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बिहार में वायरल बुखार से ज्यादातर बीमार बच्चों की उम्र 10 साल से कम, जानिये खतरे को लेकर क्या कहते हैं डॉक्टर

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इन दिनों पटना सहित पूरे बिहार के अस्पतालों, नर्सिंग होम और निजी क्लिनिकों में इलाज के लिए आने वाले आधे से ज्यादा बच्चे मौसमी वायरल बुखार से पीड़ित होकर आ रहे हैं. हालांकि, राहत की बात यह है कि इन बच्चों में सिर्फ पांच फीसदी की हालत गंभीर हो रही है.

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पटना. इन दिनों पटना सहित पूरे बिहार के अस्पतालों, नर्सिंग होम और निजी क्लिनिकों में इलाज के लिए आने वाले आधे से ज्यादा बच्चे मौसमी वायरल बुखार से पीड़ित होकर आ रहे हैं. हालांकि, राहत की बात यह है कि इन बच्चों में सिर्फ पांच फीसदी की हालत गंभीर हो रही है.

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ऐसे बच्चों को निमोनिया, सांस लेने में परेशानी जैसी दिक्कतें आ रही हैं. इन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट भी देना पड़ रहा है. चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ श्रवण कुमार ने बताया कि बच्चों में दिख रहे लक्षण को कोरोना न समझें, ये इन्फ्लूएंजा वायरस हैं. ये वायरस बरसात के अंतिम दिनों में ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं और उनके प्रसार की शक्ति भी बढ़ जाती है.

देखा जा रहा है कि जितने भी बच्चे आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर बच्चों को इन्फ्लूएंजा का टीका नहीं लगा है. यही वजह है कि एक साल से कम उम्र के बच्चे ज्यादा बीमार हो रहे हैं. इन बच्चों में निमोनिया के लक्षण भी पाये जा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण इस साल ये अधिक प्रभावशाली हो गया है. पिछले साल उनकी क्लिनिक में वायरल फ्लू के पांच से छह बच्चे ही आते थे, लेकिन इस साल यह संख्या तीन गुनी हो गयी है.

ज्यादातर बीमार बच्चों की उम्र 10 साल से कम

हाल यह है कि डॉक्टरों के पास आने वाले कुल मरीजों में कहीं 40 से 50% तो कहीं 60 से 70% तक बच्चे सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हैं. कुछ डॉक्टरों के पास तो 90% बच्चे वायरल बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हैं. बीमार पड़ने वाले ज्यादातर बच्चों की उम्र 10 साल से कम है.

एक साल के अंतराल पर आती है ऐसी समस्या

एनएमसीएच के अधीक्षक व शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा विनोद कुमार सिंह के अनुसार बच्चों में इस प्रकार का बुखार हर एक साल के अंतराल पर देखा जाता है. सामान्य इलाज से इसे ठीक किया जाता है. स्थिति चिंताजनक नहीं है. उधर, स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में भर्ती बच्चों की जांच करायी तो पाया गया कि कुछ बच्चों में निमोनिया की शिकायत है.

सूत्रों का कहना है कि जांच में यह पाया गया है कि एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर में भर्ती 30 बच्चों में ब्रोंकोलाइटिस (निमोनिया) की शिकायत पायी गयी है. इसके अलावा 75 बच्चे मुजफ्फरपुर के निजी अस्पताल, केजरीवाल में भर्ती है. ये बच्चे अलग-अलग बीमारियों की शिकायत लेकर भर्ती कराये गये हैं.

Posted by Ashish Jha

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