मधेपुरा. मौसम परिवर्तन को लेकर सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ोतरी होने लगी है. सुबह नौ बजे से डेढ़ बजे तक मरीज सहित परिजन तेज धूप में अस्पताल परिसर डटे रहे. इसके बाद शाम चार से छह में भी मरीजों की लंबी कतार दिखने को मिला. गर्मी बढ़ते ही लोगों में डी-हाईड्रेशन के मरीजों की संख्या अत्यधिक बढ़ गयी है. डी-हाइड्रेशन की शिकायत विशेष कर क्षेत्र में रहकर काम करने वालों में देखी जा रही है. मौसम के अनुरूप होने में कम से कम 20 दिन का समय लगता है,लेकिन अभी जिस गति से गर्मी बढ़ी है शरीर उस अनुरूप नहीं हो पाया है. स्वास्थ्य विभाग सभी को ओआरएस घोल के अलावा आवश्यक दवाईयां उपलब्ध करा रहे है. डॉक्टर बीके दिवाकर ने बताया कि डिहाईड्रेशन व बुखार के मरीजों को बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी. 450 मरीजों ने कराया पंजीकरण बुधवार को ओपीडी में 450 मरीजों ने पंजीकरण कराया. जानकारी के अनुसार पिछले सात दिनों में रोजाना 600 से 700 मरीजों ने सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीज अपना इलाज करवाया है. सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड करीब 50 मरीजों की संख्या थी. इनमें से करीब 14 मरीज इमरजेंसी वार्ड में भर्ती थे. जिसको पेट खराब, उल्टी, बुखार व डायरिया जैसी सामान्य बीमारी से ग्रसित था. हालांकि ज्यादातर मरीज पेट खराब की समस्या से प्रभावित थे. वहीं सदर अस्पताल में मरीजों की भीड़ के कारण कुर्सी की कमी हो गई उसके कारण मरीज फर्श पर बैठकर अपने बारी का इंतजार कर रहे थे. डिहाईड्रेशन में न बरते लापरवाही गर्मी ज्यादा होने के कारण हमारे शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की अत्यधिक कमी होने लगती है.विशेष कर धूप में जाने पर जिस भाग में धूप पड़ता है वहां से सीधे पानी बिना पसीना निकले सूखने लगता है. जिससे हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता तो कम होती ही है, इसके साथ ही शरीर में जितने भी आर्गन हैं वे भी प्रभावित हो जाते हैं. ऐसे में थकावट तथा शरीर कमजोर होने लगता है. चिकित्सकों के अनुसार डिहाईड्रेशन होने पर लापरवाहीं नहीं बरतना चाहिए. जिससे जान भी जा सकती है. इसलिए तत्काल चिकित्सकों से सुझाव लेकर हीं दवाएं ले ये होते हैं मरीजों में लक्षण डिहाईड्रेशन तथा सन स्ट्रोक अर्थात ताप घात में शरीर का पानी तेजी से सुखने लगता है. इससे शरीर में थकावट तथा सुस्ती आने लगती है. जिससे मुंह भी सूखने लगता है. इसका प्रभाव बढ़ने पर चक्कर, बेहोशी,बुखार,सिरदर्द,उल्टी होने के साथ साथ प्रभावित व्यक्ति बहकी बहकी बातें भी करने लगता है.समय पर उपचार नहीं मिलने पर मरीज की मौत भी हो सकती है.इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल चिकित्सकों से संपर्क करें. बच्चों को देखभाल करना ज्यादा जरूरी शिशु विशेषज्ञ डॉ यश शर्मा ने बताया कि सन स्ट्रोक या डिहाईड्रेशन के प्रभाव से बचाने के लिए बच्चों की देखभाल करना ज्यादा जरूरी है. अधिकांश बच्चे छुट्टी के चलते धूप में खेलने चले जाते हैं. इससे बच्चे कपड़े भी नहीं पहने रहते,जिससे उनका धूप से बचाव हो सके. बच्चों के शरीर का क्षेत्रफल भी काफी कम होता है जिससे वे धूप से शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं तथा उनकी स्थिति काफी नाजुक बनी रहती है. इस दौरान लापरवहीं बरतने पर बीमारी जानलेवा हीं साबित हो सकती है.
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