16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मंदार पर्वत के पास शुरू हुआ मकर संक्रांति मेला, जानिए आदिवासियों के बीच कैसे हुई सफा धर्म की स्थापना

Advertisement

Makar Sankranti 2021, Safa dharm, sankranti Mela : भारत की धरती हमेशा से अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति सजग रही है. जब भी कुसंस्कृति का प्रभाव बढ़ा, तो उसे रोकने के लिए धार्मिक व सामाजिक आंदोलन भी हुए. एक समय जब आदिवासी समाज में मदिरा और मांसाहारी प्रवृति चरम सीमा को पार कर गया था, तो इस विनाशकारी दरिया से निकालने के लिए चंदर दास ने जन्म लिया जो आगे जाकर सफा धर्म के संस्थापक बने.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Bihar News : (विभांशु की रिपोर्ट) : भारत की धरती हमेशा से अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति सजग रही है. जब भी कुसंस्कृति का प्रभाव बढ़ा, तो उसे रोकने के लिए धार्मिक व सामाजिक आंदोलन भी हुए. एक समय जब आदिवासी समाज में मदिरा और मांसाहारी प्रवृति चरम सीमा को पार कर गया था, तो इस विनाशकारी दरिया से निकालने के लिए चंदर दास ने जन्म लिया जो आगे जाकर सफा धर्म के संस्थापक बने.

- Advertisement -

वे सामाजिक आंदोलन के बहुत बड़े पुरोधा भी साबित हुए. आजादी के पूर्व से ही सामाजिक बदलाव खास कर आदिवासी समुदाय में सामाजिक सुधार का बड़ा आंदोलन इन्होंने ही शुरु किया था. उनका मानना था कि संथाल जातियों में अनेक कुरीतियां जैसे शराब, मांस आदि का विशेष प्रचलन है, जो इस जाति को विनाश के मार्ग पर ले जा रहा है. इसीलिए, बराबर चंदर दास अनेक स्थान पर सतसंग व प्रचार के माध्यम से आदिवासियों को साफ-साफ (स्वच्छ) सादगीपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करते थे. यही साफ-साफ रहने का उपदेश ही सफा धर्म के रुप में परिवर्तित हो गया.

चंदर दास ने आजादी से पूर्व 1934 में मंदार पापरहणी के उत्तर दिशा में एक चोटी पर सफा धर्म के लिए सतसंग कुटी का निर्माण कराया था. आज यह मंदिर के रुप में स्थापित है। चंदर दास के प्रति आदवासी समुदाय में अटूट श्रद्धा एवं विश्वास का वास है. आज सफा धर्म के मानने वालों की संख्या लाखों में है. दस हजार से अधिक अनुयायी आज भी सफा धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. सफा धर्म को मानने वाले मांस-मदिरा, झूठ-कपट एवं अपराध दूर रखकर समाज सुधार के लिए संकल्पित रहते हैं. प्रतिदिन स्वच्छ एवं सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं.

मकर संक्राति में श्वेत वस्त्र पहने सफाईयों से पट जाता है मंदार- प्रति वर्ष 14 जनवरी से मंदार एवं बौंसी में मकर संक्रांती का मेला शुरु हो जाता है. इससे पहले यहां सफा धर्मावलंबियों का जमघट बड़ी संख्या में होती है. ऐसे तो मंदार वह पावन धरती है, जहां पर कई धर्म व संस्कृतियों का संगम होता है. परंतु, सफा धर्म को लेकर आधुनिक युग में भी गजब की मान्यताएं और इस धर्म को मानने वालों के लिए मंदार से अद्भूत आस्था आज भी बनी हुयी है

Also Read: Bihar Cabinet Decision: नीतीश कैबिनेट में 13 एजेंडों को मंजूरी, सरकार ने 3883 नए पद बढ़ाए, मरीजों को ‘दीदी’ की रसोई का खाना

Posted By : Avinish kumar mishra

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें