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बीएनएमयू के वार्षिक सीनेट बैठक के आयोजन और विश्वविद्यालय प्रशासन की करतूतों से जुड़ा है

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मधेपुरा. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की रीत ही वर्तमान समय में जुदा है. विवादों से नाता ऐसा कि एक विवाद खत्म होने से पहले ही कई अन्य विवाद पनप जाता है. ताजा मामला बीएनएमयू के वार्षिक सीनेट बैठक के आयोजन और विश्वविद्यालय प्रशासन की करतूतों से जुड़ा है. बीएनएमयू में कुलाधिपति सह राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के आगमन तथा वार्षिक सीनेट बैठक होने के कारण जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति होने के बाद भी मुख्य द्वार के दोनों ओर अतिक्रमणों को नहीं हटा सका. इस बाबत मंगलवार को प्रभात खबर में खबर छपने के बाद आनन-फानन में टेंट से ढक आबरू बचाने की कोशिश हुई. प्रभात खबर ने अपने खबर में पहले ही बता दिया था कि अंत में आनन-फानन में विश्वविद्यालय टेंट से ढककर अपनी इज्जत बचायेगा. अंत में ऐसा ही हुआ और राज्यपाल कई रंगों के टेंट टुकड़ों से ढके अतिक्रमण के बगल से गुजरे. -महाविद्यालय द्वारा तोरण द्वार बनवाना फिजूल खर्ची की पराकाष्ठा- बीएनएमयू के सीनेट बैठक में पहली बार ऐसा देखने को मिला कि बीएनएमयू के नये परिसर से बीएनएमयू के प्रशासनिक परिसर स्थित आडिटोरियम तक पहली बार सभी महाविद्यालय से तोरण द्वार बनवा कर, इस पिछड़े क्षेत्र के बच्चों का पैसा खूब बहाया गया है, जिसकी चारों ओर आलोचना ही नहीं हो रही है, बल्कि लोग खुल कर कह रहे कि यह फिजूल खर्ची की पराकाष्ठा है. इस दिखावे की कोई जरूरत ही नहीं थी. यह बीएनएमयू की ऑफिशियल बैठक थी, जिसमें राज्यपाल आधिकारिक प्रधान के रूप में भाग लेने आये थे. बीएनएमयू को कुछ करना ही चाहिए था तो वह विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के दोनों ओर की साफ सफाई एवं अतिक्रमण हटा कर रंगाई-पुताई करवाते, जिसकी पहल मात्र भी नहीं हुई. -एसडीएम के साथ छात्र संगठनों की बैठक की पहल दर्शा रहा है भय- कुलाधिपति सह राज्यपाल के कार्यक्रम से मात्र 24 घंटे पहले सदर एसडीएम के कार्यालय में सभी छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ सौहार्दपूर्ण माहौल में बैठक कर सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश भी खूब चर्चा में है. विश्वविद्यालय से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहली दफा है जब विश्वविद्यालय के मामले में जिला प्रशासन संवाद कर रहा है. -सीनेट बैठक में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चोट- बीएनएमयू की सीनेट बैठक कुलाधिपति के आगमन रूपी महत्वपूर्व अध्याय के बाद भी अनगिनत विवादों की साक्षी बनी. जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा बैठक में पत्रकारों की एंट्री पर आखिरी समय में रोक पर है. सोमवार को पत्रकारों से नाम लेकर पास बनवाने की बात कही गई और मंगलवार को दोपहर में बीएनएमयू प्रशासन द्वारा उन पत्रकारों को पास भी निर्गत किया गया. जिसके बाद पुनः मंगलवार की संध्या एक शिक्षक द्वारा बीएनएमयू प्रशासन ने यह सूचना दिया कि विश्वविद्यालय द्वारा निर्गत पास मान्य नहीं होगा, उन्हें जिला प्रशासन से पास लेना होगा. जब पत्रकारों ने कारण जानना चाहा तो बताया गया कि जिला प्रशासन का ऐसा निर्णय है और बीएनएमयू मुख्य द्वार पर पहुंचे पत्रकारों को जब पता चला और अंदर जाने से रोक दिया गया तो सभी दंग रह गये. हर तरफ यह चर्चा है कि यह पहली दफा है विश्वविद्यालय प्रशासन मीडिया को बैठक में जाने पर रोक लगाई है. सिंहेश्वर विधायक चंद्रहास चौपाल ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसा नहीं हुआ है. एआईवाईएफ के जिला संयोजक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने सीनेट बैठक में पत्रकारों के रोक पर कहा कि इसे काला अध्याय के रूप में दर्ज किया जायेगा. -कुलाधिपति के कार्यक्रम में भूपेंद्र नारायण मंडल की प्रतिमा रही उपेक्षित- बीएनएमयू में हमेशा से राज्यपाल समेत किसी भी हस्ती के आगमन पर उनके मुख्य कार्यक्रमों में बीएनएमयू प्रशासनिक परिसर स्थित भूपेंद्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पण प्रमुख रहता था, लेकिन इधर के वर्षों से इसे भूला दिया गया है. समाजवाद की धरती कही जाने वाली मधेपुरा में समाजवाद के सबसे बड़े हस्ताक्षर भूपेंद्र नारायण मंडल की यह उपेक्षा उनके चाहने वालों को नागवार गुजर रही. स्थानीय समाजसेवियों एवं जनप्रतिनिधियों ने इसे विश्वविद्यालय प्रशासन की शर्मनाक कृत्य बताया है और कहा कि अपने ही परिसर में भूपेंद्र नारायण मंडल की यह हालत कर दी जायेगी, यह उनको भी नहीं अंदाजा होगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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