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तय डेडलाइन तक नहीं हुआ दीक्षांत समारोह का भुगतान, लौट गये पैसे

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यहां विभागीय आदेश के बाद भी विभाग द्वारा निर्धारित डेडलाइन तक भी दीक्षांत समारोह की राशि का एचएम के खाते भुगतान नहीं करने के कारण विभाग को वापस लौट गया है.

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भभुआ नगर. विभागीय आदेश या सरकार स्तर से फरमान हो या शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों का आदेश को पालन नहीं करना जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के दिनचर्या में शामिल हो गया है. इसी तरह का मामला फिर प्रकाश में आया है. यहां विभागीय आदेश के बाद भी विभाग द्वारा निर्धारित डेडलाइन तक भी दीक्षांत समारोह की राशि का एचएम के खाते भुगतान नहीं करने के कारण विभाग को वापस लौट गया है. इधर, दीक्षांत समारोह होने के बाद भी राशि का भुगतान नहीं होने से प्रधानाध्यापक आक्रोशित हैं. प्रधानाध्यापकों का कहना है कि दीक्षांत समारोह की राशि भुगतान करने के लिए फॉर्म व फोटोग्राफ विभाग को जमा कर दिया गया था, इसके बावजूद जिन विद्यालय के प्रधानाध्यापक भौतिक रूप से संबंधित पदाधिकारी व कर्मी से मुलाकात नहीं की, ऐसे प्रधानाध्यापकों की राशि का भुगतान नहीं किया गया. गौरतलब है कि विभागीय आदेश के आलोक में अप्रैल महीने में जिले के सभी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में निजी विद्यालय के तर्ज पर दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था. दीक्षांत समारोह में डीएम, एडीएम सहित जिले के 241 अधिकारी व कर्मी शामिल हुए थे. साथ ही विद्यालय की वार्षिक परीक्षा में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान लाने वाले छात्र-छात्राओं को मेमेंटो देकर सम्मानित किया गया था. मानदेय के पैसे लगाकर एचएम ने कराया था कार्यक्रम दीक्षांत समारोह के दौरान सभी विद्यालयों में टेंट, पंडाल, कुर्सी आदि की व्यवस्था की गयी थी. साथ ही विद्यालय को भी फूल-माला व गुब्बारे से आकर्षक ढंग से सजाया गया था. कार्यक्रम के दौरान अभिभावक भी देखने के लिए काफी संख्या में विद्यालय पहुंचे थे. जिले के सभी विद्यालयों में दीक्षांत समारोह के लिए विभाग द्वारा कोई राशि आवंटित नहीं किया गया था. यहां सभी प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिया गया था कि अपनी राशि से विद्यालयों में दीक्षांत समारोह का आयोजन करें व आयोजन के तत्काल बाद राशि का भुगतान कर दिया जायेगा. लेकिन, ढ़ाई से तीन महीने बीत जाने के बाद भी राशि का भुगतान नहीं किया गया. = 1205 विद्यालयों में हुआ कार्यक्रम, मात्र 80 का भुगतान जिले के सभी प्रारंभिक, मध्य, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय में निजी विद्यालय के तर्ज पर दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था. जिले के 1205 विद्यालयों में कार्यक्रम का आयोजन किया गया और सभी विद्यालय के प्रधानाध्यापकों द्वारा फॉर्म व कार्यक्रम का फोटोग्राफ भी जमा किया गया था, इसके बावजूद साहब की मेहरबानी केवल 80 विद्यालय के प्रधानाध्यापकों पर हुई और 80 विद्यालय की राशि का भुगतान करने के बाद शेष बची राशि को विभाग को वापस कर दिया गया. = करोड़ों रुपये विभाग को किया गया वापस दीक्षांत समारोह के लिए विभाग द्वारा विद्यालय वार राशि आवंटित की गयी थी. यहां प्रारंभिक विद्यालय को 10000 देना था, मध्य विद्यालय को 15000 व माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय को 25 हजार रुपये का भुगतान करना था. जबकि, मात्र 80 विद्यालयों के भुगतान करने के बाद शेष 1125 विद्यालयों की राशि वापस कर दिये जाने से विद्यालयों को मिलने वाले करोड़ों रुपये वापस चले गये. क्या कहते हैं शिक्षक नेता प्रारंभिक शिक्षक संघ के नेता सह जहानाबाद विद्यालय के प्रधानाध्यापक अरुण त्रिपाठी ने कहा कि विभागीय लापरवाही के चलते प्रधानाध्यापकों द्वारा विद्यालय में आयोजित किये गये दीक्षांत समारोह का भुगतान नहीं किया गया. कहा जिन विद्यालय के प्रधानाध्यापक व्यक्तिगत रूप से कार्यालय में जाकर मुलाकात की, उनकी राशि का भुगतान कर शेष रुपये लौटा दिये गये. इसके चलते सभी प्रधानाध्यापक आक्रोशित हैं. विभाग प्रधानाध्यापकों की राशि का भुगतान करें. क्या कहते हैं पदाधिकारी इस संबंध में डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान अमरेंद्र पांडे ने कहा तीन बार पत्र निकालने के बाद भी प्रधानाध्यापकों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र समय से नहीं देने के कारण निर्धारित समय सीमा के बाद राशि को विभाग को वापस लौटा दिया गया है. जिन विद्यालय के प्रधानाध्यापकों द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र समय से दिया गया, उनकी राशि का भुगतान कर दिया गया है. प्रधानाध्यापकों की लापरवाही के कारण दीक्षांत समारोह की राशि विभाग को वापस लौटनी पड़ी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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