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लोगों की आस्था का केंद्र है 151 वर्ष प्राचीन बालूबाड़ी काली मंदिर, दीपावली में लगता है मेला

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1968 में भीषण बाढ़ की वजह से मंदिर और मेला का जमीन महानंदा नदी के बीच धार में चले जाने से मेला का महत्व घटते गया

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किशनगंज पोठिया प्रखंड के फाला पंचायत के बालूबाड़ी स्थित काली मंदिर इलाके में आस्था का केंद्र है. बालूबाड़ी काली मंदिर में दूर दराज से भक्त पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां भक्तों द्वारा मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. दीपावली के अवसर पर मंदिर कमेटी द्वारा तीन दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है. यह मंदिर लगभग 151 वर्ष प्राचीन मंदिर है. बताया जाता है कि बालूबाड़ी काली मंदिर का निर्माण 1872 में भूतपूर्व मुखिया अन्नादार साहा के पूर्वजों ने किया था. तब से प्रत्येक वर्ष काली पूजा के दौरान इस मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है. वर्तमान में मंदिर में पूजा अनुष्ठान दीपक शाह द्वारा कराया जा रहा है. दरअसल बालू बाड़ी स्थित काली मंदिर का निर्माण गिल्लाबाड़ी गांव निवासी भूतपूर्व मुखिया स्वर्गीय अनादर शाह की परदादी पुरनी देवी ने 151 वर्ष पहले की थी तत्काल यहां पूजा शुरू करने के बाद एक माह के लिए मेला का आयोजन कराया गया था. वर्ष 1967 तक तीन दिवसीय मेला जारी रहा लेकिन वर्ष 1968 में भीषण बाढ़ की वजह से मंदिर और मेला का जमीन महानंदा नदी के बीच धार में चले जाने से मेला का महत्व घटते गया मसलन मेला का स्थल परिवर्तन के बाद बालू बाड़ी काली पूजा का प्रसिद्ध मेला तीन दिनों तक ही सिमट गया जो आज तक जारी है. बालूबाड़ी मेला क्षेत्र के अन्य मेल से काफी भीड़भार रहती है. दूसरी खासियत यह है कि मेला में पहले दिन से अंतिम दिन तक मेला में इलाके के तमाम आदिवासी गांव से आदिवासी महिला व पुरुषों की जुटान होता है जो 3 दिनों तक आदिवासी महिला व पुरुष मनोकामना नित्य यहां की विशेषता भी है. आयोजित मेले में सिलीगुड़ी बागडोगरा, रामगंज ,रायगंज मालदा से व्यापारी पहुंचते हैं. वही मेला कमेटी के सदस्यों ने कहा कि मेले में काफी भीड़भाड़ होती है उन्होंने पुलिस प्रशासन से मेले में विधि व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है.

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