एंटीबायोटिक के रेसिस्ट पर रिसर्च कर रहा होमी भाभा कैंसर अस्पताल किस मरीज पर कौन-सी दवायें हो रही हैं बेअसर, इसकी हो रही जांच रिसर्च के मुताबिक डॉक्टर मरीजों को बेवजह लिख रहे एंटीबायोटिक मुजफ्फरपुर. मरीजों के इलाज में जरूरत नहीं होने पर भी कई डॉक्टर एंटीबायोटिक लिख रहे हैं. नतीजा यह हो रहा है कि ये दवाएं मरीजों पर बेअसर साबित हो रही हैं. देश भर में रेसिस्ट हो रही एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव को बचाने के लिए होमी भाभा कैंसर अस्पताल व अनुसंधान केंद्र दवाओं पर रिसर्च कर रहा है. यहां आने वाले मरीजों की जांच कर यह पता लगाया जा रहा है कि किस मरीज में कौन-सी एंटीबायोटिक दवाओं का कितना प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही डॉक्टर के पुर्जे पर लिखे एंटीबायोटिक दवाओं के लिखने की वजह भी समझी जा रही है. अब तक की रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि कई डॉक्टर मरीज को बिना सही वजह के एंटीबायोटिक दवायें लिख रहे हैं और इसके कारण मरीजों पर एंटीबायोटिक दवायें बेअसर हो रही हैं. 30 साल में कोई नयी एंटीबायोटिक दवा नहीं अस्पताल में रिसर्च प्रभारी डॉ रविकांत सिंह के निर्देशन में हो रही है. रिसर्चर विवेकानंद गोई ने बताया कि कौन-सी दवायें अधिक रेसिस्ट कर रही हैं, इसकी जानकारी भी अब मिलने लगी है. डॉक्टर के पुर्जे पर कौन-सी दवायें अनावश्यक रूप से लिखी जा रही हैं, इसकी भी कैटेगरी बना रहे हैं. बताया कि 30 वर्षों में कोई भी नयी एंटीबायोटिक दवा बाजार में नहीं आयी है. इसी तरह के हालत बने रहे तो आने वाले समय में छोटी बीमारियों में भी लोगों को बचाना मुश्किल हो जायेगा. विवेकानंद ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन है कि डॉक्टर पुर्जे पर दवा का नाम अंग्रेजी के कैपिटल लेटर में लिखें. किस लक्षण के लिये यह दवा दी जा रही है, वह भी लिखा होना चाहिए. लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है. दवाओं का नाम छोटे अक्षरों में लिखे जाने के कारण मेडिसीन विक्रेता के गलत दवा देने की आशंका बनी रहती है. इससे मरीजों को नुकसान होता है. रेसिस्ट हो रही एंटीबायोटिक दवाओं का सही इस्तेमाल करने को लेकर 22 अप्रैल को होमी भाभा कैंसर अस्पताल और डॉक्टर फॉर यू के साथ कार्यशाला होगी, जिसमें कई जिलों के डॉक्टरों की उपस्थिति रहेगी. डॉ अरुण शाह भी करेंगे लोगों को जागरूक एंटीबायोटिक दवाओं के गलत इस्तेमाल नहीं करने के लिये वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ और नेशनल टास्क फोर्स मिशन के सदस्य डॉ अरुण शाह भी डॉक्टरों को एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर जागरूक करेंगे. डॉ अरुण शाह ने बताया कि बिना कारण एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जा रहा है. आने वाले समय में यह बहुत घातक है. किसी व्यक्ति पर कोई एंटीबायोटिक दवा रेसिस्ट कर जाती है तो वह उस व्यक्ति के लिये बेअसर हो जाती है. ऐसी स्थिति में साधारण बीमारी से भी लोगों को बचाना मुश्किल होगा. इसलिये जरूरी है कि एंटीबायोटिक दवाओं का गलत इस्तेमाल नहीं हो.
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जरूरत नहीं, फिर भी लिख रहे एंटीबायोटिक, नतीजा दवाएं बेअसर
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जरूरत नहीं, फिर भी लिख रहे एंटीबायोटिक, नतीजा दवाएं बेअसर
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