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नहीं करायी कभी जांच, लेकिन रजिस्टर में बना दिया पॉजिटिव, होम आइसोलेशन वाले कोरोना मरीजों की मॉनिटरिंग का जानें सच

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बिहार सरकार ने होम आइसोलेट कोविड मरीजों की मॉनीटरिंग की व्यवस्था की है. स्वास्थ्य विभाग ने व्यवस्था की है कि होम आइसोलेट के मरीजों के घर जाकर संबंधित इलाके की आशा कार्यकर्ता हालचाल लेगी और उस इलाके से जुड़ीं एएनएम फोन पर पूरी जानकारी लेकर हिट ऐप पर रिपोर्ट करेंगी. रिपोर्ट के आधार पर उन मरीजों को चिकित्सीय परामर्श व जरूरत की दवा उपलब्ध करायी जायेगी.अब इनकी मॉनीटरिंग कैसे हो रही है, इसकी एक बानगी देखिए. जिस व्यक्ति का नाम रजिस्टर में कोरोना पॉजिटिव के रूप में दर्ज है, उसने कभी जांच ही नहीं करायी. एसकेएमसीएच में जांच करायी तो पता में एसकेएमसीएच दर्ज हो गया, जबकि मरीज सीतामढ़ी में हैं. अब मुजफ्फरपुर की आशा कार्यकर्ता सीतामढ़ी कैसे जायेगी. इसी तरह जिसने रेलवे स्टेशन पर जांच करायी, उनका पता रेलवे स्टेशन वन व रेलवे स्टेशन टू भर दिया जा रहा है.

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बिहार सरकार ने होम आइसोलेट कोविड मरीजों की मॉनीटरिंग की व्यवस्था की है. स्वास्थ्य विभाग ने व्यवस्था की है कि होम आइसोलेट के मरीजों के घर जाकर संबंधित इलाके की आशा कार्यकर्ता हालचाल लेगी और उस इलाके से जुड़ीं एएनएम फोन पर पूरी जानकारी लेकर हिट ऐप पर रिपोर्ट करेंगी. रिपोर्ट के आधार पर उन मरीजों को चिकित्सीय परामर्श व जरूरत की दवा उपलब्ध करायी जायेगी.अब इनकी मॉनीटरिंग कैसे हो रही है, इसकी एक बानगी देखिए. जिस व्यक्ति का नाम रजिस्टर में कोरोना पॉजिटिव के रूप में दर्ज है, उसने कभी जांच ही नहीं करायी. एसकेएमसीएच में जांच करायी तो पता में एसकेएमसीएच दर्ज हो गया, जबकि मरीज सीतामढ़ी में हैं. अब मुजफ्फरपुर की आशा कार्यकर्ता सीतामढ़ी कैसे जायेगी. इसी तरह जिसने रेलवे स्टेशन पर जांच करायी, उनका पता रेलवे स्टेशन वन व रेलवे स्टेशन टू भर दिया जा रहा है.

प्रभात खबर की तहकीकात में हुए चौंकाने वाले खुलासे

प्रभात खबर ने ऐसे कई मामलों की तहकीकात की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. कई ऐसे भी पता, नाम व मोबाइल नंबर दर्शाया गया है जिस पर बताया जाता है कि उन्होंने न तो जांच कराये और न ही उनकी तबियत खराब हुई. बड़ी संख्या में इस तरह की गड़बड़ी की गयी है. स्वास्थ्य विभाग व उसके आइटी सेल द्वारा भी बिना जांचे परखे महिला स्वास्थ्य कर्मियों के नाम पर लिस्ट भेज दिया जा रहा है. जब महिला स्वास्थ्य कर्मी व आशा कार्यकर्ता मरीजों से संपर्क करना चाहती है तो बताया जाता है कि वे मुजफ्फरपुर के रहने वाले नहीं हैं. या फिर उनका घर संबंधित महिला स्वास्थ्य कर्मी व आशा कार्यकर्ता के इलाके से काफी दूर है. ऐसे में उनके लिये मरीजों का हाल जानना मुश्किल हो रहा है.

केस नंबर 1

नाम – धीरेंद्र कुमार. रजिस्टर में दर्ज पता- मुजफ्फरपुर. 14 मई को होम आइसोलेट.

इनका जवाब : मेरा नाम शाहिद खान है और राजस्थान में रहते हैं. उन्हें न कोरोना हुआ न ही वे कहीं जांच कराये.

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केस नंबर 2

नाम चंद्रभूषण कुमार, सूची में पता- एसकेएमसीएच, उम्र- 20 वर्ष.

इनका जवाब : सीतामढ़ी जिला के डुमरा कैलाशपुरी वार्ड नंबर 10 के रहनेवाले हैं. एसकेएमसीएच में जांच कराये, रिपोर्ट पाॅजिटिव आयी तबसे होम आइसोलेट हैं. अपना पूरा पता लिखाये थे फिर भी पता गलत लिख दिया गया है. बिहार में बिना कोरोना जांच के रजिस्टर में बना दिया पॉजिटिव तथा News in Hindi से अपडेट के लिए बने रहें।

केस नंबर 3

नाम मनीष कुमार, पता- एसकेएमसीएच.

इनका जवाब : सीतामढ़ी जिला के बेलसंड प्रखंड के भंडारी गांव के रहने वाले हैं. एसकेएमसीएच में जांच कराये तो 15 मई को रिपोर्ट पॉजिटिव आयी. बेलसंड में ही एग्रीकल्चर विभाग में कार्यरत हूं. सही पता लिखाये फिर भी गलत लिख दिया गया.

केस नंबर 4

उत्कर्ष कुमार, पता रेलवे स्टेशन

इनका जवाब : उत्कर्ष के पिता अशोक पांडेय का कहना है कि अपने पुत्र, पुत्री, पत्नी व स्वयं स्टेशन पर पहले एंटिजीन जांच कराये. रिपोर्ट निगेटिव आयी. सभी लोग आरटीपीसीआर जांच भी कराये, जिसमें 15 मई को आये रिपोर्ट में उत्कर्ष का पाॅजिटिव, मेरा व पुत्री का निगेटिव , जबकि पत्नी का अबतक कोई रिपोर्ट ही नहीं आया. मैं अपना पता बैरिया गोलंबर लिखाया जो कांटी प्रखंड में पड़ता है.

केस नंबर 5

नाम- शत्रुघ्न साह, पता- विशंभरपुर. उम्र 73 वर्ष.

इनका जवाब : मेरा नाम जयनारायण है. घर वैशाली के गोरौल थाना के पीरापुर में है. पिछले महीने कोरोना का टीका गांव में ही लिये तो 45 दिन बाद बुलाया गया. हम मुजफ्फरपुर कभी गये ही नहीं. कोरोना का जांच भी नहीं कराये.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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