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कौन थे नदी में साइकिल चलाने वाले बिहार के सैदुल्लाह? दिमाग ऐसा कि अब्दुल कलाम ने भी माना था लोहा..

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बिहार के पूर्वी चंपारण निवासी मोहम्मद सैदुल्लाह का इंतकाल हो गया. वो अनोखे आविष्कारों को लेकर सुर्खियों में रहते थे. कभी पानी पर चलने वाला साइकिल तो कभी हाथ से चलने वाला पंप सेट बनाकर उन्होंने सबको चौंकाया. जानिए क्या थी उनकी उपलब्धि..

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बिहार के पूर्वी चंपारण के निवासी मोहम्मद सैदुल्लाह (75 वर्ष) अपने अनोखे आविष्कारों के लिए बेहद फेमस रहे. आखिरकार अनोखे आविष्कारों से देश-दुनिया को चकित करने वाले जटवा निवासी मोहम्मद सैफुल्लाह (75) का मंगलवार को इंतकाल हो गया. उनके जनाजे की नमाज बुधवार को जटवा स्थित कब्रिस्तान में अदा की गयी. जनाजे में जटवा, जनेरवा, गोबरी सहित आसपास के दर्जनों गांवों के सैकड़ों लोगों के अलावे उनके चाहने वाले व रिश्तेदार शामिल हुए. वह बीते कई माह से बीमार चल रहे थे. मोहम्मद सैदुल्लाह राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित थे. उनके पास वो कला थी जिसका सबने लोहा माना. वो बेहद ही चौंकाने वाले आविष्कार करते थे. ग्रासरूट इनोवेशन अवार्ड से उन्हें तब राष्ट्रपति ने सम्मानित किया था. एक या दो नहीं बल्कि दर्जनों अवार्ड से उन्हें सम्मानित किया जा चुका था. वो पानी में चलने वाली साइकिल का आविष्कार करके भी बेहद सुर्खियों में रहे. सैफुल्लाह ने खुद नदी में साइकिल चलायी थी.

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सैदुल्लाह  ने किए ये आविष्कार, अब्दुल कलाम ने किया था सम्मानित

सैदुल्लाह ने पानी में चलने वाली साइकिल, हाथ से चलने वाला पंप सेट, फैन, मिनी ट्रैक्टर, बैट्री से चलने वाली साइकिल और बाइक सहित अन्य दर्जनों उपयोगी वस्तुओं का आविष्कार किया गया था. कभी डॉ. अब्दुल कलाम ने उनके ब्रेन का लोहा माना था. सैदुल्लाह ने कई अनोखे आविष्कार किए थे और इसके लिए उन्हें ग्रासरूट इनोवेशन अवार्ड से 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था. इसके अलावे उन्हें नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड सहित दर्जनों पुरस्कार मिले थे. 2005 में ही वाल स्ट्रीट जर्नल एशियन इनोवेशन अवार्ड्स के लिए 12 आविष्कारकों की सूची में भी शामिल किये गये थे. लंबे समय तक सैदुल्लाह देश और दुनिया की मीडिया की सुर्खियों में भी रहे.

पैसे के अभाव में एक कसक रह गयी साथ..

सैदुल्लाह की एक कसक उनके साथ ही विदा हो गयी. बताया गया है कि पैसों के अभाव में वह आविष्कारों को पेटेंट नहीं करा सके. इस बात की उन्हें हमेसा कसक रही. पैसे के अभाव की वजह से उनके बनाए प्रोडक्ट भी मार्केट में नहीं आ सके. सैदुल्लाह बेहद जुनूनी थे. उन्होंने अपने जुनून को बुलंदी तक पहुंचाने के लिए अपनी 40 एकड़ जमीन भी बेच डाली. वह अपने पीछे एक पुत्र, दो पुत्रियां सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनके निधन पर सूबे के विधि मंत्री डॉ. शमीम अहमद सहित सैकड़ों लोगों ने शोक व्यक्त किया.

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पानी पर चलने वाली साइकिल बनाकर सुर्खियों में छाए

पानी पर चलने वाली साइकिल मोहम्मद सैदुल्लाह ने 1975 के बाढ़ के दौरान तैयार किया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कभी बताया था कि एक मल्लाह ने बाढ़ के दौरान बिना पैसे दिए नाव में बैठाने से मना कर दिया था. तभी उन्होंने जिद ठानी और इस साइकिल का आविष्कार कर डाला. इस साइकिल को उन्होंने पटना में गंगा नदी में भी चलाकर दिखाया था. ऐसा ही रिक्शा भी उन्होंने तैयार किया था. जो पानी पर पाइडल मारकर चलाया जाता था. सैदुल्लाह हवा से चलने वाली कार और हेलीकॉप्टर बनाने की ख्वाहिश रखते थे. पैसे के अभाव में वो आगे अधिक आविष्कार करने की हिम्मत नहीं जुटा सके. बताया जाता है कि वो साइकिल पंचर की दुकान चलाकर अपना घर चलाने लगे थे. उन्हें कसक थी कि पुरस्कार तो उन्हें कई मिले लेकिन आर्थिक मदद कहीं से नहीं मिली जिसके कारण उनका जुनून धरा रह गया.

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