लोकनायक जय प्रकाश नारायण की आज आज 11 अक्टूबर को जयंती है. जय प्रकाश नारायण (JP) ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था. उनका नारा उस वक्त पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. जय प्रकाश का जीवन काफी संघर्षशील रहा. जयप्रकाश नारायण अपने पढ़ाई के दौरान होटल में काम करते थे. जयप्रकाश नारायण ने कभी भी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया. उस वक्त जय प्रकाश नारायण संपूर्ण क्रांति के नारे पर पूरा देश उमड़ पड़ा था और उन्हें समाजसेवा के लिए लोकनायक की उपाधि दी गई.
लोकनायक जय प्रकाश नारायण का जन्म बिहार के सारण जिला के सिताब दियारा गांव में हुआ था. जय प्रकाश नारायण 9 साल की उम्र में गांव छोड़कर पढ़ाई के लिए पटना पहुंच गये थे. जय प्रकाश नारायण की शादी 1920 में प्रभावती से हो गई. जयप्रकाश नारायण का झुकाव शुरू से ही स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ था. जय प्रकाश नारायण महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलन में शामिल हुए थे. इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को 20 साल की उम्र में साबरमती आश्रम में छोड़कर अमेरिका पढ़ने चले गए. वहां उन्होंने पढ़ाई के दौरान अपने खर्चे निकालने के लिए खेत से लेकर होटलों में बर्तन भी धोए.
जय प्रकाश नारायण अमेरिका से वापस लौटने के बाद 1929 में कांग्रेस में शामिल हो गये. हालांकि उनकी विचारधारा समाजवादी थी. JP ने कांग्रेस से अलग होकर 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की. लेकिन, आजादी के बाद राजनीति ने जय प्रकाश नारायण को हताश कर दिया. इसके बाद जय प्रकाश नारायण 1974 में इंदिरा गांधी के राजनीति के खिलाफ देशभर में तेजी से उभरे. जय प्रकाश ने इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ आवाज बुलंद की. इस दौरान जय प्रकाश बिहार में छात्र आंदोलन की अगुआई की. जिसे जेपी आंदोलन कहा गया.
जय प्रकाश नारायण ने सत्ता में कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई. उन्हें राष्ट्रपति से लेकर पीएम बनने तक का प्रस्ताव मिला था. लेकिन, उन्होंने ठुकरा दिया. जय प्रकाश नारायण ने बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में 5 जून 1974 को संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. उन्होंने कहा था, ‘सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है. उस समय गांधी मैदान में ‘जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो, समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो’ नारा गूंजा था. इसी नारे से जय प्रकाश नारायण को विश्व में पहचान मिला. इसके बाद 1979 में उनका निधन हो गया. इसके बाद 1999 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया.