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श्रद्धालुओं ने की मां के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा

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शहरा के रंग में अब जिले के लोग रंग चुके हैं. सुबह से देर रात तक सप्तशती के मंत्र गुंजायमान हो रहे हैं.

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किशनगंज. शहरा के रंग में अब जिले के लोग रंग चुके हैं. सुबह से देर रात तक सप्तशती के मंत्र गुंजायमान हो रहे हैं. इसी क्रम में शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने निरोगी व सुंदर काया प्रदान करनेवाली देवी कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग- अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की विशेष पूजा-अर्चना व उपासना करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ऐसा मानना है कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से निरोगी व सुंदर काया का आशीर्वाद मिलता है. कूष्मांडा देवी को आदिशक्ति के रूप में भी जाना जाता है. क्योंकि वह ब्रहांड की निर्माता हैं. रविवार को शारदीय नवरात्र के चतुर्थी को जिले के दुर्गा मंदिरों में पूजा-अर्चना को लेकर लोगों की भीड़ लगी रही. भक्तों ने देवी के चौथे स्वरूप माता कुष्मांडा की उपासना कर आशीष मांगा. भक्त घंटों कतारबद्ध होकर मां की पूजा के लिए मंदिर के बाहर इंतजार करते रहे. इस दौरान पूजा करने आये लोगों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए पूजा कमेटियों ने व्यापक इंतजाम भी किये हैं.

उत्तरपाली दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित जगन्नाथ झा ने बताया कि शास्त्रों व मान्यताओं के अनुसार जब इस संसार में सिर्फ अंधकार था तब देवी कूष्मांडा ने अपने ईश्वरीय हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी. यही वजह है कि देवी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में भी जाना जाता है. इसी के चलते इन्हें आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा जाता है. नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा के पूजन का विशेष महत्व है. पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त सच्चे मन से नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करता है, उसे आयु, यश व बल की प्राप्ति होती है. उन्होंने आगे बताया कि ””कु”” का अर्थ है कुछ, ””ऊष्मा”” का अर्थ है ताप व ””अंडा”” का अर्थ है ब्रह्मांड. शास्त्रों के अनुसार मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान से संसार में फैले अंधकार को दूर किया था. चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए माता कूष्मांडा को सभी दुखों को हरने वाली मां कहा जाता है. इनका निवास स्थान सूर्य है. यही वजह है कि माता कूष्मांडा के पीछे सूर्य का तेज दर्शाया जाता है. मां दुर्गा का यह इकलौता ऐसा रूप है जिन्हें सूर्यलोक में रहने की शक्ति प्राप्त है. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में पूजा पंडाल के निर्माण को अंतिम रूप देने में कारीगर जुट गये हैं. पंडालों में लाइटिंग व डेकोरेशन का कार्य भी तेज हो गया हैं, पूरे जिले में कई दर्जन स्थानों पर पूजा पंडाल बनाया जा रहा है. प्रशासनिक स्तर पर सभी पूजा पंडालों की सुरक्षा को लेकर निर्देश जारी किये गये हैं. इसके अलावा तमाम पंडालों में अग्निशमन यंत्र लगाने से लेकर पंडाल के अंदर प्रवेश व निकास के लिए अलग-अलग द्वार बनाने के निर्देश दिये गये हैं, ताकि पूजा पंडालों में लोगों की भीड़ होने की स्थिति में किसी भी तरह की कोई समस्या लोगों को न हो. शहर के काली व दुर्गा मंदिर में प्रत्येक दिन संध्या समय आरती के कार्यक्रम में भक्तों की भीड़ जमा हो रही है. प्रशासनिक स्तर पर तमाम मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ी करने का आदेश दिया गया है.

महाकाल मंदिर में माता के दर्शन को पहुंचे भक्त

किशनगंज. शहर के रुईधासा स्थित महाकाल मंदिर में रविवार को माता के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ की गयी. मंदिर में पहले दिन से ही कलश स्थापित कर माता की पूजा-अर्चना की जा रही है. मंदिर में भक्त सुबह से ही माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे थे. यहां विधि-विधान के साथ माता की पूजा की जाती है. किशनगंज के अलावे आसपास के जिलों से भी भक्त मंदिर में मां दुर्गा के दर्शन के लिए पहुंच रहे थे. मंदिर में मां दुर्गा के साथ महाकाल बाबा की पूजा-अर्चना भी की जाती है. संध्या में मंदिर में आरती की जाती है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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