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जिला स्थापना दिवस आज, 43 साल का हुआ मधेपुरा

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जिला स्थापना दिवस आज, 43 साल का हुआ मधेपुरा

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अमित अंशु, मधेपुरा. बिहार के 38 जिलों में से एक मधेपुरा 1778 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है. कोसी के मुहाने पर अवस्थित यह जिला चारों ओर से छह जिलों से घिरा है. वहीं नेपाल से नजदीक है. डाॅ जगन्नाथ मिश्र के मुख्यमंत्रित्व काल तथा उनकी उपस्थिति में प्रथम जिला पदाधिकारी एसपी सेठ व प्रथम पुलिस अधीक्षक अभयानंद के नेतृत्व में नौ मई 1981 को सात प्रखंडों के साथ बिहार के नक्शे पर जिला बने मधेपुरा में वर्तमान में दो अनुमंडल, 13 प्रखंड व 13 ही अंचल भी हैं. 20 लाख से ज्यादा की आबादी रखने वाले इस जिले की राजनीतिक, धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व राष्ट्रीय स्तर की है. धर्म से सियासत तक पहचान- मधेपुरा क्षेत्र का संबंध रामायण व महाभारत काल के अतिरिक्त मौर्य, कुषाण वंश व मुगल काल में भी अति महत्वपूर्ण रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन में भी इस जिले की अमिट निशानी देखने को मिलती है. आजादी के बाद भी यह क्षेत्र विभिन्न स्तरों पर अपनी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पहचान को दर्शाता रहा है. स्थापना के मात्र चार दशक के सफर में इसकी उपलब्धि उच्च स्तरीय रही है. वहीं सफर के कई आयाम अभी और बांकी हैं. राजनीतिक आइने में रासबिहारी मंडल, भूपेंद्र नारायण मंडल, प्रथम कानून मंत्री बिहार शिव नंदन प्रसाद मंडल, पूर्व मुख्यमंत्री सह मंडल आयोग के अध्यक्ष बीपी मंडल आदि इसके चमचमाते सितारे रूपी वो नाम हैं, जिसकी चमक निरंतर बढ़ती जा रही है. शिक्षा को दी प्राथमिकता- शिक्षा के माहौल बनाने में कोसी के शिक्षा दधीचि कहे जाने वाले कीर्ति नारायण मंडल का त्याग बेमिसाल है, जिसकी बदौलत इस जिले में एक विश्वविद्यालय व दर्जनों उच्च शिक्षण संस्थान हैं, जो जिले को शैक्षणिक व आर्थिक विकास को आधार देता है. कृषि के क्षेत्र में सिंहेश्वर का नारियल विकास बोर्ड की एक खास पहचान रही है. वहीं सिंहेश्वर स्थान इसके गौरवशाली अतीत को प्रमाणित करते हैं. जिला बनने के बाद मधेपुरा तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है. एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग, लॉ व इवनिंग कॉलेज के साथ राष्ट्रीय फलक का हाल में जिले को समर्पित हुआ. मेडिकल कॉलेज शिक्षा के विभिन्न आयामों में समृद्धि दे रहा है. विश्व स्तरीय विद्युत रेलवे इंजन कारखाना से इस जिले को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल रही है. अभी भी बनी है चुनौती- विकास के पथ पर अग्रसर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय छवि प्राप्त मधेपुरा के सामने कई प्रकार की चुनौतियां भी हैं, जिसमें जिला में सही ढंग से सुलभ शौचालय नहीं होना, सबसे दुखद है. जिले को स्वच्छ रखने का कोई कारगर रोड मैप आज तक सुचारू रूप से लागू नहीं हो पाया है. पठन-पाठन से रुचि रखने वालों के लिए पब्लिक पुस्तकालय व किसी भी स्तर पर पत्रिका प्रकाशन की व्यवस्था नहीं है. बड़े आयोजन के लिए मोबाइल शौचालय व पानी की पर्याप्त सुविधा नहीं है. जिला मुख्यालय में रौशनी की व्यापक व्यवस्था नहीं है, जिससे चोरी की घटना आम बात हो गयी है. बड़े आयोजन के लिए संपन्न प्रेक्षागृह नहीं है. टाउन हॉल की हालत जर्जर है. घनी आबादी वाले जिला मुख्यालय में सक्रिय मुक्तिधाम नहीं है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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