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करके पीले हाथ उऋण हैं, समझो यह नादानी है…

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लखीसराय. संग्रहालय में चल रहे तीन दिवसीय विश्व प्रसिद्ध बौद्धकालीन लाली पहाड़ी कृमिला महोत्सव का बुधवार की शाम समापन किया गया. समापन के मौके पर कक्षा 7वीं की छात्रा सलोनी ने बाल विवाह पर मार्मिक अपील भरी गीत ”””अभी ब्याहने की क्या जल्दी, थोड़ा लिख-पढ़ जाने दो””” गाया तो संग्रहालय ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. लाल इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा 7वीं छात्रा सलोनी एवं समूह ने उक्त गीत की खूबसूरत प्रस्तुति देकर उपस्थित श्रोताओं को भावविह्वल कर दिया. लोगों ने कहा कि कवि संतोष कुमार सिंह रचित बाल विवाह गीत की सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुति देकर छात्राओं ने मानो समाज के बहुसंख्यक वर्ग के अभिभावकों को संदेश देने का प्रयास किया है. बेटियों की शादी 21 साल से पहले नहीं करने की यह सबसे बेहतर पहल है. नाबालिग लड़की ब्याहने वाले अभिभावकों को सलोनी ने इस गीत के माध्यम से मार्मिक अपील की है कि बाबूजी अभी उसकी पढ़ने-लिखने का समय है, अभी बचपन पूरा नहीं हुआ, अभी तो उसका यौवन भी अधूरा है. गीत की अगली पंक्तियां…समाज को झकझोरने के लिए काफी है. ”””” करके पीले हाथ उऋण हैं…समझो यह नादानी है, तुमने लिख दी एक कली की, फिर से दुखद कहानी है. छात्रा द्वारा प्रस्तुत इस गीत से डीएम सहित अन्य वहां बैठे सभी पदाधिकारी व गणमान्य काफी प्रभावित हुए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

लखीसराय. संग्रहालय में चल रहे तीन दिवसीय विश्व प्रसिद्ध बौद्धकालीन लाली पहाड़ी कृमिला महोत्सव का बुधवार की शाम समापन किया गया. समापन के मौके पर कक्षा 7वीं की छात्रा सलोनी ने बाल विवाह पर मार्मिक अपील भरी गीत ”””अभी ब्याहने की क्या जल्दी, थोड़ा लिख-पढ़ जाने दो””” गाया तो संग्रहालय ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. लाल इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा 7वीं छात्रा सलोनी एवं समूह ने उक्त गीत की खूबसूरत प्रस्तुति देकर उपस्थित श्रोताओं को भावविह्वल कर दिया. लोगों ने कहा कि कवि संतोष कुमार सिंह रचित बाल विवाह गीत की सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुति देकर छात्राओं ने मानो समाज के बहुसंख्यक वर्ग के अभिभावकों को संदेश देने का प्रयास किया है. बेटियों की शादी 21 साल से पहले नहीं करने की यह सबसे बेहतर पहल है. नाबालिग लड़की ब्याहने वाले अभिभावकों को सलोनी ने इस गीत के माध्यम से मार्मिक अपील की है कि बाबूजी अभी उसकी पढ़ने-लिखने का समय है, अभी बचपन पूरा नहीं हुआ, अभी तो उसका यौवन भी अधूरा है. गीत की अगली पंक्तियां…समाज को झकझोरने के लिए काफी है. ”””” करके पीले हाथ उऋण हैं…समझो यह नादानी है, तुमने लिख दी एक कली की, फिर से दुखद कहानी है. छात्रा द्वारा प्रस्तुत इस गीत से डीएम सहित अन्य वहां बैठे सभी पदाधिकारी व गणमान्य काफी प्रभावित हुए.

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