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52 साल से विप्लवी क्लब धूमधाम से करता मां दुर्गा की पूजा

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कई दशकों तक गांधी मैदान में आयोजित होने वाली विप्लवी क्लब की पूजा ठाकुरगंज के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है.

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ठाकुरगंज. कई दशकों तक गांधी मैदान में आयोजित होने वाली विप्लवी क्लब की पूजा ठाकुरगंज के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. नगर के मुख्य मार्ग पर आयोजित होने वाली इस पूजा का इतिहास काफी स्वर्णिम है. सन 1972 में गांधी मैदान में शुरू हुई विप्लवी क्लब की दुर्गा पूजा वर्तमान में डीडीसी मार्केट में आयोजित की जाती है.

बंगाली परिवारों ने शुरू की विप्लवी क्लब की पूजा

बंगाल में दुर्गा पूजा उत्सव बंगालियों के श्रद्धा समर्पण के साथ गौरव का भी विषय होता है. हर बंगाली व्यक्ति इस बात के लिए अवश्य प्रयत्न करता है कि वह जहां भी रहे, वहां उसकी इष्ट देवी मां दुर्गा की आराधना व उपासना का अवसर अवश्य मिले. दुनिया के किसी भी कोने में बंगालियों के लिए दुर्गा पूजा एक खास महत्व रखता है. जहां-जहां बंगाली समाज के लोगों ने अपना आशियाना बनाया, वहां-वहां दुर्गा पूजा की स्थापना होती चली गयी. जहां-जहां बंगाली समाज के लोग एकत्रित होते गये, दुर्गा पूजा के पंडाल सजते चले गये और दुर्गा की प्रतिमाओं की श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा होती चली आ रही है. वहीं विप्लवी क्लब के शुरुआत के बारे में याद करते हुए कमेटी के पूर्व सदस्य अपूर्व दास गुप्ता बताते हैं कि 70 के दशक में रेलवे में हुई नौकरी के कारण ठाकुरगंज में कई बंगाली परिवार निवास करने लगे थे. बंगाल से आये इन प्रवासियों ने अपने लोक संस्कृति को ठाकुरगंज में भी बनाये रखने के मकसद से देवी आराधना की शुरुआत की. आधुनिक युग में अपनी लोक संस्कृति को बनाये रखना महत्वपूर्ण कार्य है. इसलिए ठाकुरगंज में दुर्गापूजा में बंगाल की झलक देखने को मिलती है. उन्होंने बताया कि चूंकि दुर्गा पूजा बंगाल का महत्वपूर्ण महोत्सव है, इसलिए ठाकुरगंज में नौकरी हो या व्यापार, किसी भी कारण से बस गये बंगला भाषी लोगों की अभिलाषा रही है कि दुर्गापूजा में बंगाल की लोक संस्कृति की झलक हो.

रेलकर्मियों के परिजनों ने शुरू किया क्लब

1971 में रेलवे की पूजा तत्कालीन स्टेशन मास्टर काशी नाथ बनर्जी के प्रयास से शुरू हुई थी. पूजा शुरू होने के दौरान युवकों के मन में एक क्लब निर्माण का ध्यान आया. उस वक्त इस बात का नेतृत्व काशी नाथ बनर्जी के पुत्र पार्थो बनर्जी कर रहे थे. उन्होंने रेलवे के नौकरी पेशा परिवारों के युवकों के साथ ठाकुरगंज के युवकों को मिला कर एक क्लब का गठन किया. अब सब दुविधा में थे कि क्लब का नामकरण क्या हो. कई नामों के बाद दो नाम चयन किये गये. जिसमें एक विद्रोही क्लब तो दूसरा विप्लवी क्लब का सुझाव मिला. दोनों नाम का अर्थ क्रांति से था. लेकिन युवकों की दुविधा का निवारण किया स्व. ननी गोपाल दास बनर्जी ने और विप्लवी क्लब के नाम से 1972 में एक नये क्लब की स्थापना हुई. क्लब द्वारा इसी वर्ष दुर्गापूजा का भी निर्णय लिया गया. वहीं इस पूजा में सक्रीय रूप से योगदान सुशीला जैन ने दिया. गांधी मैदान में शुरू हुई पूजा में सुशीला जैन का योगदान भुलाया नहीं जा सकता. बाद में उनके पुत्र अजीत जैन, मुन्ना गुप्ता जेसे लोगों ने भी सक्रियता बढ़ाई.

1992 में हुआ स्थल परिवर्तन

ठाकुरगंज में जलापूर्ति के लिए गांधी मैदान में पाइप गिरा दिए जाने के कारण हो रही परेशानी के मद्देनजर यह पूजा 1992 में डीडीसी मार्केट में स्थानांतरित हो गयी. हालांकि बीच के दो वर्ष पूजा पुनः गांधी मैदान में हुई, लेकिन बाद में पूर्ववत डीडीसी मार्केट में हो रही है.

दक्षिणेश्वर काली मंदिर का दर्शन करेंगे भक्त

इस वक्त विप्लवी क्लब द्वारा सुप्रसिद्ध दक्षिणेश्वर काली मंदिर का प्रतिबिंब बनाया जा रहा है, बताते चलें कि यह मंदिर हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है. मंदिर की सुंदरता व आकर्षण इतना प्रसिद्ध है कि कोलकाता की यात्रा इस मंदिर के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है. पंडाल को भव्य स्वरूप देने के लिए पश्चिम बंगाल के खोड़ीबाड़ी से आए 20 कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं. पंडाल के भीतर मां दुर्गा की 11 फीट की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. दक्षिणेश्वर काली मंदिर के अलावा पंडाल में कोलकाता के एक प्रसिद्ध होटल की भव्यता भी दिखायी देगी.

बंगाल के मूर्तिकार करते हैं मूर्ति की स्थापना

बंगाल से आए मूर्तिकार द्वारा महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा एवं उनके परिवार की आकर्षक प्रतिमा का निर्माण करवाया जा रहा है. जिसमें शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा, समृद्धी की देवी मां लक्ष्मी, ज्ञान की देवी मां सरस्वती, सदबुद्धि के देवता गणेश व सार्थक शौर्य के प्रतीक कार्तिकेय की प्रतिमा का निर्माण कर पूजा अर्चना की जाती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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