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किसी भी समाज के उत्थान की धुरी होती है शिक्षा : पूर्व कुलपति

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रविवार को डीएवी स्कूल यदुपुर के सभागार में बाबू गुप्तनाथ सिंह की स्मृति में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गठित समिति द्वारा कराया गया. इसमें आठ राज्यों से जुटे विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाबू गुप्तनाथ सिंह के जीवन चरित्र, व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला.

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भभुआ. रविवार को डीएवी स्कूल यदुपुर के सभागार में बाबू गुप्तनाथ सिंह की स्मृति में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गठित समिति द्वारा कराया गया. इसमें आठ राज्यों से जुटे विद्वानों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बाबू गुप्तनाथ सिंह के जीवन चरित्र, व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला. समारोह का उद्घाटन वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ रामपाल सिंह ने किया. कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित किया गया था. पहले सत्र में वक्ताओं ने उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला और दूसरे सत्र में विभिन्न सामाजिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गयी. उद्घाटन के मौके पर पूर्व कुलपति ने कहा कि किसी भी समाज के उत्थान की धुरी शिक्षा होती है. समाज को पहली प्राथमिकता बच्चों की शिक्षा, महिलाओं को शिक्षित करना होना चाहिए. अगर हम इसमें पिछड़ते हैं, तो सामाजिक सोपान के उच्च शिखर की यात्रा कठिन हो जायेगी. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के समर्पित सेनानी, संविधान सभा के सदस्य तथा चैनपुर विधानसभा के प्रथम विधायक बाबू गुप्तनाथ सिंह एक विचार थे. उन्होंने अपने जीवन काल में देश की आजादी में अपना योगदान देने से लेकर शिक्षा, सिंचाई, परिवहन आदि बुनियादी सुविधाओं के विकास से लेकर समाज को संगठित होकर आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया. संगोष्ठी में आये अन्य विद्वानों ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदानों से प्रेरणा प्राप्त कर यदि समाज में सामाजिक उत्तरदायित्व और चेतना का बोध जागृत होता है, तो उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कही जायेगी. संगोष्ठी के दूसरे सत्र में स्त्री शिक्षा, शिक्षा के माध्यम से सामाजिक और वैचारिक उत्थान कुर्मी चेतना, देहज प्रथा, मृत्यु भोज, विधवा विवाह, बाल विवाह सहित विभिन्न पहलुओं पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे. महत्वपूर्ण विचारों में यह शामिल किया गया कि हमें मृत्यु भोज, दहेज प्रथा आदि पर रोक लगाना चाहिए. ऐसे प्रथाओं पर होने वाले खर्च गरीब, असहाय लोगों या सामाजिक कार्यों पर किया जाना चाहिए. वक्ताओं ने विधवा विवाह को सामाजिक मान्यता देने तथा बाल विवाह का विरोध किये जाने के पक्ष में भी अपने विचार रखे. = स्मारिका व पुस्तक का किया गया विमोचन संगोष्ठी के आयोजन में शिक्षाविद, समाजसेवी, किसान नेता, लेखक और विचारक बाबू गुप्तनाथ सिंह के कृत्यों को चिरस्थायी बनाने तथा उनको नयी पीढी के जन स्मृति में पुनर्स्थापित करने के लिए एक स्मारिका तथा पुस्तक का भी विमोचन किया गया. यह पुस्तक प्रो गनौरी महतो द्वारा लिखी गयी है, जो उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालने के अलावा सामाजिक समस्याओं और उसके निदान पर भी प्रकाश डालता है. कार्यक्रम में विभिन्न जगहों से आया अतिथिगण डॉ रामश्रेय सिंह, प्रो गनौती महतो, प्रो ओम प्रकाश चौधरी, अविनाथ काकडे, मोरध्वज चंद्राकर, वेलिप कांकर, प्रताप सिंह, डॉ दिनेश कुमार, मेहता नगेंद्र सिंह, ई राहुल पटेल, डॉ रामभगवान सिंह, जनार्दन पटेल, जितेंद्र कुमार सिंगरौल, डॉ दिनेश कुमार, आचार्य निरंजन सिन्हा, रणविजय सिंह, रमेश सिंह, सत्यभामा आडिल ने भी अपने विचार रखे. इनसेट जमीन मिलेगी, तो ट्रस्ट के माध्यम से होगा पटेल छात्रावास का निर्माण भभुआ. बाबू गुप्तनाथ सिंह के स्मृति में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पधारे पटेल छात्रावास बिहार ट्रस्ट निर्माण के अध्यक्ष व विधायक कृष्ण कुमार उर्फ मंटू ने पटले छात्रावास के निर्माण कराने की जरूरत और समाज को शिक्षित करने की बात कही. उन्होंने कहा कि अगर पटेल छात्रावास बनाने के लिए किसी द्वारा जमीन दी जाती है, तो उस पटेल छात्रावास का निर्माण ट्रस्ट के माध्यम से कराया जायेगा. उन्होंने पटेल पुस्तकालय के निर्माण कराने पर भी जोर दिया. साथ ही बाबू गुप्तनाथ सिंह के चरित्र से शिक्षा लेकर उन्होंने लोगों से दो रोटी कम खाने लेकिन बच्चों को शिक्षित बनाने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि बाबू गुप्तनाथ सिंह पर संगोष्ठी का आयोजन एक इतिहास को बताना है. जो अपना इतिहास भूल जाता है उसका अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है. इसलिए हमें अपने इतिहास को याद करते रहना है. संगोष्ठी में विश्वविद्यालयों में शोध अध्यन केंद्र की स्थापना, निशुल्क बुक ट्रस्ट की व्यवस्था आदि के भी प्रस्ताव रखे गये. कार्यक्रम में प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रही डॉ कमला सिंह, दूसरे सत्र में डॉ प्रमोद सिंह तथा संचालन कर रहे डॉ सीमा पटेल, ब्रजेश कुमार सिंह, धन्यवाद ज्ञापनकर्ता धनजंय सिंह, डीएवी स्कूल के डायरेक्टर दिनेश सिंह, देवता चरण सिंह, पशुपतिनाथ सिंह, डॉ विभा सिंह आदि शामिल थे.

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