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विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत : प्राचार्य

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विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत : प्राचार्य

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मधेपुरा. भारतीय संस्कृति दुनिया कि सबसे प्राचीन व सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है. दुनिया की संस्कृतियां समय के साथ जमींदोज हो गयी, लेकिन भारतीय संस्कृति आज भी अपना अस्तित्व बचाये हुये है और पूरी दुनिया में फल-फूल रही है. उक्त बातें ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा के प्राचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव ने कही. वे गुरुवार को स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन कर रहे थे. सेमिनार का विषय भारतीय संस्कृति की समसामयिक प्रासंगिकता था. भारतीय अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने में रहे कामयाब- प्राचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति का पांच हजार वर्षों का लिखित इतिहास है. इस बीच दर्जनों देशों के लोग यहां आये, लेकिन वे सभी इस संस्कृति में घुलमिल गये. इस देश की संस्कृति ने शक, हुण, मुगल सबको अपने में समाहित कर लिया. उन्होंने कहा कि विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत है. इसी ताकत के दम पर हमने तमाम झंझावातों का मुकाबला किया. कई विदेशी आक्रांताओं ने हमारी संस्कृति पर हमले किये, फिर भी हम भारतीय अपने सांस्कृतिक मूल्यों को बचाने में कामयाब रहे. हमें अपनी संस्कृति व परंपरा पर है गर्व-कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि हम सभी भारतीय एकजुट हैं. हमें अपनी संस्कृति व परंपरा पर गर्व है. हम पहले भारतीय हैं, फिर कुछ और. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति ने समय-समय पर अपने आपको युगानुकुल चुनौतियों के अनुरूप ढाला है. इसमें मौजूद लचीलेपन के कारण भारतीय संस्कृति आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाये हुए है. मुख्य वक्ता दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ सुधांशु शेखर ने कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् के आदर्शों पर आधारित है. हम यह मानते हैं कि सभी मनुष्यों, जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों सहित संपूर्ण सृष्टि में एक ही ईश्वर का वास है. इसलिए सभी एक हैं और किसी का भी किसी से कोई विरोध नहीं है. जाहिर है कि हम न केवल अपना, वरन चराचर जगत के कल्याण की कामना करते हैं. भारत में सभ्यता व संस्कृति की एक परंपरा है. वेद से लेकर आज तक हमारी परंपरा का मूल तत्व अच्छुण है. भारत आज भी अपने आप को बचाये हुये है. उसकी सांस्कृतिक आधारशिला मजबूत है. भारत में आज भी पारिवारिक मूल्य व नैतिक संस्कार जीवित है. भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित है पूरी दुनिया- मुख्य अतिथि पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा के प्राध्यापक डाॅ अशोक कुमार पोद्दार ने कहा कि आज पूरी दुनिया के लोग भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं. आज विदेशी भी भारतीय परिवार-व्यवस्था, योग व आयुर्वेद आदि को अपना रहे हैं. मौके पर शोधार्थी सौरभ चौहान, आफरीन बेगम, प्रतिभा, जुली, सोनी, पल्लवी, सोनाली, नूतन, नैना, रूपम, विभा, अंशु, बंदना, मनीषा, गीतांजलि, नेहा, गुड़िया, मनीषा, खुशी, विक्की विजेता, प्रिया, आंचल गुप्ता, बबलू, मीठी, आयुष, अभिनव, आशीष झा, विकास, रणविजय आदि उपस्थित थे.

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