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अंग्रेजी हुकूमत की यातनाओं से तीन स्वतंत्रता सेनानी जेल में हो गये थे शहीद

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गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत माता को आजाद कराने में कैमूर जिला अंतर्गत दुर्गावती प्रखंड क्षेत्र के तीन रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. इसमें गायत्री चौबे, अंतु राम हजाम व भोला चमार का नाम शामिल है.

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कर्मनाशा. गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत माता को आजाद कराने में कैमूर जिला अंतर्गत दुर्गावती प्रखंड क्षेत्र के तीन रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. इसमें गायत्री चौबे, अंतु राम हजाम व भोला चमार का नाम शामिल है. ढाई दर्जन से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों का नाम दुर्गावती प्रखंड मुख्यालय परिसर में शिलापट पर दर्ज है, लेकिन अब तक उन स्वतंत्रता सेनानियों के याद में दुर्गावती प्रखंड में शहीद स्मारक भवन का निर्माण नहीं हो पाया है. केवल यादों में सिमट कर रह गये हैं. जबकि इन स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश हुकूमत की सारी यातनाएं झेलते हुए देश को आजाद कराने में अपनी अहम भूमिका निभायी थी. उनकी वीरता की गाथाएं सुनकर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और लोगों के दिलों में देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा उनसे मिलती है. इन रणबांकुरों ने अंग्रेजी हुकूमत को साफ-साफ कह दिया कि तुम्हारी सारी यातनाएं झेल लेंगे, गोली पीठ पर नहीं सीने पर खायेंगे, लेकिन देश को आजाद करा कर ही दम लेगे. इस संकल्प के साथ कैमूर जिले के दुर्गावती प्रखंड के वीर सपूतों ने नमक सत्याग्रह अगस्त क्रांति अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और भारत माता की खातिर अपनी जान न्योछावर कर दी. वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान देश के कोने-कोने में अंग्रेजों के जुल्म के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानी आवाज बुलंद कर रहे थे. इसी क्रम में दुर्गावती प्रखंड क्षेत्र में भी दिनेश गौरी के नेतृत्व में स्वतंत्रता सेनानी भोलाराम गायत्री चौबे, पितांबर पांडे, अलीयार सिंह, ठाकुर दयाल सिंह, रामनरेश यादव, अवधेश कुमार, लाल बिहारी दुबे, बांके दुबे, सत्तार मियां आदि ने संगठित होकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. यहां तक कि स्वतंत्रता सेनानियों ने रेल की पटरी उखाड़ दी. भारत माता की जय जयकार के उद्घोष गूंजने लगे. स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजी हुकूमत को नाकों चने चबाने को मजबूर कर दिये. स्वतंत्रता सेनानियों के बढ़ते दायरा को देख ब्रिटिश हुकूमत घबरा गयी. आजादी के दीवाने भारत माता को आजाद कराने के लिए दूर-दूर तक पैदल चलकर लोगों के बीच जाकर अलख जगाने लगे. इससे आंदोलन का दायरा बढ़ता गया. आंदोलन से घबराकर ब्रिटिश हुकूमत के सिपाहियों ने भोला चमार, गायत्री चौबे व अंतू राम हजाम आदि स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार कर अलग-अलग जेलों में डाल कर यातनाएं देना शुरू कर दिया. दहियाव गांव निवासी स्वतंत्रता सेनानी गायत्री चौबे को अंग्रेजों ने उनके घर से गिरफ्तार कर गया स्थित जेल भेज दिया और अंग्रेजों ने उन्हें उम्र कैद की सजा सुना दी. उसके बाद वे जेल में रहकर भी स्वतंत्रता सेनानियों को संगठित रह कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अलख जगा रहे थे. इसकी भनक लगते ही अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें पटना के बाकीपुर जेल भेज दिया. वहां पर उन्हें गोरों ने उनकी दाढ़ी मूछ बाल उखाड़ कर यातनाएं देनी शुरू कर दी और इतनी यातनाएं दी कि वे जेल में ही शहीद हो गये. अग्रेजों ने यहां तक क्रूरता दिखायी कि उनका शव भी परिजनों को नहीं सौंपा गया. इसी तरह भोला चमार व अंतू राम हजाम को भी ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें गिरफ्तार कर अलग-अलग जेलों में डाल दिया और उन्हें इतनी यातनाएं दी कि वे जेल में ही शहीद हो गये. यहां इतनी कुर्बानियां देने के बाद आजादी मिली, तो आज भारतवासी खुली हवा में सांस ले रहे हैं. लेकिन, जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को आजाद कराने में अपनी अहम भूमिका निभायी, उनको याद करने के लिए दुर्गावती में शहीद स्मारक का होना जरूरी है. उन शहीदों के जज्बा को याद कर हमारे देश के नौजवान को देशभक्ति की प्रेरणा मिलती है. स्वतंत्रता सेनानियों ने निभायी अहम भूमिका भारत को आजाद कराने में जिन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी अहम भूमिका निभायी, उन स्वतंत्रता सेनानियों मे दिनेश गौरी, श्याम नारायण सिंह, वशिष्ठ पांडे, मंगल चरण सिंह, अलियार सिंह, शिवरतन प्रसाद गुप्ता, श्री राम राम, केसरी दुबे, धनपति पांडे, संत प्रसाद सिंह, बाकी बिहारी दुबे, रामचरित्र सिंह यादव, राम गोविंद लोहार, काशी यादव, श्री राम साह, लालू दुबे, सत्तार मियां, राजकुमार सिंह, श्याम सुंदर सिंह, जयनाथ सिंह, कल्पनाथ सिंह, रामनाथ सिंह, नन्हकू राम बारी, भोलाराम, किशुन केवट, हीरा सिंह, जोखू सिंह, पितांबर पांडे, राम नरेश यादव, रामसुमन बारी आदि का नाम शामिल है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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