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बढ़ते वाहनों से बढ़ा प्रदूषण का खतरा, धुंध से सूर्य उर्जा पर लगा ग्रहण

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प्रदूषण की समस्या आज इस स्तर पर पहुंच गयी है कि छोटे शहर के एक आम आदमी का ध्यान भी अब इस ओर जाने लगा है. हालांकि, इधर बीच सड़कों पर हर प्रकार के वाहनों के बढ़े आमद के कारण फिलहाल सूर्य ऊर्जा पर भी धुंध का ग्रहण लगने से इसका दुष्प्रभाव भी महसूस किया जा रहा है.

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भभुआ सदर. प्रदूषण की समस्या आज इस स्तर पर पहुंच गयी है कि छोटे शहर के एक आम आदमी का ध्यान भी अब इस ओर जाने लगा है. हालांकि, इधर बीच सड़कों पर हर प्रकार के वाहनों के बढ़े आमद के कारण फिलहाल सूर्य ऊर्जा पर भी धुंध का ग्रहण लगने से इसका दुष्प्रभाव भी महसूस किया जा रहा है. यह ठीक है कि छोटे शहरों में अभी स्थिति ज्यादा नहीं बिगड़ी है, मगर प्रदूषण ने पांव पसारना शुरू कर दिया है. मंगलवार को जिले का एयर पॉल्यूशन 2.5 आरपीएम रहा, जिसके चलते दोपहर दो बजे के बाद शहर के आसमान पर धुंध छा गया और विजिबिलिटी भी कम होती गयी. हालांकि, ज्यादातर लोग अब भी इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो इसकी गंभीरता को समझ रहे हैं. अब लोग वायु में फैले प्रदूषण से बचने के लिए मास्क सहित अन्य उपाय भी कर रहे हैं. प्रदूषण की चपेट में अब अपेक्षाकृत छोटे शहर व ग्रामीण इलाके भी आने लगे हैं. प्रदूषण को अब सहज ही महसूस किया जा रहा है, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में तो सांस लेने में भी कठिनाई होती है. हवा के साथ हम धूल कणों को भी ग्रहण करने लगे हैं, साथ ही प्रदूषण के कारण लोग बीमार भी हो रहे हैं. = दिनों दिन बढ़ रही वाहनों की संख्या अगर परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो भभुआ व मोहनिया शहर में हर प्रकार के वाहनों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. पिछले जनवरी से अब तक के आंकड़ों पर गौर करे तो छोटे बड़े तकरीबन डेढ़ लाख से अधिक नये वाहन सड़कों पर उतरे हैं, अब दीगर बात यह हैं कि बेतहाशा बढ़ रहे और सड़कों पर दौड़ रहे इन जैसे नये पुराने लाखों वाहनों के धुएं वातावरण में जहर ही तो घोल रहे हैं, इनके बीच से गुजरने वाले लोग उसी प्रदूषित हवा को सांस के रूप में ले रहे हैं और बीमार भी हो रहे हैं. रही बात इस पर नियंत्रण की तो इसके लिए अब तक किसी भी स्तर से कोई कारगर प्रयास इस शहर में सामने नहीं आया है. वाहनों के लिए प्रदूषण जांच की व्यवस्था भी फिलहाल शहर में लागू नहीं हुई है. नतीजतन अपेक्षाकृत अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चिह्नित नहीं किया जा रहा है और गाहे बगाहे इस शहर में भी लोग वायु प्रदूषण से रोग की चपेट में आ रहे हैं. = कचरे का अवशेष जलने से भी बढ़ रही परेशानी शहरों में आमतौर पर कचरों को जला दिया जाता है, दिन भर के कचरा एकत्र करके जला देने की परिपाटी-सी बन गयी है. इनमें प्लास्टिक भी होते हैं, इनके जलने से जहरीला धुंआ वातावरण में घुल जाता हैं और उसी प्रदूषित हवा को सांस में लेने से लोग बीमार भी होते हैं. इस पर अंकुश लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. प्रशासनिक स्तर पर इसके लिए कोई कार्ययोजना बनायी गयी है, लेकिन कार्ययोजना धरातल पर मूर्त रूप नहीं ले पा रहा है अब ऐसे में स्थिति और भी विकट होती जा रही है. = वायु प्रदूषण से रोगी बनने का खतरा छोटे शहरों में भी वाहनों की भीड़ और लापरवाही से निकले वायु प्रदूषण के कारण कई तरह की बीमारियां पांव पसार रही हैं. सदर अस्पताल के डॉक्टर डॉ विनय तिवारी बताते हैं कि छोटे शहरों में अभी से ही प्रदूषण पर नियंत्रण लगाना बहुत जरूरी हो गया है. वैसे, अपेक्षाकृत अधिक प्रदूषण वाले स्थानों पर रहने या काम करने वाले लोगों को चाहिए कि वे मास्क का उपयोग करें. हवा में मिले डस्ट पार्टिकल के कारण परेशानी हो सकती है, इसका सीधा असर लंग्स पर होता है. लंग्स पर असर होने से तरह-तरह की बीमारियों हो सकती है. प्रदूषण के गम्भीर स्तर से सांस लेने में दिक्कत, सर में चक्कर आना, सिरदर्द होने से लेकर लंग्स आदि तक की गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. इस प्रकार के उभरे परेशानी की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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