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गोपालगंज में बदमाशों ने पंख के लिए मार डाले पांच मोर, जांच में जुटी वन विभाग की टीम

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भोरे प्रखंड से होकर गुजरने वाली स्याही नदी के किनारे जंगलों में बड़ी संख्या में मोर रहते हैं. बता दें कि प्रखंड की डूमर नरेंद्र और बगहवां मिश्र पंचायत क्षेत्र में मोर को बड़ी संख्या में देखा जाता है.

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गोपालगंज(भोरे): थाना क्षेत्र के इमिलिया गांव के पास स्याही नदी के किनारे राष्ट्रीय पक्षी मोर को मार कर पंख उखाड़ लिये गये. स्याही नदी में उगी जंगल-झाड़ से पांच मरे हुए मोर बरामद किये गये हैं. इनके पंख गायब हैं.

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ग्रामीणों ने वन विभाग को दी सूचना

ग्रामीणों ने पूरे मामले की जानकारी वन विभाग और स्थानीय पुलिस को दी. इसके बाद वन विभाग से रेंजर राजकुमार प्रसाद, डॉक्टरों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और जांच शुरू कर दी.

अहम बातें 

  • भारत सरकार ने 26 जनवरी 1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया था.

  • संसदीय कानून भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मोर को सुरक्षा प्रदान की गई है.

  • इंडियन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 के तहत मोर या किसी भी पक्षी को मारने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है.

बड़ी संख्या में मोरों का किया जाता है शिकार

जानकारी के मुताबिक भोरे प्रखंड से होकर गुजरने वाली स्याही नदी के किनारे जंगलों में बड़ी संख्या में मोर रहते हैं. प्रखंड की डूमर नरेंद्र और बगहवां मिश्र पंचायत क्षेत्र में इन्हें देखा जाता है. शुक्रवार की सुबह इमिलिया गांव के पास स्थित स्याही नदी में शौच में लिए गये एक युवक को एक मोर का शव दिखा. इधर, डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय पक्षी मोर के शव बरामद हुए हैं.

मोर की हत्या के जुर्म में सात साल की हो सकती है सजा

गौरतलब है कि मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किए 59 साल हो चुके हैं. लेकिन इसकी सुरक्षा के लिए कोई गंभीरता नहीं दिखती है. हालांकि मोर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित है और धारा 51 (1-ए) के अंतर्गत मोर की हत्या के जुर्म में सात साल तक की सजा हो सकती है.

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