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लोकसभा चुनाव: कोई बना रहा फिजा तो कोई निकाल रहा हवा

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लोकसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान रफ्तार पकड़ने के साथ ही अब बाजारों से ग्रामीण इलाके में लोगों के बीच चुनाव को लेकर चर्चाओं का सिलसिला तेज होता जा रहा है.

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अवधेश यादव,किशनगंज.लोकसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान रफ्तार पकड़ने के साथ ही अब बाजारों से ग्रामीण इलाके में लोगों के बीच चुनाव को लेकर चर्चाओं का सिलसिला तेज होता जा रहा है.लोग अब चुनावी रंग में पूरी तरह से रंगने लगे हैं. जगह-जगह लोगों के बीच चुनावी चर्चा अब बहस का रूप लेने लगी है.लोग अपने राजनीतिक पार्टियों से लेकर प्रत्याशी तक को सही साबित करने के लिए उनके पक्ष में तर्क वितर्क करने लगे हैं.कोई किसी दल तथा प्रत्याशी की अपने तर्क व वितर्क से हवा बना रहा तो कोई उस दल पर प्रत्याशी की हवा निकालने में लगा है. सबके अपने अपने तर्क और अपना-अपना पक्ष है. चुनावी चर्चा का दौर शहर से होते हुए सुदूर गांव तक पहुंच गया है.शनिवार को दिघलबैंक बाजार में लोगों के बीच चुनावी चर्चा चल रही थी. लोग एक दूसरे से गर्मा गरम बहस कर रहे थे. इस चर्चा में शामिल आफताब अहमद ने कहा कि विकास की बातें खूब हो रही हैं. लेकिन विकास धरातल पर नहीं हो रहा है.योजनाएं शुरू हो रही हैं और बीच में ही अटकी रह जाती हैं.इनकी बात का समर्थन करते हुए रामदेव साह ने कहा कि दिघलबैंक का यह हाल हैं कि लोगों के घरों में नल का पानी नहीं पहुंच रहा है.गांवों में कागज में की योजना चल रही है.विकास को धरातल पर परखना चाहिए. हालांकि बलराम प्रसाद गिल इन लोगों की बात से सहमत नहीं थे.उन्होंने कहा कि पहले और अब में काफी फर्क आ गया है.अब संसाधन पहले से काफी बढ़ गए हैं. गांव गांव में सडक बन गई है.बिजली गांव गांव में मिल रही है.पहले क्या हाल था इसकी भी तरफ देखने की जरुरत है. बिनोद चौधरी भी इनकी बात से सहमत दिखे.उन्होंने कहा कि बिगड़ी व्यवस्था को पूरी तरह से ठीक करने में समय लगता है. चर्चा में शंभूनाथ चौधरी ने किसी के पक्ष में दिखे और ना ही विरोध में. उन्होंने कहा कि बिहार का विकास तभी होगा जब लोग भी उसमें योगदान देंगे.यहां तो नेता से लेकर आम लोग जिससे मौका मिल रहा है, वह अपना पॉकेट भरने की ताक में रहता है. दल के साथ स्थानीय स्तर पर प्रत्याशी को देखने की भी जरुरत है. चटख हो रहा चुनावी रंग विकास की चाशनी में बना रहे चुनावी फिजा लोकसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों का चेहरा सामने आने के बाद अब हाट-बाजारों से लेकर चौक-चौराहों तथा गांवों में लोग विकास की चाशनी चढ़ा कर चुनावी फिजा बनाने लगे हैं. प्रचार अभियान जोर पकड़ने के साथ ही लोगों के बीच पक्ष विपक्ष में तर्क वितर्क करने का दौर शुरू हो गया है. चर्चाओं के दौरान लोग पार्टी लाइन पकड़ कर उसके हिसाब से आकलन लगाने लगे हैं. इन चर्चाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव के साथ सभी दलों के प्रमुख नेता और उनकी नीतियां चर्चा का विषय बनने लगी हैं. रोजगार, नौकरी,किसानों की समस्या को लेकर भी लोगों के बीच गरमा-गरम बहस चलने लगी है.शहर से लेकर प्रखंड मुख्यालयों के हाट-बाजार की दुकान से लेकर चौक-चौराहे चुनावी चर्चाओं को लेकर लोगों का अड्डा बनने लगे हैं.शहर आये गांवों से लोग आपस में चुनावी चर्चा के दौरान गरमा गरम बहस कर रहे थे.इस चर्चा में शामिल बिपिन कुमार कहते हैं कि देश और प्रदेश से ऊपर कुछ नहीं है. यह चुनाव प्रदेश में सरकार चुनने का है.प्रदेश के विकास को ध्यान में रख कर वोट देना चाहिए.मो.रामेश्वर भगत कहते हैं कि देश आगे तभी बढ़ेगा जब हर इलाके का विकास होगा.क्षेत्र के विकास में प्रत्याशी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. प्रत्याशियों को देखकर वोट करना चाहिए.राज नारायण गुप्ता कहते हैं कि रोजगार, नौकरी तथा किसानों की समस्या दूर करने के लिए सभी दल दावा कर रहे हैं. जमीनी स्तर पर जिसका काम जैसा रहा है, उसे परखना जरूरी है.इस चर्चा में शामिल दीपक झा भी इनकी बात से सहमति जाते हैं.वे कहते हैं कि बिहार का हित सबसे पहले है.इसके लिए राजनीतिक दलों के नेता को देखकर वोट देना चाहिए.

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