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International Yoga Day: फज्र की नमाज के बाद हर दिन योग करते हैं मधेपुरा के शौकत अली, जानें खास कारण

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International Yoga Day: शौकत अली का मानना है कि योग का किसी धर्म से कोई वास्ता नहीं है. दरअसल योग सिर्फ एक व्यायाम या कसरत ही नहीं है, बल्कि यह स्वयं को जानने की विद्या है. लिहाजा यह किसी जाति, धर्म या मजहब में बंधा रहने वाला ज्ञान नहीं है.

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International Yoga Day: कुमार आशीष, मधेपुरा. इस्लाम में इनकी पूरी निष्ठा है. ये दिन की शुरूआत फज्र की नमाज से करते हैं. फज्र की नमाज के तुरंत बाद इनकी योग साधना शुरू हो जाती है. इस्लाम पर मुक्ममल ईमान होते हुए भी योग पर निहाल मधेपुरा के शौकत अली की कहानी कुछ अलग है. यह मजहब के ठेकेदारों को चौंका देने वाली है. योग को लोकप्रिय बनाने के लिए शौकत अली बाबा रामदेव के भी शुक्रगुजार हैं.

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सबको योग की जरुरत

शौकत अली कहते हैं कि दरअसल योग सिर्फ एक व्यायाम या कसरत ही नहीं है, बल्कि यह स्वयं को जानने की विद्या है. लिहाजा यह किसी जाति, धर्म या मजहब में बंधा रहने वाला ज्ञान नहीं है. हर किसी को अपने अंदर की शक्ति को जानने और उसे जागृत कर खुद को सबल और समृद्ध करने का अधिकार है. इसकी जरूरत है. भारत में शुरू हुई योग पद्धति आज संपूर्ण विश्व में फैल चुकी है, यह हिंदुस्तान के लिए गौरव की बात है. लेकिन कतिपय लोगों ने इसे धर्म में बांधने का कुत्सित प्रयास किया है. हालांकि वे अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके. आज योग की साधना सिर्फ हिंदू ही नहीं, बल्कि अन्य सभी धर्म के लोग करते हैं. प्रभात खबर ने नियमित योग करने वाले मधेपुरा के ऐसे ही एक मुस्लिम धर्मावलंबी से बात की.

योग का धर्म से वास्ता नहीं

उन्होंने योग के बीच धर्म को सिरे से खारिज करते कहा कि यह सिर्फ विभेद पैदा करने वाले लोगों का काम है. मन, मस्तिष्क और स्वास्थ्य के प्रति सबको सजग रहने की जरूरत है. वे स्वयं लंबे समय से योगाभ्यास कर रहे हैं और इसका उन्हें फायदा भी हो रहा है. शौकत अली बताते हैं कि भारतवर्ष में सीमित रहने वाले योग को विश्व स्तर पर पहुंचाने वाले प्रधानमंत्री और घर-घर योग पहुंचाने वाले योगगुरू बाबा रामदेव धन्यवाद के पात्र हैं. आज उनकी वजह से लोग अकारण बीमार नहीं पड़ते हैं और योग एवं साधना से अपना इलाज खुद कर लेते हैं. शौकत बताते हैं कि 65 वर्ष की आयु होने के बावजूद वे पूरी तरह स्वस्थ और तनाव मुक्त हैं.

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