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गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में दीपावली पर पटाखों पर रोक को लेकर डिबेट प्रतियोगिता

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दीपावली पर पटाखों पर रोक को लेकर डिबेट

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खगड़िया राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय में मंगलवार को क्या दीपावली के उत्सव में पटाखों पर प्रतिबंध लगना चाहिए. विषय को लेकर डिबेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. यह डिबेट प्रतियोगिता में कॉलेज के दर्जनों छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. प्रोफेसर अविरल कुमार ने बताया कि प्रतियोगिता का आयोजन कला एवं संस्कृति क्लब द्वारा किया गया. जिसका उद्देश्य छात्रों में तार्किक सोच विकसित करना और उन्हें समसामयिक मुद्दों पर जागरूक करना था. प्रतियोगिता का विषय क्या दीपावली के उत्सव में पटाखों पर प्रतिबंध लगना चाहिए. बेहद संवेदनशील था. डिबेट में छात्रों ने पर्यावरणीय क्षति, ध्वनि और वायु प्रदूषण, जानवरों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर प्रभाव, और सांस संबंधी बीमारियों के बढ़ते मामलों जैसे मुद्दों पर जोर दिया. प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्रों ने अपने-अपने पक्ष में ठोस तर्क प्रस्तुत किया.

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पटाखों के धुएं से बढ़ती है अस्थमा और सांस से जुड़ी बीमारियां

पक्ष में बोलने वालों ने कहा कि पटाखों से होने वाला वायु और ध्वनि प्रदूषण दीपावली की वास्तविक भावना को नुकसान पहुंचा रहा है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि बढ़ते प्रदूषण से न केवल पर्यावरण, बल्कि लोगों की सेहत पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. पटाखों के धुएं से अस्थमा और सांस से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं, और इससे छोटे बच्चों, बुजुर्गों और जानवरों पर भी बुरा असर पड़ता है.

प्रदूषण-मुक्त और इको-फ्रेंडली पटाखों को बढ़ावा दे सरकार

विपक्ष में बोलने वालों ने कहा कि पटाखे भारतीय परंपरा और संस्कृति का एक अहम हिस्सा है. उनके अनुसार, दीपावली की खुशियां और उत्सव पटाखों के बिना अधूरी होती है. उन्होंने कहा कि सरकार को पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय प्रदूषण-मुक्त और इको-फ्रेंडली पटाखों को बढ़ावा देना चाहिए. जिससे परंपरा भी बनी रहे और पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके.

लिया वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग

प्रतियोगिता में आशीष रंजन, अमन कुमार, सूरज कुमार, अमन कुमार, अंजलि कुमारी, पंकस कुमार साह, सत्यार्थ कुमार प्रकाश, शालिन कुमारी, हर्ष राज, ईशु शर्मा, रजत, अंकित कुमार, आनंद राज, रवि कुमार, रघुनंदन कुमार सिंह, सम्मी अख्तर ने भाग लिया. प्रतियोगिता के अंत में निर्णायक मंडल क्लब के इंचार्ज प्रोफेसर अभिषेक कुमार, प्रोफेसर विश्वजीत एवं प्रोफेसर अविरल कुमार ने प्रतिभागियों के तर्कों का गहन विश्लेषण किया. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मणिभूषण ने कहा कि छात्रों के तार्किक क्षमता सराहनीय है. कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मणि भूषण ने डिबेट प्रतियोगिताएं छात्रों में सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता को बढ़ावा देती है. पर्यावरण और परंपरा के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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