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जिले के आंगनवाड़ी केंद्र में गोदभराई के साथ विश्व स्तनपान सप्ताह का हुआ आयोजन

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बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और विकास के लिए जन्म के बाद एक घंटे के अंदर ही स्तनपान कराना आवश्यक है. इससे समय के साथ बच्चों के शारीरिक और मानसिक अवस्था की वृद्धि होती है .

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किशनगंज.बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और विकास के लिए जन्म के बाद एक घंटे के अंदर ही स्तनपान कराना आवश्यक है. इससे समय के साथ बच्चों के शारीरिक और मानसिक अवस्था की वृद्धि होती है और बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते हैं. लोगों को स्तनपान कराने से बच्चों में होने वाले विकास के प्रति जागरूक करने के लिए जिले के सभी प्रखंडों में 01 से 07 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया गया है.

इस दौरान जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर शिविर आयोजित कर लोगों को स्तनपान के प्रति जागरूक किया गया है. बुधवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्र में गर्भवती माता के गोद भराई के साथ क्षेत्र के स्थानीय लोगों के साथ स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया गया. इसमें उपस्थित लोगों को बच्चों के जन्म के बाद से उन्हें छः माह तक केवल स्तनपान कराने और उसके बाद पूरक आहार के साथ साथ स्तनपान कराने के लिए जागरूक किया गया. इसके बाद सभी लोगों द्वारा जागरूकता रैली का भी आयोजन किया गया जिसके माध्यम से अन्य स्थानीय लोगों को स्तनपान कराने से शिशुओं को होने वाले फायदों की जानकारी दी गई. वर्ष 2024 में विश्व स्तनपान सप्ताह का थीम “सार्वजनिक व निजी प्रसूति अस्पतालों में बच्चों को जन्म देने वाली सभी महिलाओं को स्तनपान कराने में सहायता सुनिश्चित कराना ” रखा गया है.इसी क्रम में जिले के कोचाधामन प्रखंड में हेल्दी बेबी शो क किया गया आयोजन किया गया है. |

छः माह तक बच्चों को मिलना चाहिए केवल मां का दूध

आंगनबाड़ी केंद्र में उपस्थित लोगों को जागरूक करते हुए तेधागाछ की सीडीपीओ प्रियंका श्रीवास्तव ने बताया कि स्तनपान नवजात शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है. स्तनपान कराने से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है जो उन्हें विभिन्न बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है. बच्चों को जन्म के बाद एक घंटे के भीतर ही स्तनपान कराना चाहिए. महिलाओं को भी स्तनपान कराने में कोई शारीरिक समस्या नहीं होती है बल्कि स्तनपान कराने से महिलाओं के शारीरिक क्षमता का विकास होता है. मां बनने पर शुरुआत में स्तनपान कराने में कभी कभी कुछ महिलाओं को समस्या हो सकती है लेकिन लगातार स्तनपान कराते करने से समस्या ठीक भी हो जाता है. इसलिए सभी महिलाओं को अपने शिशु का छः माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए. उसके बाद अगले दो साल तक अतिरिक्त पौष्टिक आहार के साथ साथ बच्चों को स्तनपान कराना चाहिए. इससे समय पर बच्चों का शारीरिक और मानसिक अवस्था का विकास होता है और बच्चे स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते हैं.

विभिन्न रोगों से लड़ने की क्षमता का विकास करता है मां का दूध

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि नवजात शिशुओं को जन्म के बाद से ही माँ का गाढ़ा दूध का सेवन कराना नवजात शिशुओं के बेहतर स्वास्थ के लिए आवश्यक होता है. मां का गाढ़ा पीला दूध बच्चों को जन्म के बाद होने वाले बीमारी निमोनिया, डायरिया आदि से सुरक्षित करता है और बच्चों के पोषण स्तर के विकास में सहायक होता है. छः माह तक मां का दूध सेवन ही उन्हें छः माह बाद अतिरिक्त पौष्टिक आहार सेवन के लिए तैयार करता है. इसलिए सभी लोगों को बच्चों के जन्म के बाद छः माह तक केवल मां का दूध और उसके बाद अतिरिक्त पौष्टिक आहार के लिए जागरूक होना चाहिए.

आंगनबाड़ी केंद्र में गर्भवती महिलाओं का किया गया गोदभराई

स्तनपान सप्ताह के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र में गर्भवती महिलाओं के साथ गोदभराई दिवस का भी आयोजन किया गया. इस दौरान क्षेत्र की गर्भवती महिला को चुनरी और पौष्टिक आहार की पोटली देते हुए उन्हें गर्भावस्था के दौरान स्वछता का उपयोग करने के प्रति जागरूक किया गया. वही गोदभराई के दौरान गर्भवती महिला को गर्भावस्था में बच्चे के सुपोषित रहने के लिए घरेलू खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए. इसके साथ साथ गर्भवती महिला और बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए संबंधित परिजनों को समय समय पर प्रसव पूर्व जांच करवाते हुए चिकित्सकों द्वारा निर्धारित दवाओं का नियमित रूप से सेवन करवाना सुनिश्चित करना चाहिए. इससे होने वाले बच्चे और माँ बिल्कुल स्वास्थ रह सकेंगे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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