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पटना के शास्त्रीनगर उप डाकघर में 40 लाख से अधिक का घोटाला, अधिकारियों में हड़कंप

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कर्मियों ने वैसे खाताधारकों को अपना निशाना बनाया, जिनके खातों में सालों से किसी तरह का ट्रांजेक्शन नहीं हुआ था.

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सुबोध कुमार नंदन, पटना : लाल बहादुर शास्त्री (एलबीएस) नगर उप डाकघर में 40 लाख रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया है. इससे कर्मियों और अधिकारियों में हड़कंप है. घोटाला 2017 से लेकर 2019 तक का है. अधिकारियों की मानें, तो यह घोटाला डाक सहायक वसुधा सिन्हा और सहायक डाकपाल सुजीत कुमार के कार्यकाल के दौरान हुआ.

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फिलहाल ये दोनों बांकीपुर उप डाकघर में कार्यरत हैं. यह घोटाला फिक्स्ड डिपॉजिट और मंथली इनकम स्कीम से जुड़ा है. कर्मियों ने वैसे खाताधारकों को अपना निशाना बनाया, जिनके खातों में सालों से किसी तरह का ट्रांजेक्शन नहीं हुआ था. सभी निकासी मैनुअल खाते से की गयी है.

चल रही है जांच-पड़ताल : जानकारी के wअनुसार पटना डिवीजन के वरीय डाक अधीक्षक हम्माद जफर को एलबीएस नगर उप डाकघर में घोटला होने की सूचना मिली थी. उसके बाद उन्होंने इसकी जांच अगस्त में शुरू करने की जिम्मेदारी पटना प्रमंडल के इंस्पेक्टर पवन वर्मा को दी. तब से अब तक इस घोटाले से संबंधित एक-एक रिकॉर्ड की जांच-पड़ताल चल रही है. इस संबंध में पवन वर्मा ने बताया कि जांच अभी फर्स्ट स्टेज में है.

मामला हाइ रिस्क से जुड़ा है. वहीं, पटना डिवीजन के तत्कालीन वरीय डाक अधीक्षक और वर्तमान में विजिलेंस ऑफिसर हम्माद जफर ने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया और कहा कि मामले की जांच चल रही है, जो भी दोषी होगा उसे सजा मिलेगी. जांच के दौरान वर्षों से बंद एफडी और मंथली इनकम स्कीम से निकासी का मामला प्रकाश में आया. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस तरह की अवैध निकासी अन्य स्कीम से भी हो सकती है.

संदेह के घेरे में सुपरवाइजर

हर ट्रांजेक्क्शन की जांच करने की जिम्मेदारी क्षेत्र के सुपरवाइजर की होती है. लेकिन इस मामले में उन्हें नजरअंदाज किया गया है. साथ ही इसमें बचत बैंक नियंत्रण शाखा के कर्मचारी के शामिल होने की पूरी आशंका है. अधिकारियों की मानें, तो घोटाला लाखों में हो सकता है. जांच के बाद ही पता चलेगा कि जालसाजी के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाये गये. पहले दोषी कर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जायेगी. उसके बाद एफआइआर होगी. कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस (सीबीएस) सिस्टम के कारण मामला जल्द में प्रकाश में आया, वरना यह घोटाला उजागर नहीं हो पाता.

ज्ञात हो कि फरवरी, 2015 में डाक विभाग के सभी डाकघरों को कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस से जोड़ा गया है. इस पूरे मामले के संबंध में जब डाक विभाग (बिहार सर्किल) के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल अनिल कुमार से संपर्क किया गया तो उनका मोबाइल बार-बार व्यस्त मिला. इसके बाद उन्हें मैसेज कर उनका पक्ष रखने की बात कहा, लेकिन उन्होंने उसका भी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा.

Posted by Ashish Jha

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