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Driving License: इलेक्ट्रिक और कमर्शियल गाड़ियों के लिए कैसे बनवाएं लाइसेंस? DTO ने बताया आवेदन करते समय किन बातों का रखें ध्यान

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Driving License: इलेक्ट्रिक, कमर्शियल और हैवी वाहनों के लिए अलग-अलग ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाते हैं. हैवी मोटर वाहन चलाने के लिए आवेदन में ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट अनिवार्य है. मुजफ्फरपुर डीटीओ ने बताया कि लाइसेंस बनवाने की क्या प्रक्रिया है...

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Driving License: वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है। निजी वाहनों के अलावा इलेक्ट्रिक, सीएनजी और व्यवसायिक वाहनों के लिए भी यह जरूरी है. लेकिन आप कौन सा वाहन चलाते हैं, इसका उल्लेख ड्राइविंग लाइसेंस पर होता है. मुजफ्फरपुर डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि सभी तरह के वाहन चलाने के लिए अलग-अलग लाइसेंस जारी किए जाते हैं. लोग विभाग की वेबसाइट और कार्यालय के हेल्प डेस्क पर जाकर इस संबंध में विस्तृत जानकारी ले सकते हैं. इसके बाद अपनी जरूरत के अनुसार लाइसेंस के लिए आवेदन करें.

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वाहन के हिसाब से तय होता है लाइसेंस शुल्क

प्राइवेट लाइसेंस की तरह ही इलेक्ट्रिक, सीएनजी और चार पहिया कमर्शियल वाहनों के लाइसेंस जारी किए जाते हैं, जिसमें आवेदक ऑनलाइन आवेदन के समय ड्राइविंग लाइसेंस के विकल्प में इलेक्ट्रिक, सीएनजी, चार पहिया कमर्शियल का उल्लेख करेगा. इसके बाद सबसे पहले आवेदक का लर्निंग लाइसेंस बनता है. अलग-अलग वाहन चलाने के लिए लाइसेंस की फीस अलग-अलग तय होती है. चालान की फीस चुने गए वाहन के विकल्प के हिसाब से तय होती है.

पहले लर्निंग लाइसेंस फिर टेस्ट

आवेदन करने के बाद चालान जारी होता है और फिर कंप्यूटर पर जाकर लर्निंग लाइसेंस के लिए टेस्ट देना होता है. अगर कोई लर्निंग लाइसेंस में फेल हो जाता है तो उसे दूसरा मौका मिलता है, उसे फिर से स्लॉट बुक करना होता है. जब लर्निंग लाइसेंस बनता है तो उसकी वैधता छह महीने की होती है. लर्निंग लाइसेंस बनने के एक महीने बाद चालक फाइनल लाइसेंस के लिए आवेदन करता है, जिसके बाद ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर जाकर टेस्ट देना होता है. इसमें पास होने पर लाइसेंस जारी हो जाता है. जो डाक के जरिए चालक के पते पर पहुंच जाता है.

हेवी व्हीकल के लिए कमर्शियल ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट जरूरी

चार चक्का से भारी वाहन चलाने के लिए मोटर ट्रेनिंग स्कूल से सर्टिफिकेट जमा करना पड़ता है. इसका लाइसेंस प्राप्त करने के लिए लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है. एमवीआई राकेश रंजन ने बताया कि लर्निंग लाइसेंस के बाद वाहन के प्रकार के आधार पर चालक को 15 से 25 दिनों तक मोटर ट्रेनिंग स्कूल से प्रशिक्षण लेना होता है. उस प्रशिक्षण के बाद ट्रेनिंग स्कूल की ओर से प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. उस प्रमाण पत्र के आधार पर भारी वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है.

अब 5 साल में रिन्यू होता है भारी वाहनों का लाइसेंस

पहले भारी वाहनों का लाइसेंस तीन साल बाद रिन्यू होता था, जिसे अब पांच साल बाद रिन्यू किया जाता है. मालवाहक वाहन, जेसीबी, रोड रोलर, ड्रिल मशीन, मशीनरी वाहन और अन्य सभी प्रकार के भारी वाहन चलाने के लिए अलग से ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाता है. इसी तरह यात्री बस चलाने के लिए भी अलग से लाइसेंस जारी किया जाता है.

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