट की समस्या को लेकर विवि पहुंची.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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