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चतुर्मास को लेकर चार महीने तक मांगलिक कार्य पर लगा ब्रेक

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देवशयनी एकादशी के समाप्ति के साथ ही गुरुवार से चार महीने तक चतुर्मास होने के कारण मांगलिक कार्यों के आयोजन पर ब्रेक लग जायेगा.

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लखीसराय. देवशयनी एकादशी के समाप्ति के साथ ही गुरुवार से चार महीने तक चतुर्मास होने के कारण मांगलिक कार्यों के आयोजन पर ब्रेक लग जायेगा. प्रतिवर्ष ऐसी स्थिति बनने को लेकर पूर्व से ही लोग तैयार रहते हैं. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि देवशयनी एकादशी को लेकर बुधवार को पूजा-अर्चना, दान पुण्य का दौर जारी रहा. तीन दिन बाद पूर्णिमा और फिर बाबा भोलेनाथ के पूजा-अर्चना के लिए अति महात्मय वाली श्रावणी माह की शुरुआत हो जायेगी. पुरोहित प्रमोद पांडेय के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है. इस दिन उपवास रखने से जीवन में आ रही कई समस्याएं दूर हो जाती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है. इसके साथ साथ इस दिन माता लक्ष्मी की उपासना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती है. ऐसे में काफी संख्या में लोग सत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना भी करवाते हैं. देवशयनी एकादशी से देवोत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर विश्राम करते हैं. शयनकाल में मांगलिक कार्य करने से व्यक्ति को उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है. देवशयनी से भगवान विष्णु शयनकाल में चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी को भगवान जागते हैं. चातुर्मास में सभी देवता सो जाते हैं इसलिए इन दिनों मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. इस बार देवोत्थान एकादशी 12 नवंबर को है. इस तरह अगस्त से अक्टूबर तक शादी-विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं. इसके बाद 12 नवंबर देवोत्थान एकादशी से शादी-विवाह शुरू हो जायेंगे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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