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उर्वरक की किल्लत दिखाकर विक्रेता किसानों से वसूल रहे अधिक कीमत

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उर्वरक की किल्लत दिखाकर विक्रेता किसानों से वसूल रहे अधिक कीमत

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प्रतिनिधि, उदाकिशुनगंज

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किसानों को कम लागत पर उन्नत खेती से अधिक उपज के लिए सरकारी स्तर से अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, लेकिन सरकारी बाबुओं की मनमर्जी से यहां के किसानों को सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ धरातल पर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. रबी फसल की खेती शुरू होने से पूर्व ही प्रखंड के उर्वरक विक्रेताओं ने अक्टूबर माह के शुरुआत में ही उर्वरक प्रचुर मात्रा में स्टाॅक कर लिया, लेकिन जब यहां के किसान रबी फसल की खेती की शुरुआत किया तो यहां के उर्वरक विक्रेताओं द्वारा किसानों के समक्ष उर्वरकों की किल्लत बताकर मनमाने तरीके से ऊंची कीमतों पर उर्वरक की बिक्री की जा रही है. किसानों द्वारा जब इस संबंध में विभागीय अधिकारियों व कर्मियों से सवाल किया जाता है तो उनके द्वारा वही रटा रटाया जवाब मिलता है कि हम मामले की जांच कर दोषी उर्वरक विक्रेता के खिलाफ सख्त व कड़ी कार्रवाई करेंगे. लेकिन नतीजा जस का तस बना रहता है. मिली जानकारी के अनुसार उदाकिशुनगंज मुख्यालय बाजार सहित ग्रामीण क्षेत्र के लगभग सभी चौक चौराहों पर दर्जनों से अधिक लाइसेंसी सहित गैर लाइसेंसी उर्वरक विक्रेताओं व कीटनाशक दवाओं की दुकानें अवस्थित हैं. बावजूद उर्वरक विक्रेताओं द्वारा अपने अपने उर्वरक दुकानों में डीएपी, पोटाश, यूरिया सहित विभिन्न ब्रांडों के उर्वरकों का पूरा स्टाॅक उर्वरक विक्रेता के दुकानों व गोदाम में उपलब्ध है. किसान जब किसी भी खुदरा उर्वरक विक्रेता के पास उर्वरक के लिए जाते हैं तो उर्वरक विक्रेता द्वारा उर्वरक का कृत्रिम अभाव बताकर मनमानी व मुंहमांगी कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसका कोई रसीद किसी भी किसान को नहीं दिया जाता है.

दुकानदार पर विभाग का नहीं है नियंत्रण :

प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न दुकान पर स्टॉक उपलब्ध रहने के बावजूद भी उर्वरक का कृत्रिम अभाव बताकर दुकानदार मनमानी कीमतों पर उर्वरक बेच रहे हैं. इसके पीछे विभाग का सुस्त रवैया दिखता है. कृषि विभाग के पदाधिकारी या कर्मी द्वारा किसी भी दुकान का निरक्षण नहीं करने से उर्वरक विक्रेताओं की मनमानी चरम पर रहती है. सबसे यक्ष प्रश्न यह है की जब विभाग के विभागीय अधिकारी प्रखंड कार्यालय में ही बैठे रहेंगे और कृषि समन्वयक व किसान सलाहकार अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं करेंगे. ऐसे में किसानों के हितों की कौन रक्षा करेगा. उसका लाभ धरातल पर उनको कैसे मिलेगा.

कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मियों का बाजार पर नियंत्रण नहीं :

कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मियों की उपस्थिति में उर्वरक विक्रेताओं की मनमानी पर अंकुश लगाएं जाने के लिए प्रखंड उर्वरक निगरानी समिति की बैठक आयोजित किया जाता होता है. जहां बैठक में निर्देश भी दिया जाता है. लेकिन बैठक के बाद ढाक के तीन पात वाली कहानी होती है, लेकिन विभाग के सुस्त रवैया के कारण क्षेत्र के उर्वरक विक्रेताओं द्वारा मनमानी कीमतों पर अपने हिसाब से उर्वरक की बिक्री कर रहे हैं. जिसका रसीद भी किसी किसान को नहीं दिया जा रहा है. इस बाबत प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि प्रखंड में विभागीय स्तर से सभी उर्वरक विक्रेताओं के दुकानों में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक का स्टाॅक उपलब्ध है. किसी भी उर्वरक विक्रेता द्वारा किसी भी किसान को उर्वरक का कृत्रिम अभाव बताकर ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा है या बेचे जाने की बात बतायी जा रही है तो तुरंत उक्त दुकानदार का नाम पता उन्हें मोबाइल के माध्यम से सूचित करें. उन्होंने कहा कि किसी भी शिकायत के आलोक में संबंधित उर्वरक विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी व उनका लाइसेंस को रद्द करने के लिए विभाग को अनुशंसित कर भेज दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि किसानों की समस्याओं की अनदेखी करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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