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अनूठी पहल: शिक्षा के साथ-साथ सिलाई-कढ़ाई का हुनर भी सीख रहीं छात्राएं

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फलका के दारुल उलूम मदरसा इसलहुल मुस्लिमीन ने एक अनोखी पहल की शुरुआत की है.

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फलका. फलका के दारुल उलूम मदरसा इसलहुल मुस्लिमीन ने एक अनोखी पहल की शुरुआत की है. जिसके तहत बच्चियों को केवल धार्मिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि सिलाई और कढ़ाई जैसे हुनर भी सिखाये जायेंगे. यह पहल समाज में महिलाओं और बच्चियों के लिए एक नई दिशा को जन्म देगी. अब तक केवल धार्मिक और मौलवी शिक्षा देने वाले मदरसे इस पहल के जरिए सामाजिक बदलाव की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. इस पहल का उद्देश्य बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाना है. ताकि वे शिक्षा के साथ-साथ एक पेशेवर कौशल भी सीख सकें. जो उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान कर सकें. मदरसे द्वारा शुरू की गयी यह सिलाई और कटाई प्रशिक्षण कक्षाएं बच्चियों को अपनी जीवन शैली को बेहतर बनाने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को भी सुधारने में मदद करेगी. मदरसा के बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक दृष्टिकोण को मद्देनजर नजर रखते हुए सिलाई-कढ़ाई का हुनर सीखने के लिए विशेष तौर पर कार्यशालाएं आयोजन कर बच्चों को सिलाई-कढ़ाई का कार्य सिखाया जा रहा है. हालांकि मदरसा के इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को आने वाले कल में रोजगार के अवसर प्रदान करना और बच्चों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है. कार्यशालाओं में बच्चे सिलाई मशीन का उपयोग करना, कपड़ों को काटना और विभिन्न सामान बनाना सीखते हैं. कौशल प्रशिक्षकों द्वारा दी जाने वाली स्पेशल क्लासेस में बच्चों को धैर्यपूर्वक सिखाया जाता है. इससे बच्चे न केवल सिलाई-कढ़ाई के क्षेत्र में कौशल प्राप्त कर रहे हैं. बल्कि यह भी सीख रहे हैं कि कैसे वे अपने हाथों से कुछ उत्पाद तैयार कर सकते हैं.

स्थानीय ग्रामीण और बच्चों के अभिभावक इस मुहिम की सराहना कर रहे हैं. फलका बस्ती निवासी इबरार आलम, नूरुल आलम, शाहिद, अब्दुल कुद्दुस, मुबारक अली, गुलाम सरवर, जावेद आलम आदि ने कहा यह बहुत सराहनीय पहल है. इससे बच्चों को नई दिशा और रोजगार के अवसर मिलेंगे.

मदरसों का उद्देश्य केवल धार्मिक शिक्षा देना नहीं

इस नयी पहल से यह संदेश भी गया है कि मदरसों का उद्देश्य केवल धार्मिक शिक्षा देना नहीं, बल्कि बच्चों को सभी क्षेत्रों में सक्षम बनाना है. इस प्रकार मदरसा की यह पहल न केवल बच्चों की सोच में बदलाव लायेगी. बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है.

अन्य मदरसों के लिए आदर्श उदाहरण बन सकती है यह मुहिम

यह मुहिम अन्य मदरसों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन सकती है. जो केवल शिक्षित करने पर जोर देते हैं. इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों की क्षमताओं को विकसित किया जा सकता है और समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.

कहते हैं मदरसा के प्रधानाध्यापक

मदरसा दारुल उलूम इस्लाअहुल मुस्लिमीन के प्रधान मौलवी हाजी इजराइल कासमी साहब ने बताया कि शिक्षा और हुनर दोनों ही जरूरी हैं. जो बच्चे इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं. उन्हें प्रोत्साहित किया जायेगा. उन्होंने बताया कि मदरसा कमेटी के मशवरे से सिलाई कटाई यंत्र और प्रशिक्षण देने वाले टेलरिंग मास्टर साजिद को बहाल किया गया है. पढ़ाई के अंतिम घंटी में बच्चियों को हुनरमंद बनाया जायेगा.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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