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केंद्र सरकार वही अच्छी, जो गरीबों की सुने और उनकी भलाई की सोचे

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लोकसभा चुनाव के अंतिम और सातवें चरण में सासाराम सुरक्षित सीट के लिए होनेवाले वोटिंग को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. अब शहर सहित जिले का हरेक चौक-चौराहा, चाय-पान की दुकान हो या फिर यात्री वाहन हर जगह लोग चुनाव के चर्चे शुरू होते ही बेबाकी से अपनी बात कह रहे हैं.

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भभुआ सदर. लोकसभा चुनाव के अंतिम और सातवें चरण में सासाराम सुरक्षित सीट के लिए होनेवाले वोटिंग को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. अब शहर सहित जिले का हरेक चौक-चौराहा, चाय-पान की दुकान हो या फिर यात्री वाहन हर जगह लोग चुनाव के चर्चे शुरू होते ही बेबाकी से अपनी बात कह रहे हैं. कोई अपनी सरकार बना रहा है, तो कोई अपनी दलील से सरकार बदल रहा है. भभुआ से वाराणसी जाने वाली बस का भी आजकल यहीं हाल है कि, जितनी तेजी से यह चल रही है, उससे अधिक तेज इसके अंदर सवार लोगों की अपनी-अपनी राजनीति चल रही है, बिल्कुल नॉन-स्टॉप की तरह वाराणसी जानेवाली ऐसे ही एक बस में शनिवार को जब भभुआ से वाराणसी तक का जायजा लिया गया, तो बस में सवार लोग हो रहे इस लोकसभा चुनाव को लेकर खुलकर अपनी बात करते रहे. भभुआ से खुली बस जब मोहनिया से आगे पहुंची तो उसमें बैठे यात्रियों के बीच राजनीति को लेकर बहस छिड़ गयी. भभुआ के वार्ड 18 के रहनेवाले अजय सिंह का कहना था कि इस सरकार के कार्यकाल में काफी विकास हुआ है. पांच सालों में शौचालय, रसोई गैस, प्रधानमंत्री आवास, किसानों को पैसा सहित कई तरह के लाभ ग्रामीणों को मिले हैं. इसलिए केंद्र की इस सरकार को पुनः तीसरी बार मौका मिलना चाहिए. इतना सुनते ही उनकी बगल में बैठे पहड़िया के मनोज यादव ने चट से बात पकड़ते हुए कहा कि, आप कौन सी विकास की बात कर रहे हैं. जिले की कई सड़कों की स्थिति बदतर हो गयी है. आरा मुंडेश्वरी रेल लाइन को इस सरकार ने ठंढे बस्ते में फेंक दिया है. गांवों में नलजल की भी हालत बदतर है. इसलिए इस बार वैसे प्रत्याशी को वोट करेंगे, जो आम जनता की समस्याओं को सड़क से सदन तक जोरदार ढंग से उठा सके. इनकी बातों को काटते हुए अखलासपुर गांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता दीनदयाल ने कहा कि यह सब समस्याएं तो अन्य सरकारों के कार्यकाल में भी रही है, अब तो उसके निदान के प्रयास हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में जाति-धर्म और संप्रदाय के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और इसलिए तरक्की के लिए हम सबको सोचने की आवश्यकता है. इसी बीच अपने सगे-संबंधियों से मोबाइल पर बात करती हुई चकबंदी रोड की रहनेवाली शिक्षिका सुशीला देवी भी चर्चा में कूद पड़ी. उन्होंने कहा कि पार्टी या प्रत्याशी कोई भी हो, लेकिन शिक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता में रखकर सभी दल कार्य करें. खासतौर पर निर्धन बेटियों के लिए, जो पैसों के अभाव में पढ़ नहीं पाती हैं. मौजूदा व्यवस्था अभी भी नाकाफी है. आज भले ही सरकारी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है, लेकिन, उसकी गुणवत्ता कहीं से भी संतोषप्रद नहीं है. वहीं, अच्छे विद्यालयों में फीस अधिक होने के चलते गरीब तबके की बेटियां शिक्षा से वंचित हो जाती हैं. सरकार ऐसी हो जो बेटियों की शिक्षा के लिए विशेष नियम कानून बनाये. बस धीरे धीरे बनारस पहुंचने को हुई तो, काफी देर से अपनी सहभागिता सुनिश्चित कराने के लिए बस के बीच में बैठेे दुर्गावती निवासी बाबा अनमोल पांडेय परेशान थे कि उन्हें इस चुनावी चकल्लस में मौका ही नहीं मिल रहा है. अंततोगत्वा बस जैसे ही वाराणसी के मारुति नगर पहुंचने को हुई, तो वे अपनी सीट से उठ खड़े हुए और बोले कि, भइया मैं पढ़ा लिखा तो हूं नहीं, ज्यादा राजनीति के बारे में नहीं जानता. हां, एक बात जरूर जानता हूं कि जो सरकार गरीबों की सुने, वहीं अच्छी होती है. लेकिन, अब सुनता कौन है. चुनाव के समय ही नेताओं को गरीब याद आते हैं, बाद में सब भूल जाते हैं. बाबा अभी कुछ और कहते कि, तब तक बस वाराणसी के मारुति नगर स्थित बस स्टैंड में पहुंच गयी और लोग चुनावी चर्चे को तिलांजलि दे अपने गंतव्य को जाने के लिए बाहर निकलने लगे.

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