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खेतों में दरार, गांव में फिर सूखने लगा चापाकल

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खेतों में दरार, गांव में फिर सूखने लगा चापाकल

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-मॉनसून की बारिश नहीं होने से जिले में सुनाई दे रही जल संकट की आहट, अभी अच्छी बारिश की उम्मीद भी नहीं – 25 फुट तक नीचे पहुंच गया है ग्रामीण क्षेत्र का भू-जल स्तर – जिला प्रशासन व पीएचइडी से जारी हेल्पलाइन नंबर पर सबसे ज्यादा चापाकल सूखने की मिल रही शिकायतें मुजफ्फरपुर. मॉनसून के दस्तक दिये लगभग एक महीने का समय बीत गया है. लेकिन, जिले में उम्मीद से काफी कम बारिश हुई है. मौसम विभाग के अनुसार, हाल-फिलहाल में अच्छी बारिश की कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही है. इससे तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. धूप व गर्मी से लोग परेशान हैं. ऐसे में मुजफ्फरपुर सहित आसपास के जिलों में आषाढ़, सावन में जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है. शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाके की स्थिति बेहद खराब है. जून-जुलाई में जहां बारिश की पानी से खेत-खलिहान जलमग्न रहता था. इस बार हर जगह धूल उड़ रही है. अधिकतर किसान अब तक धान की रोपनी नहीं कर पाये हैं. कुछ किसान बोरिंग से पानी का पटवन कर धान की रोपनी की है. लेकिन, बारिश के बदले चिलचिलाती धूप के कारण खेतों में दरार आ गया है. सबसे ज्यादा खराब स्थिति जिले के औराई, कटरा, सकरा, मुरौल, बोचहां व कांटी प्रखंड की है. इन प्रखंड के कई ऐसे गांव है, जहां 25 फुट तक भू-जल स्तर नीचे चला गया है. जबकि, जून, जुलाई में 15-18 फुट तक भूजल स्तर होना चाहिए. इससे चापाकल तक फिर से जवाब देने लगा है. जिला प्रशासन व पीएचइडी की तरफ से जारी किये गये हेल्पलाइन नंबर पर खराब चापाकल व पेयजल संकट को लेकर शिकायतों की संख्या बढ़ गयी है. इससे पीएचइडी के इंजीनियर चिंता में आ गये हैं. कहना है कि जून, जुलाई में बारिश होने से स्थिति सुधर जाती थी. इस बार स्थिति काफी बिगड़ गई है. शहरी क्षेत्र का भू-जल स्तर जांचने का आदेश इधर, शहरी क्षेत्र में भी भू-जल स्तर की जांच करने का आदेश नगर निगम ने जल कार्य शाखा को दिया है. शहरी क्षेत्र में जहां-जहां जलापूर्ति पंप है. दो दिनों के भीतर सभी जलापूर्ति पंप से भू-जल स्तर की जांच कर रिपोर्ट देना है. दूसरी तरफ, शहर के कई गली-मोहल्ले में पानी संकट की समस्या हो गयी है. बार-बार निगम का जलापूर्ति पंप खराब हो जा रहा है. पिछले महीने मॉनसून के दस्तक देने से पूर्व तक शहरी क्षेत्र का जल स्तर रिकॉर्ड तोड़ 45 फूट के नीचे चला गया था. उम्मीद थी अच्छी बारिश की, उल्टा पड़ा मॉनसून मॉनसून के दस्तक देने से पहले मौसम विभाग ने जिले में औसत से ज्यादा बारिश की संभावना जतायी थी. सरकार भी अलर्ट जारी कर दिया था. लेकिन, मॉनसून का समय बीतते जा रहा है. अब तक औसत से काफी कम बारिश हुई है. इसके लिए लोग मौसम की परिस्थितियां बदले जाने की बात कह रहे हैं. सबमर्सिबल पंप के कारण गिर रहा भू-जल स्तर, 50 करोड़ लीटर पानी का दोहन जलापूर्ति से जुड़े अफसरों का दावा है कि मुजफ्फरपुर जिले में शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक में करीब 60-70 लाख की आबादी में ढाई से तीन लाख लोगों ने अपने घरों, कार्यालयों व संस्थानों में सबमर्सिबल पंप लगवा रखे हैं. इससे रोजाना औसतन 50-60 करोड़ लीटर पानी का दोहन हो रहा है. इसी तरह शहर में हजारों की संख्या में वॉशिंग सेंटर खुल गए हैं. आए दिन ही सरकारी पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो रही हैं. इससे पानी लगातार बर्बाद हो रहा है. जबकि हमें पानी को बचाना है. नदियों को नदियों से जोड़ने की योजना बनी थी. वह अगर फलीभूत होता तो अभी की परिस्थिति में किसानों के लिए फायदेमंद साबित होता. इससे भू-जल स्तर भी सही रहता. इस बार बारिश नहीं होने के कारण बोरिंग से पटवन कर धान की रोपाई करनी पड़ रही है. अभी तक 50-60 फीसदी तक ही रोपनी संभव हो पाई है. स्थानीय सांसद व जल शक्ति मंत्री को इस पर काम करना चाहिए. ताकि, किसानों को लाभ मिल सके. नीरज नयन, किसान नेता बारिश के कम होने के कारण कुछ जगहों पर समस्या हुई है. 10 दिन पूर्व की जो रिपोर्ट है. इसके अनुसार 20.06 फुट तक औसतन जिले का भू-जल स्तर है. 30 फुट के नीचे जाने पर स्थिति गंभीर होगी. अभी स्थिति सामान्य है. जहां से शिकायतें मिल रही है. वहां, टीम पहुंच चापाकल की मरम्मत से लेकर नल-जल की व्यवस्था को दुरुस्त कर रही है. मुकेश कुमार, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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