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Makar Sankranti: हर साल 20 मिनट की देरी से होता है सूर्य का गोचर,72 वर्ष में बदल जाता है मकर संक्रांति का पर्व

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Makar Sankranti: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में गोचर होने के बाद मनाया जाता है. सूर्य का गोचर 14 जनवरी दिन शनिवार की रात 2 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है. इसलिए मकर संक्रांति का पर्व रविवार को मनाया जाएगा.

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बिहार में मकर संक्रांति का पर्व रविवार को मनाया जायेगा. हालांकि कई लोग इसे आज भी मना रहे है. इसके लिए घर-घर में तैयारी पूरी हो चुकी है. पटना बाजार में तिलकुट की सोंधी खुशबू लोगों को दूर से ही आकर्षित कर रही है. मकर संक्रांति पर्व को लेकर लोग भ्रमित हो रहे है. लोगों का मानना है कि मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को है या 15 जनवरी दिन रविवार को. इसे लेकर लोग काफी उलझे हुए हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में गोचर होने के बाद मनाया जाता है. सूर्य का गोचर 14 जनवरी दिन शनिवार की रात 2 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है. सूर्य शनिवार की रात 2 बजकर 53 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए उदया तिथि में 15 जनवरी दिन रविवार को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा.

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72 वर्ष में बदल जाता है मकर संक्रांति का पर्व

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि सूर्य का धनु से मकर राशि में प्रवेश प्रत्येक वर्ष लगभग 20 मिनट की देरी से होता है. सामान्य तौर पर तीन वर्षों में यह अंतर एक घंटे का तथा 72 वर्षों में पूरे 24 घंटे का हो जाता है. इसलिए अंग्रेजी तारीख के मान से मकर संक्रांति का पर्व 72 वर्षों के अंतराल के बाद एक तारीख आगे बढ़ता रहता है.

पिता पुत्र से संबंध रखता है ये पर्व

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि ने निकलकर अपने पुत्र शनि राशि मकर में प्रवेश कर पूरे एक मास निवास करते हैं. इससे यह पर्व पिता व पुत्र के आपसी मतभेद को दूर करने तथा अच्छा संबंध स्थापित करने की सीख देता है. इस दिन दान-पुण्य करने से उसका सौ गुना पुण्य फल प्राप्त होता है.

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गंगा स्नान और अन्न दान का है विशेष महत्व

संक्रांति को लेकर ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा कहते हैं, दूध-दही के साथ चूड़ा–गुड़ खाने की परंपरा है. दूध और दही का उपयोग हिंदू धर्म में पूजा पाठ में प्रारंभ से ही होता रहा है. यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा था कि अमृतम् किंम् ? इसका उत्तर युधिष्ठिर ने दिया था- गोरसम्. गोरस का अर्थ होता है दूध या दही. मकर संक्रांति के दिन स्नान कर सूर्य को अर्घ देने का विधान है. मान्यता है कि जो मनुष्य इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करता है, उसके दिन की शुरुआत अच्छे से होती है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष ,वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

मो. 8080426594/9545290847

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